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लेखक- प्रमोद कुमार शर्मा

‘‘मौसम विभाग की भविष्यवाणी है कि आज रात तथा कल बहुत बर्फ पड़ने वाली है. क्या तुम्हारा अभी भी कल शाम को पाल के यहां होने वाली पार्टी में जाने का विचार है?’’ मैं ने रेणु से पूछा.

रेणु चाय बनाने चली गई थी, सो शायद उस ने मेरी बात पूरी तरह से सुनी नहीं थी. जब वह चाय बना कर लाई तो मैं ने उस से फिर वही प्रश्न दोहराया तो वह बोली, दिनेश, ‘‘पाल तुम्हारे पुराने व गहरे मित्र हैं. इतने दिनों बाद उन्हें यह खुशी मिली है और तुम्हें उन्होंने विशेष तौर पर बुलाया है. क्या तुम अपने मित्र की खुशी में शामिल होना नहीं चाहते?’’

‘‘चलो, तो तैयार हो जाओ. बाजार से कोई तोहफा ले आएं,’’ मैं बोला.

चाय पी कर हम बाजार गए. पहले पाल के लिए तोहफा खरीदा, फिर अगले सप्ताह के लिए खाने का सब सामान खरीदने के बाद रात को 9 बजे घर वापस आए. रेणु ने खाना पहले ही बना रखा था, सो उसे गरम कर के खाया और फिर टैलीविजन देखने लगे. 10 बजे के करीब मैं ने खिड़की से बाहर देखा तो बर्फ पड़ने लगी थी. रात में 11 बजे के समाचार सुने और हम सोने चले गए.

अगले दिन भी बर्फ पड़ती रही तो मैं ने पाल को फोन किया, ‘‘अरे, तुम्हारी पार्टी आज ही है या स्थगित करने की सोच रहे हो?’’

पाल बोला, ‘‘अरे, बर्फ कोई ज्यादा नहीं है.’’ पार्टी समय पर ही है.

पाल मेरा पुराना मित्र है. हम दोनों एकसाथ ही अमेरिका आए तथा एकसाथ ही एमएस किया था. पाल से मेरी मुलाकात पेरिस में हुई थी.

फिर मैं न्यूयार्क में एक छोटी सी इलैक्ट्रौनिक्स कंपनी में नौकरी करने लगा था. पाल कैलिफोर्निया में जा कर बस गया. 3 वर्ष बाद मैं ने भारत जा कर रेणु से शादी कर ली तथा न्यूजर्सी में एक दूसरी कंपनी में नौकरी कर ली और यहीं बस गया.

पिछले वर्ष शनिवार को जब हम एक शौपिंग सैंटर में घूम रहे थे तो अचानक पाल से मुलाकात हुई. पाल 1 महीना पहले न्यूजर्सी में आ कर रहने लगा था. उस ने अब तक शादी नहीं की थी. वह अब अकसर शनिवार, रविवार को हमारे घर आने लगा. रेणु पाल से जब भी शादी करने को कहती तो उस का जवाब होता, ‘भाभीजी, कोई लड़की पसंद ही नहीं आती.’

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रेणु जब उस से उस की पसंद के बारे में पूछती तो उस का जवाब होता, ‘मुझे बहुत सुंदर व आधुनिक विचारों की पत्नी चाहिए.’

रेणु जब उस से आधुनिक की परिभाषा पूछती तो उन में घंटों तक बहस होती रहती.

पाल का पूरा नाम धर्मपाल है. रेणु ने उस से एक बार कहा, ‘तुम लोगों को अपना पूरा नाम ‘धर्मपाल’ क्यों नहीं बताते?’

वह बोला, ‘भाभीजी, धर्म तो मैं भारत में ही छोड़ आया था, अब तो पाल बाकी रह गया है.’

अचानक एक दिन पाल का फोन आया, ‘दिनेश, मैं दिल्ली से बोल रहा हूं. 2 सप्ताह बाद मेरी शादी है. मैं ने तुम्हें कार्ड भेज दिया है. हो सके तो अवश्य आना.’

मुझे उस की बात पर यकीन नहीं हुआ तो उस के न्यूजर्सी के घर पर फोन मिलाया, पर किसी ने न उठाया. 2 दिनों बाद हमें पाल का कार्ड मिला तो यकीन आया कि वास्तव में उस की शादी होने जा रही है.

लगभग 1 महीने बाद पाल वापस अमेरिका आ गया और उस ने मुझे फोन कर के बताया कि उस की शादी का प्रोग्राम अचानक बन गया. वह आगे बोला, ‘पिताजी का एक दिन फोन आया कि एक लड़की उन्हें बहुत पसंद आई है, आ कर देख तो लो. मैं उसी सप्ताह दिल्ली चला गया और शादी पक्की हो गई.’

रेणु ने पाल को पत्नी सहित घर आने का न्योता दिया तो वह बोला, ‘भाभीजी, सुषमा तो अभी नहीं आ पाई है, उस के वीजा के लिए कुछ कागज वगैरा भेजने हैं.’

रेणु ने फिर उसे स्वयं ही आने को कहा तो वह बोला, ‘अच्छा, मैं अगले शनिवार को आऊंगा.’

शनिवार को दोपहर के 2 बजे के करीब पाल ने घंटी बजाई तो मैं ने दरवाजा खोला, ‘बधाई हो पाल, अफसोस है कि तुम्हारी शादी में हम शामिल नहीं हो सके.’

रेणु भी पीछे से आ गई और उस से बोली, ‘तुम ने हमें समय ही नहीं दिया वरना हम तो अवश्य आते.’

पाल बोला, ‘घर में तो आने दो, बाद में ताने देते रहना,’ वह भीतर आ गया तो रेणु खाना परोसने लगी.

खाना खाने के बाद हम लोग बैठ कर बातें करने लगे.

रेणु ने पूछा, ‘‘सुषमा कब तक अमेरिका आएगी?’’

‘देखो, कागज वगैरा तो सारे भेज दिए हैं, शायद 2 महीने में आ जाए.’

सुषमा 1 महीने से पहले ही अमेरिका आ गई. तब उसी खुशी में पार्टी का आयोजन किया गया था.

शाम को जब हम पाल के घर पहुंचे तो हम से पहले ही 2-3 परिवार वहां आ चुके थे. पाल ने हमारा सब से परिचय कराया.

रेणु बोली, ‘‘पाल, तुम ने सब से परिचय करा दिया है या कोई बाकी है?’’

‘‘भाभीजी, सुषमा ऊपर तैयार हो रही है, अभी आने ही वाली है.’’

करीब आधा घंटे बाद सुषमा नीचे आई तो पाल ने उस का सब से परिचय कराया. वह पाल से 12 वर्ष छोटी थी, पर थी सुंदर. उस ने बहुत मेकअप किया हुआ था, इस से और भी खूबसूरत लग रही थी. हम सब लोगों को पाल ने शीतल पेय दिए. फिर उस ने सुषमा से पूछा, ‘‘तुम क्या लोगी?’’

वह बोली, ‘‘कुछ भी.’’

इस पर पाल उस के लिए स्कौच बनाने लगा तो वह बोली, ‘‘इस में पानी मत डालना. बस, बर्फ डाल कर ले आना.’’

जितनी भी वहां और भारतीय महिलाएं थीं, सब साधारण पेय ही पी रही थीं. मैं ऐसी बहुत ही कम भारतीय महिलाओं को जानता हूं जो शराब पीती हैं. रेणु ने जब यह देखा तो उसे यकीन नहीं हुआ कि सुषमा जो अभीअभी भारत से आई है, स्कौच पी रही है. कुछ और महिलाओं को भी आपस में कानाफूसी करते सुना.

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‘‘अरे, हम तो यहां पिछले 20 वर्षों से रह रहे हैं, भारत में भी काफी आधुनिक थे, पर स्कौच तो दूर, हम ने तो कभी वाइन तक को हाथ नहीं लगाया,’’ रीता को मैं ने रेणु से यह कहते सुना.

इतने में सुषमा को ले कर पाल बीच मंडली में आया और दोनों ने जाम टकरा कर पीने शुरू कर दिए. 2-3 घंटे तक पार्टी बड़ी गरम रही. कुछ लोग राजनीति पर चर्चा कर रहे थे तो कुछ हिंदी फिल्मों पर. 12 बजे के करीब शादी की खुशी में केक काटा गया. फिर सब ने पाल को बधाइयां तथा तोहफे दिए. उस के बाद खाने की बारी आई.

12 बजे के आसपास पार्टी तितरबितर होनी शुरू हुई. हमें घर आतेआते 1 बज गया.

घर आते ही मैं बिस्तर पर लेट गया और जल्दी ही सो गया.

सुबह 9 बजे के करीब जब मेरी आंखें खुलीं तो पाया कि रेणु बिस्तर पर नहीं है. मैं ने खिड़की से बाहर झांका, बर्फ अभी भी गिर रही थी. मैं नीचे आया तो देखा, रेणु सोफे पर सो रही है.

मैं जब नहा कर लौटा तो उस समय करीब 11 बज रहे थे. रेणु अभी भी सो रही थी मैं ने सोचा, शायद उस की तबीयत ठीक नहीं है, सो, जा कर उठाया तो वह हड़बड़ा कर उठी और बोली, ‘‘क्या टाइम हो गया?’’

‘‘तुम्हें आज टाइम की क्या चिंता है? यह बताओ, तुम्हारी तबीयत तो ठीक है? और तुम यहां पर क्यों सो रही हो?’’

‘‘मुझे रात नींद नहीं आई तो यह सोच कर कि तुम्हारी नींद न खराब हो, 2 बजे के करीब नीचे चली आई. यहां आ कर भी जब नींद न आई तो टैलीविजन चला दिया, फिर पता नहीं कब नींद आ गई.’’

मैं ने उस के लिए चाय बनाई, क्योंकि वह हमेशा चाय पीना पसंद करती है. फिर उस से नींद न आने का कारण पूछा तो बोली, ‘‘ऐसी तो कोई खास बात नहीं थी, बस, पाल और सुषमा के बारे में ही सोचती रही. तुम ने देखा नहीं, वह कैसी बेशर्मी से शराब पी रही थी.’’

मैं बोला, ‘‘तुम्हें दूसरों की व्यक्तिगत जिंदगी से क्या मतलब?’’

‘‘तो क्या पाल कोई दूसरे हैं? वे तुम्हारे मित्र नहीं हैं?’’ उस ने जोर से यह बात कही.

मैं ने प्यार से कहा, ‘‘मेरा मतलब यह नहीं था. शराब पीना या न पीना पाल और सुषमा का व्यक्तिगत मामला है, हमें उस में नहीं पड़ना चाहिए.’’

रेणु चाय पी कर बोली, ‘‘मैं नहाने जा रही हूं. तुम फायर प्लेस जला लो. आज बाहर तो कहीं जा नहीं सकते, इसलिए बैठ कर कोई पुरानी हिंदी फिल्म देखेंगे.’’

मैं ने कहा, ‘‘जैसी सरकार की मरजी.’’

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