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‘‘सौरभदेखने में ही सुंदर और स्मार्ट नहीं है, उन के पास दिल भी सोने का है. मेरी तो लौटरी खुल गई है सहेली. हनीमून से मैं उन के प्यार में पागल हो कर लौटी हूं,’’ शिमला से लौटते ही महिमा ने अपनी सहेली के साथ फोन पर बातें करते हुए अपने पति सौरभ की जोशीले अंदाज में खूब प्रशंसा करी. मगर उसे क्या पता था कि उस की खुशियों से भरा गुब्बारा उसी रात फूट जाएगा.

काफी थके होने के कारण महिमा ने सारी शाम अपने कमरे में आराम किया. उस की सास सुमित्रा और ननद शिखा उसे डिस्टर्ब करने एक बार भी कमरे में नहीं आईं.

सौरभ शाम को बाहर घूमने चला गया था. वह रात 10 बजे के करीब जब लौटा तब तक महिमा सजधज कर उस के स्वागत के लिए तैयार हो चुकी थी.

‘‘कहां घूम आए आप?’’ महिमा के इस सवाल का कोई जवाब न दे कर सौरभ ने उस का हाथ पकड़ा और अपने सामने बैठा लिया.

उस की आंखों में बेचैनी और परेशानी के भाव पढ़ते ही महिमा की मुसकराहट गायब हो गई. अपनी बढ़ी हुई धड़कनों के साथ उस के बोलने का इंतजार करने लगी.

‘‘किसी और के बताने से पहले मैं ही तुम्हें बता रहा हूं कि मेरी जिंदगी में पहले से एक औरत मौजूद है जिस का साथ कभी न छोड़ने का वादा मैं ने उस से किया हुआ है,’’ बड़े असहज अंदाज में सौरभ ने यह विस्फोटक जानकारी महिमा को दी.

‘‘मु?ा से ऐसा मजाक मत करो, प्लीज,’’ महिमा के चेहरे का रंग उड़ गया.

‘‘तुम्हें यों दुख और मानसिक आद्यात पहुंचाने का मु?ो अफसोस है, पर अंजलि की मेरी जिंदगी में मौजूदगी एक ऐसी सचाई है जिस का सामना तुम्हें करना ही होगा.’’

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