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आजरविवार की छुट्टी होने के कारण होटल में काफी भीड़ थी. हमें भी डिनर और्डर किए काफी वक्त हो चुका था पर अभी तक आया नहीं था. हम बैठेबैठे आपसी बातचीत में मशगूल थे. लेकिन मेरा ध्यान बारबार उस टेबल पर जा अटकता जहां एक फैमिली बैठी थी.

उन का टेबल हमारे टेबल को छोड़ तीसरा टेबल था, जिस में मातापिता और 3 बच्चे बैठे हुए थे. 2 बेटियां और एक बेटा. बेटियां अपनेअपने मोबाइल में व्यस्त थीं और मातापिता आपस में ही बातें कर रहे थे. पति का चेहरा तो नहीं दिख रहा था, क्योंकि उस का चेहरा दूसरी तरफ था, पर पत्नी के हावभाव से लग रहा था, उन में किसी बात को ले कर बहस चल रही थी, क्योंकि पत्नी अपनी आंखें बड़ी करकर के कुछ बोले जा रही थी और पति अपना हाथ उठा कर उसे शांत रहने को कह रहा था.

उन का बेटा, जिस की उम्र करीब 3-4 साल होगी, सब बातों से बेफिक्र अपनेआप में ही मगन, कभी कांटाचम्मच से खेलता तो कभी उसी कांटाचम्मच से प्लेट बजाने लगता. कभी टेबल पर रखे नमक और पैपर पाउडर को अपनी हथेली पर गिरा कर उंगली से चाटने लगता तो कभी टिशू पेपर निकाल कर अपना चेहरा खुद ही पोंछने लगता. जब उस की मां उसे आंखें दिखा कर इशारों से कहती कि बैठ जाओ तो वह बैठ भी जाता, पर फिर थोड़ी देर में वही सब शुरू कर देता. उस की छोटीछोटी शरारतें देख कर मुझे उस मासूम पर बड़ी हंसी आ रही थी और प्यार भी.

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