Story In Hindi : अपनी नवजात बिटिया को अस्पताल के प्राइवेट रूम में जन्म के बाद पहली बार देख कालिंदी का गला भर्रा आया और आंखें समंदर हो उठीं.
‘‘इतनी गोरी... बिलकुल परी सी. नाक तीखी... होंठ एकदम सुर्ख, शेपली और पतले, आंखें सीपीनुमा और बड़ीबड़ी... यह तो जादू ही हो गया. कौन कहेगा यह मेरी बेटी है?’’
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तभी कालिंदी की नजर बिटिया के हाथों पर गई. नन्हेनन्हे हाथ... उंगलियां पतलीपतली जैसे तराशी गई हों. फिर उस ने उस के पैरों की ओर देखा. वे भी बेहद सुंदर. नन्हींनन्हीं पतली उंगलियां.
कालिंदी मंत्र मुग्ध सी भाव विभोर अपनी बिटिया को निहार ही रही थी कि उस के पति सोमेश उस के रूम में आ गए.
नन्ही बिटिया पर नजर पड़ते ही खुश हो उठे. उन्होंने बिटिया को नजर भर कर देखा. उन के होंठों पर एक मीठी सी मुसकराहट फैल गई.
सोमेश खुशी से चिल्लाए, ‘‘यह मेरी बेटी है? इतनी प्यारी... इतनी सुंदर...’’ कह उस के नन्हे हाथ को सहलाया और फिर उसे गोद में ले कर टुकुरटुकुर देखने लगे.
कालिंदी सोमेश को स्निग्ध नजरों से देखती रही. तभी कुछ देर बाद कालिंदी का जिगरी मित्र अविनिश वहां आ कर बिटिया के पालने में झांकने लगा. बिटिया को देख वह चिल्लाया, ‘‘वाऊ कालिंदी, तूने तो कमाल कर दिया. तेरी बेटी इतनी सुंदर...’’ फिर बिटिया को गोद में ले उस के चेहरे को अपने चेहरे से सटाते हुए शैतानी भरे स्वरों में चिल्लाया, ‘‘सोमेश यार... यह तेरी बेटी तो कहीं से नहीं लगती. न ही तेरी कालिंदी की...यह तो पूरी
की पूरी मेरी बिटिया लगती है. देख जरा, यह तो मेरी बिटिया है. बिलकुल मेरा रंग... मेरी जैसी गुड लुकिंग. अपने अविनिश मामा की बिट्टो है यह तो.’’
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