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बस वही नसीहत हमें आज भी याद है इसलिए हम गाड़ी को आगे बढ़ाना भी सीख गए और घुमानामोड़ना भी आ गया हमें. बस अब गाड़ी को रिवर्स करने में परेशानी हो रही थी और घबराहट भी अधिक होती थी. लगता था पीछे का सारा आलम ही गोलगोल घूम रहा है क्योंकि हमें झले पर बैठते ही सिर घूमने और उलटी आने जैसी समस्या बचपन से ही है इसलिए जब साथ की लड़कियां मेले में आए हुए झले में बैठ कर आसमान में गुम हो जाने को होतीं तब हम डरपोक से बने उन्हें नीचे खड़े हो कर देखते और अपने को कोसते रहते. उम्र बीतने से समस्याएं हल नहीं होती.

हमारी भी यह समस्या जस की तस बनी रही और हम तो इस सिर घूमने वाली बीमारी को भूल ही गए थे पर जब गाड़ी को रिवर्स गियर में डाला और व्यू मिरर में देखा तब समझ में आ गया कि वह बचपन के सिर घूमने वाली समस्या बदस्तूर अब भी हमारे साथ बनी हुई है.

हमें परेशान देख कर अरशद ने हमें हौसला दिया और कहा कि ये सारी मामूलीमहीन चीजें धीरेधीरे जेहन में उतरती हैं. जैसेजैसे आप का हाथ साफ होगा वैसेवैसे आप ठीक ढंग से गाड़ी को रिवर्स करने लगोगी और फिर रिवर्स में आप गाड़ी को कभीकभार ही करते हो. यह कह कर उस ने हमें एक अच्छे ड्राइवर होने का तमगा और भरोसा दे दिया था जिस के कारण हमारा तो मन ही भर आया था. तुरंत पर्स से क्व2,000 का नोट निकाला और अरशद की जेब में डाल दिया.

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