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विवान के वापस दिल्ली लौट जाने के बाद प्लाक्षा की मुलाकात अपने एक पुराने दोस्त आदित्य से हुई. आदित्य ने बताया कि उस की शादी साक्षी नाम की एक लड़की से होने जा रही है. प्लाक्षा ने जब साक्षी की तसवीर देखी तो चौंक गई. यह वही साक्षी थी, जिसे विवान ने अपनी गर्लफ्रैंड बताया था. वह तुरंत ही दिल्ली जा कर विवान के औफिस पहुंचती है तो वहां उस की मुलाकात साक्षी और विवान दोनों से हो जाती है. उधर प्लाक्षा के मातापिता उस पर शादी के लिए दबाब बना रहे थे और उन्होंने एक लड़का पसंद भी कर लिया था.

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मां का आदेश था कि मुझे नए कपड़े खरीदने हैं उस दिन पहनने के लिए. अब गलती की थी तो भुगतना तो था ही. सप्ताहांत में मैं उन के आदेश का पालन करने के लिए अकेली ही नजदीकी मौल में खरीदारी करने जा पहुंची. मुझे कुछ भी पसंद नहीं आ रहा था. वैसे भी मुझ से अकेले शौपिंग नहीं होती थी. न तो मुझे करनी आती थी और न ही मुझे अकेले घूमना पसंद था. खैर, आजकल जब सब कुछ अकेले ही कर रही थी तो यह भी सही. मैं शौपिंग में और ज्यादा ध्यान लगाने की कोशिश करने लगी. 2-3 ड्रैसेज पसंद कर के मैं ट्रायल रूम में जाने लगी तो वहां खड़ा एक लड़का आदित्य जैसा दिखाई दिया. पास जाने पर पता चला कि वही था. शायद किसी का इंतजार कर रहा था.

‘‘आदित्य तुम यहां? दिल्ली कब आए? बताया भी नहीं.’’

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