- "यह देश मेरी मुट्ठी में है." महंगाई ने तुनक कर कहा .

- " यह तुम्हारा भ्रम है ." एक गरीब ईमानदार आदमी ने चींख कर प्रतिकार किया.
- "यह भ्रम तो तुम पाले हो, की इस देश को कोई "सरकार" चला रही है, जिसे तुमने चुना है." महंगाई ने हंसते हुए कहा

- " यही सत्य है, महंगाई !"  उस आदमी ने कहा
-"अच्छा,भला सिध्द करो " महंगाई ने मुस्कुरा कर मानो चैलेंज सामने रखा.
-"यह तो सारी दुनिया जानती है, देश में एक तिनका भी, चुनी हुई सरकार के इशारे के बगैर हिल नहीं सकता."
-"यही तो भ्रम है." महंगाई हो.. हो... कर हंसते हुए बोली

-"तुम हमारी चुनी हुई सरकार के समक्ष राई का कण भी नहीं ."
आदमी ने कुछ सच्चाई समझने के बाद, चेहरे पर उतर आए पसीने को पोंछते हुए कहा.

-"अच्छा, अभी जो  रसोई गैस के 50 रुपए प्रति सिलेंडर बढ़ गए, आलू, प्याज, टमाटर के दाम बढ़ गए...भला उसके पीछे कौन है ?" महंगाई के चेहरे पर गर्वोवित का भाव था.
-"वो... वो.. मैं क्या जानूं।"
-"कहो, कहो बेहिचक कहो या फिर स्वीकार करो ."महंगाई ने आत्मविश्वास भरे स्वर में कहा.
-"क्या स्वीकार करूं ?"
-"यही की सरकार असहाय है।"
-"यह मैं कैसे स्वीकार कर लूं ।"
-"यह मेरी करामात है, समझ लो । मैंने उछाल भरी है. सरकार के हाथ पांव फूले हुए हैं. तुम क्या जानो." महंगाई हंसी.
-"तुम्हें गलतफहमी है, ऐसा मैं मानता हूं ."व्यक्ति ने संभलकर कहा,- "तुम्हें सरकार जब चाहेगी धर दबोचेगी और तुम रिरियाती रह जाओगी."
-"अच्छा ! यह मुंह और मसूर की दाल. " महंगाई हंसी
-"सच कह रहा हूं, हमारी सरकार के पास असीम अमोध शक्ति है .इस देश के हित में सरकार तुम्हें चाहे तो देश निकाला दे दे तुम कुछ नहीं कर पाओगी ."व्यक्ति ने अब विश्वास पूर्वक कहा था.
-" अच्छा, ऐसा है और इस देश मे सरकार नाम की चिड़िया है तो मुझे काबू में करके दिखाएं." महंगाई के स्वर में आत्मविश्वास था.
-"तुम सरकार को चैलेंज कर रही हो ?"
-"हां, यह सरकार, यह विपक्ष, यह बड़बोले नेता, यह संसद मेरी मुट्ठी में है,यह देश मेरी मुट्ठी में है ."
महंगाई हंसी .
-"अच्छे-अच्छों के घमंड टूट गए हैं . भ्रष्टाचार भी कुछ दिन पूर्व इठलाता घूमता था, कहता था, सरकार मेरी जेब में है. उसका कितना दर्दनाक हश्र हुआ है, पता है.कई दिग्गज भ्रष्टाचारी जेल चले गए  लालू यादव से लेकर पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम तलक अब बोलो." आदमी ने अपनी ईमानदारी की रौ में कहा.

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