रात का वक्त था और 11 बज चुके थे लेकिन मानवी घर नहीं आई थी. घर वाले परेशान हो रहे थे कि आखिर अभी तक मानवी रह कहां गई अभी तक आयी क्यों नहीं क्यों कि मानवी का फोन भी नहीं लग रहा था. धीरे-धीरे रात के 1 बज गए....

घड़ी की सुईयों को देखकर मां-बाप के हांथ-पैर कांप रहे थे. कि तभी दरवाजे पर कुछ हरकत हुई और पिता ने जाकर दरवाजा खोला तो सामने मानवी खड़ी थी और उसकी जो हालत थी वो देखकर आप की भी आत्मा कांप उठती.मानवी के कपड़े फटे हुए थे और उसे खूब सारी चोटें भी लगी थीं.

अब तक आप भी समझ चुके होंगे कि उसके साथ क्या हुआ होगा जी हां वही जो आप सोच रहें हैं जिस शब्द को कोई भी मां-बाप सुनना नहीं चाहेगा अपनी बेटी के लिए.... वो शब्द है बलात्कार.

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मां ने बेटी को संभाला उसे लेकर अंदर गयी और बाप की तो कुछ भी बोलने और सोचने की हिम्मत ही नहीं थी और ना ही कुछ पूछने की हिम्मत थी. बेटी फूट-फूट कर रो रही थी मां-बाप भी फूट-फूटकर रो रहे थे. लेकिन अब सवाल ये था कि करे क्या?

अगले दिन परिवार के किसी भी सदस्य को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें आखिरकार लकड़ी ने पुलिस में शिकायत करने की ठानी और कहा कि उन दोषियों को सजा तो होनी ही चाहिए कि पीछे से मां की तेज आवाज आती है ..नहीं...तू कहीं नहीं जाएगी और ना ही कोई शिकायत दर्ज होगी.

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