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‘‘चलिए, अमितजी, आज हम लोग आप का बर्थ डे सैलिबे्रट करेंगे,’’ यह कह कर एक बड़ा सा गिफ्ट पैक उन्होंने पापा को थमा दिया. साथ में एक छोटा सा उपहार और भी दिया.

पापा ने अपना उपहार खोल कर देखा तो वह नोकिया का सुंदर फोन था जिसे खरीदने की बात वे कई दिन से सोच रहे थे. शायद बातोंबातों में कभी रीता आंटी से कह दिया होगा. तभी तो उन्हें उसे लाने का मौका मिल गया.

पापा ने रीता आंटी को जन्मदिन उपहार के लिए धन्यवाद दिया तो आंटी ने कहा, ‘‘चलिए, आज हमारी शाम अशोक होटल में बुक है.’’

‘‘नहीं, मुझे तो कहीं और जाना है,’’ कह कर पापा ने टालना चाहा लेकिन आखिर उन्हें आंटी की बात माननी पड़ी.

‘‘चलो बेटा, तैयार हो जाओ, घूमने चलना है. पहले तुम्हारी पसंद का जू देखने चल रहे हैं. फिर आज का खाना बाहर खाएंगे,’’ फिर चिल्ला कर बोलीं, ‘‘रामू, आज कुछ नहीं बनेगा.’’

रोहित ने पहले तो साफ मना करना चाहा फिर ध्यान आया कि साथ न जाने से तो बड़ी गलती होगी. वह मां को उन की सारी बातें कैसे बता पाएगा. वह फौरन तैयार हो गया.

गाड़ी में रास्ते भर उस के पापा व डा. रीता आंटी उस की मां की कमियों पर ही बातें करते रहे. पापा कहते रहे, ‘‘मेरी पत्नी शोभा पढ़ीलिखी तो है पर बस घर में बैठी रहती है. किसी बात का उसे कोई शौक ही नहीं है और अपनी तरह रोहित को भी बना रही है. कहता भी हूं कि कभी बाहर निकल कर दुनिया देखो तो कितनी बड़ी है पर बस, कूपमंडूक ही बनी रहती है. रोहित 9 साल का हो गया लेकिन उस के बिना अपना एक काम नहीं कर सकता. ज्यादा कुछ कहो तो मुंह बना कर बैठ जाती है.’’

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