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वादे के अनुसार प्लाक्षा ने विवान के घर जा कर उस के मातापिता को 6 महीने बाद शादी के लिए राजी कर लिया. विवान बहुत खुश था. उधर प्लाक्षा के मातापिता भी उस पर शादी के लिए दबाव बनाने लगे थे. शादी से कुछ समय बचने के लिए प्लाक्षा ने अब विवान से वही सब नाटक करने को कहा, जो विवान ने कुछ दिनों पहले प्लाक्षा से कराया था.

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विवान बुरी तरह घबरा रहा था. मैं ने माहौल को हलका करने की कोशिश की, ‘‘पापा, बैड मैनर्स. लड़कियों से उन की उम्र और लड़कों से उन की सैलरी नहीं पूछते,’’ सभी हंसने लगे. विवान के चेहरे पर भी हलकी सी मुसकान आ गई.

मम्मी ने बात आगे बढ़ाई, ‘‘बेटा, पैसेवैसे की तो कोई बात नहीं है. प्लाक्षा भी ठीकठाक कमा लेती है और तुम भी अच्छीखासी जौब कर रहे हो. यह बताओ कि प्लाक्षा के साथ ऐडजस्ट तो कर पाओगे न?’’

‘‘जी आंटी...’’ विवान ने हकलाते हुए कहा.

‘‘देखो बेटा, तुम तो इसे इतने सालों से जानते हो. यह भी जानते होगे कि यह कितनी स्पष्टवादी है, जो इसे अच्छा लगता है वह भी और जो नहीं लगता वह भी, बताने में देर नहीं करती. इस के इसी स्वभाव के कारण कम ही लोग इस के साथ ऐडजस्ट कर पाते हैं,’’ मम्मा ने कहा.

‘‘आंटी, मैं प्लाक्षा को कई सालों से जानता हूं. सब से बड़ी बात जो मैं इस के बारे में कह सकता हूं वह यह है कि मुझे इस के जैसा कोई आज तक नहीं मिला. चाहे जितनी मुंहफट हो पर दिल की साफ है. मैं यह तो नहीं कह सकता कि हम कभी झगड़ेंगे नहीं, क्योंकि इनसान सिर्फ मीठा खा कर तो जिंदा रह नहीं सकता. मैं इतना वादा जरूर कर सकता हूं कि इसे पूरी तरह समझने की कोशिश करूंगा.’’

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