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उमा बीच में एकाध बार कोमल और शीतल को अंजलि और विनय से मिलवा लाई थी. उमा अंजलि के कपड़ों का बैग भी ले गई थी. अब अंजलि भी लगातार हौस्पिटल में ही थी. विनय सामान्य दिखने की कोशिश तो करते, पर मन ही मन बहुत चिंतित थे.

बारबार अंजलि से कह रहे थे, ‘‘यार, हमेशा हैल्थ का इतना ध्यान रखा और अब कितने दिनों से हौस्पिटल में पड़े हैं.’’

अंदर से खुद भयभीत अंजलि हौसला बढ़ाती, ‘‘कोई बात नहीं, रिपोर्ट ठीक ही होगी. बस, फिर चलेंगे घर,’’ अंजलि विनय को क्या, जैसे खुद को तसल्ली दे रही थी.

रिपोर्ट क्या आई, विनय और अंजलि के जीवन में दुखों का जैसे एक सैलाब  सा आ गया. क्या करें, क्या होगा. किसी को कुछ समझ नहीं आया. विनय को ब्रेन कैंसर था जो इतना फैल चुका था कि औपरेशन असंभव था और लास्ट स्टेज थी. सब के पैरों तले की जमीन खिसक गई. अंजलि को तो लगा कि एक पल में ही उस की दुनिया बदल गईर् है. डाक्टर के सामने ही फूटफूट कर रो दी वह. विनय अवाक थे. राकेश अंजलि को चुप करवाता हुआ खुद भी रो रहा था.

डाक्टर ने अंजलि से कहा, ‘‘आप आइए, आप से कुछ बातें करनी है.’’

विनय को रूम में छोड़ अंजलि और राकेश डाक्टर के कैबिन में गए.

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डाक्टर ने गंभीरतापूर्वक कहा, ‘‘आप को अब खुद मानसिक रूप से बहुत मजबूत होना है. सब से दुख की बात है कि विनय के पास सिर्फ 2-3 महीने ही हैं.’’

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