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जब से हमारे शौहर रहीम मियां दुबई कमाने के लिए गए हैं तब से उन की बहुत सी पसंदीदा चीजें धूल खा रही हैं. मसलन, उन का सोनी कंपनी का सुनहरे रंग का हैडफोन जिसे उन्होंने कितने नाज से खरीदा था कि वे फुरसत के लमहों में जगजीत सिंह की उम्दा गजलों का लुत्फ उठाया करेंगे. ठीक इसी तरह कोने में रखी टेबल पर सजा हुआ टेबललैंप, जिसे जला कर देर तक पढ़ते रहते थे रहीम मियां.

इस टेबललैंप की खासीयत यह थी कि यह मुरादाबादी पीतल से बना हुआ था और इसे लखनऊ महोत्सव से खासे महंगे दाम में खरीदा था उन्होंने. हालांकि इसे खरीदते समय उन्हें भी महसूस हुआ था कि दुकानदार उन की पसंद को भांप चुका है और इसीलिए नाजायज दाम बता रहा है पर रहीम मियां भी ठहरे महंगी चीजों के शौकीन इसलिए वे इसे खरीद कर ही माने थे.

मगर ये तो छोटीमोटी चीजें थीं जो उन के बिना अपनेआप को बेजार सम?ा रही थीं, पर अब इस बड़ी सी चीज का क्या करूं जो रहीम मियां के बगैर गर्दिश में ही जी रही है. मैं जिक्र कर रही हूं गैराज के अंदर खड़ी 7 सीटर कार का. कितने नाजों और अरमानों से खरीदा था, जब एक रिश्तेदार की देखादेखी रहीम मियां को भी कार का नामुराद शौक लगा. फिर क्या था. रहीम मियां ने ‘‘कौन सी कार लें,’’ इस मौजूं पर यूट्यूब पर न जाने कितने वीडियोज देख डाले. बाकायदा तमाम गाडि़यों के प्लस माइनस खंगाले गए और गाडि़यों में यात्रियों की सुरक्षा के लिए कितने एअरबैग्स आदि लगे हुए हैं, इस बात की पुख्ता जानकारी लेने में कितनी संजीदगी दिखाई थी रहीम मियां ने. अपनी निजी जिंदगी में लापरवाही का सा रवैया रखने वाले रहीम मियां गाड़ी चुनने में इतने चूजी और फिक्रमंद निकलेंगे यह तो हम ने कभी सोचा भी न था.

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