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समय बीतता जा रहा था. मैं ने बीए कर लिया और प्रसून पीसीएस में कंपीट कर चुका था. इस खुशी में प्रसून ने ट्रीट दिया. मैं और मधुर उस के साथ होटल में थे. हम तीनों में कोई भी ड्रिंक नहीं लेता था. उस दिन होटल के डाइनिंगहॉल में औरकैस्ट्रा के गायक ने बौलीवुड के रोमांटिक गानों से सब को प्रसन्न किया. उस का आखिरी गाना था, ‘‘किसी न किसी से कभी न कभी कहीं न कहीं दिल लगाना पड़ेगा...’’

मैं अब उन के बीच फ्रैंक हो चुकी थी. मैं ने प्रसून से पूछा, ‘‘तब तुम्हारा दिल किस पर आया है?’’

वह गंभीर हो गया और बोला, ‘‘मेरी छोड़ो, तुम बोलो शादी कब कर रही हो? अपनी शादी में मुझे बुलाना नहीं भूलना.’’

मुझे उस का जवाब सुन कर अच्छा नहीं लगा. मैं सोच रही थी कि शायद अब अच्छी नौकरी मिल जाने के बाद यह मेरे साथ घर बसाने की बात सोच रहा होगा. उस दिन के बाद तो प्रसून से मेरी कोई बात नहीं हुई. वह किसी दूसरे शहर में राज्य सरकार का बड़ा अफसर था. मेरे मातापिता मेरी शादी की बात भी चला रहे थे. मधुर इसी शहर में था और कभीकभी हमारी मुलाकात हो जाती थी.

एक दिन मधुर मिला. मैं ने उस से प्रसून के बारे में पूछा तो वह बोला, ‘‘वैसे तो प्रसून देखने में बहुत खुश और सदा मुसकराते रहता है पर वह एक अंतर्मुखी लड़का है. अपना दर्द दूसरों से नहीं बांटता है. मुझे भी अपनी पर्सनल जिंदगी के बारे में कुछ नहीं बताया है. पर अभी कुछ दिन पहले ही मुझे उस की हकीकत का पता चला है.’’

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