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रात में जब ताऊजी टीवी बंद कर के अपने कमरे में चले जाते तो वह अपना मनपसंद सीरियल, गाने या फिर पिक्चर लगा लेती. परंतु उसे परेशान करने के लिए वे फिर से लौट कर वहां आ जाते और झट चैनल बदल देते. अनावश्यक घंटों ऊंघते हुए हाथ में रिमोट ले कर चैनल बदलते रहते. कभी भूलवश टीवी की आवाज अधिक हो जाती तो चीखते हुए हाजिर हो जाते, ‘‘महारानीजी, आज आप सोने देंगी या रात्रिजागरण का कार्यक्रम करवाओगी. ‘‘मैडमजी आप तो जवान हैं. मैं 65 साल का बूढ़ा हूं... अब इतना दमखम तो बचा नहीं कि रात भर जाग सकूं.’’

पूर्वा तुरंत टीवी बंद कर के सोने का अभिनय करती और मन ही मन टीवी से दूर रहने का निश्चय करती. मगर 2-4 दिन बाद उस का मन मचल उठता और रिमोट हाथ में उठा लेती.

वहां रहते हुए लगभग 2 साल हो चुके थे. अपनी कंपनी और सैलरी दोनों से वह खुश थी, परंतु ये ताऊजी तो पूरी तरह से हाथ धो कर उस के पीछे पड़े रहते थे.

कुछ दिनों से ताऊजी अखबार के वैवाहिक विज्ञापनों में निशान लगाने में व्यस्त थे. एक दिन पूर्वा ने उन्हें ताईजी से कहते सुना, ‘‘अब तो इस ने बहुत रुपए जमा कर लिए होंगे. उन्हीं पैसों से इस की शादी कर देंगे.’’

उस ने उन विज्ञापनों को देखा, जिन पर निशान लगे थे. उन में से कोई 40 वर्ष का था तो कोई विधुर. यहां तक कि एक मंदबुद्धि भी था. अब वह परेशान हो उठी थी कि ताऊजी ने तो हद ही पार कर दी. वह परेशान हो उठी थी. इस समस्या का सामना वह कैसे करे. उस का औफिस में भी मन नहीं लगता था. तभी एक दिन किसी लड़के को उस के औफिस का पता बता कर वहां भेज दिया. उस समय उस की स्थिति बहुत विचित्र हो गई. फ्रैंड्स के बीच उस का खूब मजाक बना. वह बिफर पड़ी थी. घर पहुंचते ही ताईजी से लिपट कर बिलख पड़ी.

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