कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पूर्व कथा

15 साल बाद परिवार समेत ममता एक बार फिर दिल्ली में बसीं. वे उसी महल्ले व उसी घर में रहने लगीं जहां पहले रह कर गई थीं. घर के सामने अभी भी शर्मा दंपती रहते हैं. दादीनानी बनने के बाद भी श्रीमती शर्मा का साजशृंगार उन की तीनों बहुओं से बढ़ कर होता है. पुरानी पड़ोसिन सरला ने ममता को बताया कि श्रीमती शर्मा के नाजनखरे तो आज भी वही हैं मगर पतिपत्नी के रोजरोज के झगड़े बहुत बुरे हैं, दिनरात कुत्तेबिल्ली की तरह लड़ते हैं. तुम्हें भी इन के झगड़ने की आवाजें विचलित करेंगी. 75 वर्षीय श्रीमती शर्मा कहती हैं कि उन के 80 वर्षीय पति शर्माजी का एक औरत से चक्कर है. एक लड़की भी है उस से...ममता यह सुन कर अवाक् रह जाती है. हालांकि उसे यहां दोबारा आए 2 दिन ही हुए और वह शर्मा आंटी से बहुत प्रभावित हुई थी, उन की साफसफाई, उन के जीने के तरीके से. 5-6 दिन बीतने के बाद भी किसी तरह के लड़नेझगड़ने की आवाज नहीं आई तो ममता सोचती है कि उसे जो बताया गया है, वह गलत होगा. इस बीच, शर्मा दंपती ममता के घर पधारे. दोनों ने हंसीखुशी ममता के साथ खूब गपशप की, दोपहर को वहीं खाना खाया. शाम को पति आए तो ममता उन के साथ शर्मा दंपती से मिलने उन के घर गई. इस तरह वे अच्छे पड़ोसी बन गए. सरला यह जान कर हैरान हो जाती है. वह ममता को समझाने लगती है कि अपना ध्यान रखना, शर्मा आंटी कहानियां गढ़ लेती हैं. इन्होंने अपनी तो उतार रखी है. कहीं ऐसा न हो, तुम्हारी भी उतार कर रख दें. इधर, दीवाली आने को होती है और ममता घर का बल्ब जला कर परिवार समेत जम्मू चली जाती है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...