प्यार पर किस का बस चला है, जो अपने कैरियर के प्रति संप्रित अर्चना का चलता. न चाहते हुए भी नितिन से प्यार हो ही गया और इतना ज्यादा कि नितिन के नौकरी बदलने के बाद उस के लिए भी उस औफिस में काम करना असहनीय हो गया. एक दोपहर उस ने नितिन को फोन किया कि क्या वह लंबा लंचब्रेक ले कर उस से मिल सकता है. अर्चना ने इतनी आजिजी से पूछा था कि नितिन मना नहीं कर सका, उस के आते ही अर्चना ने पूछा, ‘‘तुम्हारे नए औफिस में मु झे कोई जगह मिल सकती है, नितिन?’’

‘‘औफिस में तो नहीं, मेरी जिंदगी और दिल में सारी जगह सिर्फ तुम्हारे लिए है. सो, आ जाओ वहां यानी शादी कर लो मु झ से.’’

‘‘और फिर घरगृहस्थी के चक्कर में फंस कर नौकरी को अलविदा कह दो. बहुत बड़ी कीमत मांग रहे हो प्यार की?’’

‘‘मु झ से शादी कर के तुम घरगृहस्थी के चक्कर में कभी नहीं फंसोगी क्योंकि मेरी मम्मी भी अपनी गृहस्थी वैसे ही खुशीखुशी संभाल रही हैं जैसे तुम्हारी मम्मी, अभी जैसे अपने घर से औफिस आती हो, शादी के बाद मेरे घर से आ जाया करना.’’

‘‘ऐसा अभी सोच रहे हो, लेकिन शादी के बाद तुम भी वैसा ही सोचने लगोगे जैसा तुम्हारी मम्मी सोचेगी कि बहू का काम घर संभालना है, औफिस नहीं.’’

‘‘मेरी मां की नसीहत है कि अगर जिंदगी में तरक्की करनी है तो शादी कामकाजी लड़की से ही करना. ‘मैं अकेले बोर हो रही हूं,’ कह कर तुम्हें, काम अधूरा छोड़ कर, जल्दी घर आने को मजबूर न करें.’’

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