Self Confidence: हमारे समाज में एक बहुत पुरानी आदत है हर छोटीबड़ी बात को किस्मत, लक और नसीब से जोड़ देना. अगर किसी को अचानक नौकरी मिल गई तो लोग कहते हैं क्या किस्मत वाला है. अगर किसी का ऐक्सीडैंट हो गया तो बोलेंगे नसीब खराब था और अगर किसी का बिजनैस चल निकला तो कहेंगे भाग्य साथ दे रहा है.
मगर क्या सच में हमारी जिंदगी केवल लक और किस्मत के भरोसे चलती है या फिर हम अपने कर्म, मेहनत और फैसलों से अपनी जिंदगी को बदलते हैं?
आजकल सोशल मीडिया पर भी ‘बर्नट टोस्ट थ्योरी’ जैसी बातें ट्रेंड कर रही हैं. इस का मतलब है कि अगर आप की ब्रैड टोस्ट जल गई और आप को उसे बनाने में 2 मिनट और लग गए तो हो सकता है आप उन 2 मिनटों की वजह से किसी हादसे से बच गए हों. यानी हर चीज को किस्मत और इशारों से जोड़ना.
सुनने में यह थ्योरी थोड़ी पौजिटिव लग सकती है लेकिन असलियत यह है कि यह सोच इंसान को कर्म की जगह किस्मत पर भरोसा करना सिखाती है और यही दिक्कत है.
किस्मत पर भरोसा क्यों खतरनाक है
मेहनत की अहमियत कम हो जाती है: जब हम हर चीज को लक से जोड़ देते हैं तो मेहनत का मूल्य कम हो जाता है. उदाहरण के लिए अगर कोई स्टूडैंट दिनरात पढ़ाई कर के अच्छे मार्क्स लाता है तो लोग कह देते हैं तेरी किस्मत अच्छी थी पेपर आसान आ गया, जबकि सच यह है कि उस ने मेहनत की थी और उसी मेहनत का रिजल्ट मिला.
जिम्मेदारी से भागने का बहाना: कई लोग अपनी असफलता को किस्मत के सिर डाल देते हैं जैसे मेरा बिजनैस किस्मत खराब होने की वजह से नहीं चला, जबकि हकीकत यह हो सकती है कि उस ने प्लानिंग ठीक से नहीं की मार्केटिंग कमजोर थी, या मेहनत आधीअधूरी थी. किस्मत को दोष दे कर इंसान अपनी गलतियों को छिपा देता है.
प्रगति की रफ्तार धीमी हो जाती है: अगर हमें भरोसा हो जाए कि सबकुछ पहले से तय है, तो हम क्यों मेहनत करेंगे? यही सोच हमें पीछे ले जाती है. महेंद्र सिंह धोनी का उदाहरण लीजिए.
अगर वे किस्मत पर भरोसा कर के बैठे रहते कि देखते हैं भाग्य क्या लिख कर लाया है तो शायद कभी इंडियन टीम तक न पहुंचते. उन्होंने रेलवे में टीटीई की नौकरी करते हुए भी मेहनत जारी रखी, प्रैक्टिस नहीं छोड़ी और अपने कर्म से आज क्रिकेट की दुनिया में लीजेंड बन गए.
बिजनैस में किस्मत बनाम कर्म: धीरूभाई अंबानी का नाम भी हम सब जानते हैं. अगर वे किस्मत का रोना रोते रहते कि गरीब घर में पैदा हुए हैं तो शायद पैट्रोल पंप पर काम करने से आगे न बढ़ पाते. लेकिन उन्होंने अपने कर्म से, अपने बिजनैस माइंड से और कड़ी मेहनत से इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा कर दिया.
बर्नट टोस्ट थ्योरी
लोग मानते हैं कि अगर रास्ते में देरी हो गई, गाड़ी पंक्चर हो गई या टोस्ट जल गया तो यह किस्मत का खेल है और किसी अनहोनी से बचा लिया गया है.
यह सोचने में कोई हरज नहीं कि हर देरी के पीछे कोई बड़ा कारण हो सकता है लेकिन अगर हम हर चीज को ऐसे जोड़ने लगें तो धीरेधीरे मेहनत और जिम्मेदारी पर से भरोसा उठ जाता है.
मान लीजिए आप का रिजल्ट खराब आया. अब अगर आप कहें शायद यही मेरी किस्मत थी तो आप अपनी मेहनत की कमी, पढ़ाई का तरीका और प्लानिंग की गलतियां कभी नहीं देख पाएंगे
कर्म और किस्मत का असली रिश्ता
सच तो यह है कि किस्मत नाम की चीज पूरी तरह से ?ाठी नहीं है. कभीकभी मौके मिलना, सही समय पर सही जगह होना, यह सब भी माने रखता है. लेकिन अगर आप के पास मेहनत और कर्म की ताकत नहीं है तो किस्मत भी आप का साथ नहीं देगी
सोचिए, लौटरी टिकट खरीदने वाला हर इंसान करोड़पति क्यों नहीं बनता इसलिए कि किस्मत सब की नहीं खुलती. लेकिन अगर आप पढ़ाई करेंगे, स्किल सीखेंगे, मेहनत करेंगे तो बिना लौटरी भी अपनी लाइफ बना सकते हैं.
कर्म पर भरोसा करने के फायदे
आत्मविश्वास बढ़ता है: जब आप मेहनत पर भरोसा करते हैं तो आप की सोच पौजिटिव होती है.
जिम्मेदारी निभाना सीखते हैं: आप अपनी असफलताओं की वजह ढूंढ़ते हैं और उसे सुधारते हैं.
लक्ष्य हासिल होते हैं: मेहनत से हासिल की गई सफलता टिकाऊ होती है.
दूसरों के लिए प्रेरणा बनते हैं: जब लोग देखते हैं कि आप किस्मत नहीं कर्म पर भरोसा कर के सफल हुए हैं तो उन्हें भी सीख मिलती है.
लक और किस्मत जैसी बातें सुनने में अच्छी लगती हैं और कभीकभी हमें तसल्ली भी देती हैं लेकिन असल जिंदगी में हमें अपने कर्मों पर यकीन करना चाहिए.
‘बर्नट टोस्ट थ्योरी’ जैसी मान्यताएं केवल हमें अस्थाई सुकून देती हैं लेकिन आगे बढ़ने की असली ताकत हमारे कर्म, मेहनत और फैसले ही होते हैं.
तो अगली बार जब आप किसी असफलता को किस्मत पर डालने लगें तो रुकिए और खुद
से पूछिए कि क्या मैं ने अपने कर्म ईमानदारी से किए हैं?
Self Confidence
