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निरुपमा से पहले अनु की शादी की खबर मिलने के बाद मोहित भी कुछ विचलित हो गया था. अनु की शादी निरुपमा से पहले क्यों करनी पड़ी? निरुपमा को किसी ने पसंद नहीं किया यह तो कभी हो ही नहीं सकता. फिर क्या निरुपमा स्वयं तैयार नहीं है? कुछ दिन दुखी रहने के बाद आम लड़कियों की तरह

ही निरुपमा की भी शादी हो जाएगी, यह तो सोचा था मोहित ने, पर अब निरुपमा के अविवाहित रहने की खबर ने उसे अपराधबोध से ग्रस्त कर दिया.

हिम्मत कर एक दिन मोहित ने निरुपमा के घर फोन मिलाया, ‘‘हैलो... हैलो...’’ उधर से आवाज आई.

दास आंटी की आवाज वह पहचान रहा था. बड़ी मुश्किल से उस ने साहस जुटा कर कहा, ‘‘नमस्ते आंटी, मैं मोहित बोल रहा हूं, कैसे हैं आप लोग?’’

अचानक मोहित के फोन से निरुपमा की मां हड़बड़ा गईं पर अगले ही क्षण स्वयं को संयत कर बोलीं, ‘‘ठीक हैं, फोन कैसे किया?’’

‘‘आंटी, अनु की शादी की खबर मिली तो रहा नहीं गया... निरुपमा से पहले...?’’ आगे कुछ नहीं बोल पाया मोहित, शब्द गले में ही अटक कर रह गए.

‘‘हां, निरुपमा से पहले करनी पड़ी, क्योंकि वह शादी करना ही नहीं चाहती. अब क्यों, यह तो बताना नहीं पड़ेगा तुम्हें,’’ पल भर दोनों ओर से फोन पर चुप्पी छाई रही, फिर वे बोलीं, ‘‘कहती है विवाह तो मन का गठबंधन है, जो जीवन में केवल एक बार होता है, दोबारा कैसे कर लूं...’’

‘‘जी...’’ अस्फुट से शब्द मोहित के गले में ही दब कर रह गए. पूरी रात वह सो नहीं सका. ये क्या पागलपन है निरुपमा का? पिछले 8 वर्षों से मैं उस से बेखबर हो अपने जीवन में मगन हो गया था. मैं ने तो दीप्ति से विवाह के बाद पीछे मुड़ कर एक बार भी नहीं देखा कि आखिर निरुपमा कहां है, किस हाल में है. और वह अब तक मेरे प्यार की लौ में जल रही है, वह भी बिना किसी शिकवेशिकायत के. कैसे काटे होंगे निरुपमा ने ये दिनरात. 8 वर्ष लंबा नहीं, तो छोटा अरसा भी नहीं होता.

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