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लेखक- राजेश कुमार सिन्हा

इसी सोचविचार में वह दिन भी आ गया, जिस दिन उसे मुंबई पहुंचना था. कोमल के पापा अपनी गाड़ी ले कर आ गए थे और अनुज को ले कर एयरपोर्ट पहुंच गए. नियत समय पर कोमल की फ्लाइट आ गई और वह कुछ ही देर में बाहर आ गई. उस ने दूर से ही चहकते हुए हाथ हिलाया और करीब आ कर सब से पहले अनुज से ही कहा था, "तुम्हें बहुत मिस किया मैं ने," इस पर उस के पापा ने हंसते हुए कहा था कि फिर हम तो बेकार ही परेशान हो रहे थे.

एयरपोर्ट से निकल कर गाड़ी में बैठने तक के समय में ही कोमल ने पूरे एक महीने की रूटीन सुना डाली थी. उस की मम्मी ने जब कहा कि पहले उन के घर ही चलते हैं, तो कोमल ने मना कर दिया था कि नहीं, वह पहले अपने घर ही जाएगी.

घर पहुंचते ही सब से पहले कोमल ने बाहर से खाने का और्डर दे दिया और अस्तव्यस्त घर को ठीक करने मे लग गई. खाना आते ही दोनों ने खाना खाया और फिर कोमल ने उस के लिए बतौर गिफ्ट खरीदे गए. शर्ट, जींस, परफ्यूम का पैकेट देते हुए कहा, "यह सब मैं ने अपनी पसंद से खरीदा है. मुझे पूरी उम्मीद है कि तुम्हें पसंद आएगा, मुझे पता है अनुज, तुम्हें बहुत तकलीफ हुई होगी, पर क्या करूं ऐसे मौके कम मिलते हैं, देखो ना अभी इस प्रोजैक्ट में मुझे कम से कम 2 हफ्ते और लगेंगे, तब जा कर यह कम्प्लीट होगा, बस थोड़ा सा और कोओपरेट कर दो, फिर मेरा पूरा समय तुम्हारे लिए होगा.

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