Pyaar Ki Kahani:  रात को खाना खा कर टहल रही थी. तभी पार्किंग एरिया से मुझे कुछ किशोर बच्चों के हंसने, फुसफुसाने और खिलखिलाने की आवाजें सुनाई दीं.

पलट कर देखा तो एक किशोर वय का लड़का और 2 किशोरियां आपस में सटे हुए बैठे थे और एकदूसरे से इतना खुश हो कर बातें कर रहे थे कि उन्हें अपने आसपास का कोई भान तक नहीं था. उन्हें देख कर मेरे अधरों पर भी एक प्यारी सी मुसकान तैर गई. किशोर वय के प्यार को सिर्फ वही समझ सकता है जिस ने किशोरावस्था में किसी से प्यार किया हो, निस्स्वार्थ प्यार के उन लमहों के एहसास को महसूस किया हो. खैर, उन बच्चों की तरफ ज्यादा ध्यान न देते हुए मैं मुसकराते हुए यों ही आगे बढ़ गई. इस उम्र का प्यार तो इस तरह छिपछिप कर ही किया जाता है क्योंकि घर वाले अगर देख लें तो मानो कयामत ही आ जाए.

‘‘पढ़ाई में ध्यान लगाओ, आजकल बहुत उड़ने लगे हो, अभी जीवन बनाने की उम्र है और तुम हो कि मौजमस्ती में लगे हो,’’ जैसे लैक्चर से मानो जिंदगी की सारी रूमानियत ही खत्म कर देंगे. अपने 4 राउंड लगा कर मैं ऊपर आ गई और टीवी खोल कर बैठ गई. सामने भले ही मेरा पसंदीदा शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ चल रहा था पर मेरे कानों में अभी भी उन बच्चों की खुशी की खनक ही गूंज रही थी. मैं भी तो कितनी खुश थी जब ऋषि से पहली बार मिली थी. ऋषि मेरी ही सोसाइटी के एबी ब्लौक में रहता था और मैं आई ब्लौक में. मेरे पापा बैंक में थे और उस के पापा कोई सरकारी अधिकारी थे.

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