Hindi Moral Tales : मेरा नाम है तियाना. वैसे मेरे बारे में आप जान ही जाएंगे, पहले मैं अभिलाष के बारे में बताऊं. मैं अभिलाष को तब से जानती हूं जब वह राजनीति में कदम जमाने की जी तोड़ कोशिश कर रहा था और लगातार सालदरसाल इसी में लगा पड़ा था. यहां तक कि कालोनी वाले भी उस के भविष्य को ले कर तरस खा कर कहते, ‘‘4 साल से ऊपर तो हो गए बेचारा और कब तक एडि़यां घिसेगा. इस हिस्से में नहीं लिखा राजनीति तो जाने दे न.’’

मगर सालों की जी तोड़ कोशिश के बाद 5वें साल उस ने आखिर जंग जीत ही ली. होगी तब उस की उम्र कोई 27 या 28 साल की. जब मैं थी कोई 36 साल से कुछ महीने ऊपर ही. हमारी कालोनी नूतन नगर एक बहुत ही सभ्य सुंदर कालोनी है, तब भी थी. बड़ेबड़े अमीर लोगों का वास था, पर हां यह कालोनी और भी सुविधासंपन्न और साफ होती अगर इसे कोई योग्य लीडर मिलता.

मैं अपनी स्कूटी से कालेज जाते हुए अकसर अभिलाष से रूबरू होती क्योंकि वह कालोनी के किसी न किसी कोने में कुछ न कुछ सफाई या व्यवस्था के काम में जुटा होता. जाने कितने सालों से वह पार्षद बनने की खाक छानता फिर रहा था और कालोनी का विकास बहुत हद तक इसी योजना का हिस्सा था.

खैर, अभिलाष के प्रयास से साल दर साल कालोनी की रंगत सुधरती रही, सुंदर बगीचे बने, रास्ते बने, गंदगी साफ होने की पुख्ता व्यवस्था हुई, पानी का इंतजाम इतना पुख्ता हुआ कि लोग लगभग भूल ही गए कि गरमी आने पर किस तरह कालोनी की पड़ोसिनें प्राइवेट पंप चला कर अपनेअपने घर में पानी खींच लेने को ले कर आपस में लड़ाइयां करती थीं.

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