0:00
12:24

मात्र 24 साल की छोेटी सी उम्र में वह 2 बड़े हादसे झेल चुकी थी. पहली घटना उस के साथ 20 वर्ष की उम्र में घटी थी. तब वह बीकौम कर रही थी. उम्र के इस पड़ाव में युवाओं का किसी के प्यार में पड़ना आम बात होती है. आधुनिक शिक्षा व पाश्चात्य सभ्यता के अंधानुकरण और समाज की बेडि़यों में ढीलापन होने के कारण युवा आपस में बहुत जल्दी घुलमिल जाते हैं. उन के  संबंध जितनी तीव्रता से परवान चढ़ते हैं, उतनी ही तेजी से टूटते भी हैं. कच्ची उम्र की सोच भी कच्ची होती है और इस उम्र में युवाओं के लिए सही निर्णय लेना लगभग असभंव होता है.

मिलिंद उस का पहला प्यार था. वह भी उसी के कालेज में पढ़ता था और एक साल सीनियर था. पढ़ाई के दौरान होने वाला प्यार मात्र मौजमस्ती के लिए होता है. यह सारे युवा जानते हैं. एकदूसरे को भरोसे में लेने के लिए वे बड़ेबड़े वादे करते हैं, लेकिन जब उन के बीच शारीरिक संबंध कायम हो जाते हैं, तो उस के बाद सारे वादे धरे के धरे रह जाते हैं. तब प्यार के बंधन ढीले पड़ने लगते हैं. फिर प्यार में कटुता पनपती है, दूरियां बढ़ती हैं और कई बार इस की परिणति बहुत दुखद होती है.

मिलिंद के साथ शारीरिक संबंध बनाने के बाद उसे पता चला कि वह एक बदमाश किस्म का युवक है. छोटीमोटी लूटपाट, मारपीट ही नहीं, वह युवतियों के साथ जोरजबरदस्ती भी करता था. जो युवती उस के झांसे में नहीं आती, उसे वह अपने मित्रों के माध्यम से अगवा कर उस की अस्मिता के साथ खिलवाड़ करता. कालेज में वह बहुत बदनाम था, लेकिन किसी युवती ने अभी तक उस पर कोईर् दोष नहीं मढ़ा था, इसीलिए उस की हिम्मत दिनोदिन बढ़ती जा रही थी.

नित्या के लिए यह स्थिति बहुत कष्टकारी थी. न तो वह किसी को अपनी मनोस्थिति बता सकती थी और न ही किसी से सलाह ले सकती थी. मिलिंद के चंगुल से निकल भागने का कोई उपाय उसे नहीं सूझ रहा था.

लेकिन परिस्थितियों ने उस का साथ दिया. चूंकि मिलिंद नित नई युवतियों पर फिदा होने वाला युवक था, नित्या से उस ने खुद ही दूरियां बनानी शुरू कर दीं. वह मन ही मन बड़ी खुश हुई. धीरेधीरे एक साल बीत गया और नित्या ने बीकौम भी कर लिया.

अगले साल उस ने मांबाप को मना कर दूसरे शहर में एमबीए जौइन कर लिया. होस्टल में जगह न मिलने के कारण पेइंगगैस्ट के रूप में एक कमरा किराए पर ले कर रहने लगी. पैसा बचाने के लिए उस ने अपना रूम एक दूसरी युवती के साथ शेयर कर लिया. सुरक्षा की दृष्टि से भी यह जरूरी था.

नए शहर में आ कर नित्या ने ठान लिया था कि वह किसी लफड़े में नहीं पड़ेगी. बस, अपनी पढ़ाई पर ध्यान देगी. लेकिन जहां खुला माहौल हो, भंवरे और तितलियां एक ही बाग में स्वछंद घूमफिर रहे हों, प्रकृति का रोमांच उन के दिलों को गुदगुदा रहा हो, तो वसंत के फूलों की सुगंध से वे कैसे बच सकते हैं और मधुमास के अभिसार से अछूते कैसे रह सकते हैं. पेड़पौधों और फूलपत्तों पर जब वसंत का निखार आता है, तो जवां दिल एक हुए बिना नहीं रह सकते.

ये भी पढ़ें- Social Story In Hindi: चोट- आखिर कब तक सहन करती वह जुल्म?

वह बहुत सोचसमझ कर जीवन के अगले चरण में अपने कदम रख रही थी. उस की रूममेट शिखा बहुत बातूनी और चंचल थी. वह हर वक्त प्यारमुहब्बत की बातें करती रहती थी. नित्या उस की बातें सुन हलके से मुसकरा भर देती या उसे झिड़क देती, ‘‘अब बस कर, कुछ पढ़ाई की तरफ भी ध्यान दे ले.’’

‘‘पढ़ाई कर के क्या मिलेगा? अंत में शादी ही तो करनी है. अभी जवानी है, प्यार का मौसम है, तो क्यों न उस का भरपूर मजा लिया जाए?’’ वह अंगड़ाई ले कर कहती.

नित्या बस, मुसकरा कर रह जाती. प्यार के खेल की वह पुरानी खिलाड़ी थी, लेकिन उस ने शिखा को अपने पहले प्यार के बारे में कुछ नहीं बताया था. वह उन

कड़वी यादों को अपने दिल से निकाल देना चाहती थी.

यों ही हंसीमजाक में दिन गुजरते रहे. एक दिन शिखा ने पूछ ही लिया, ‘‘नित्या, सचसच बता, क्या तेरे मन में प्यार की भावना नहीं उमड़ती या तेरे साथ कोई हादसा हुआ है, जो तू प्यार के नाम से बिदकती है?’’

नित्या चौंक गई, क्या शिखा को उस के बारे में कुछ पता चल गया है या वह केवल कयास लगा रही है. उस ने कहा, ‘‘तू क्या समझती है, सारी युवतियां एकजैसी होती हैं? मेरा एक लक्ष्य है. मुझे पढ़ाईर् कर के मांबाप के सपनों को पूरा करना है.’’

‘‘बस कर, तू मुझे क्यों बना रही है? प्यार के मामले में सारी युवतियां एकजैसी होती हैं. जवान होने से पहले ही चारा खाने के लिए उतावली रहती हैं. मुझे तो लगता है, तूने चारा खा लिया है. अब बन रही है.’’

‘‘मैं ने क्या किया है या क्या करूंगी, यह तू मेरे ऊपर छोड़ दे. तू अपनी सोच,’’ नित्या ने बात को टालने का प्रयास किया.

शिखा लापरवाही से बोली, ‘‘मुझे अपने बारे में क्या सोचना? मैं ने तो अपना बौयफ्रैंड बना भी लिया है. तू अपनी फिक्र कर…’’ उस के चहरे से खुशी टपक रही थी, हृदय उछल रहा था. सपनों के उड़नखटोले में बैठ कर वह किसी और ही दुनिया में विचरण कर रही थी.

नित्या को उस के बौयफ्रैंड के बारे में जानने की कोई उत्सुकता नहीं थी, लेकिन एक कसक सी उस के मन में उठी. प्यार में ठोकर न खाई होती तो उस का भी कोई बौयफ्रैंड होता. उसे शिखा से जलन हुई. परंतु फिर उस ने अपना मन कड़ा किया. क्या फिर से आग में कूदने का इरादा है. शिखा को जो करना है, करे. वह अपने पथ पर अडिग रहेगी. पुरानी चोट क्या इतनी जल्दी भूल जाएगी?

लेकिन एक जवान युवती, जब घर से दूर अकेली रहती है, तो उस की भावनाएं बेलगाम हो जाती हैं. वह केवल अपने लक्ष्य पर ही ध्यान केंद्रित नहीं रख पाती. दूसरी चीजें भी उसे प्रलोभित करती हैं. कोई भी युवा अपने मन को चंचल होने से नहीं रोक सकता. नित्या भी अपने हृदय की भावनाओं और मन की चंचलता को दबाने का प्रयास करती, लेकिन शिखा की बातें सुनसुन कर वह मन से कमजोर पड़ने लगी थी. जब भी शिखा उस से अपने अफेयर और बौयफ्रैंड के बारे में बात करती तो उस के हृदय में कांटे से गड़ने लगते. सोचती, इतनी सुंदर दुनिया में वह अकेले ही चलने के लिए क्यों मजबूर है? यह उम्र क्या तनहाइयों में आहें भरने के लिए होती है?

कालेज में हर दूसरी युवती अपने बौयफ्रैंड के साथ नजर आती. एक बस वही अकेली थी. कितना खराब लगता था उसे. उस की फ्रैंड्स उसे चिढ़ातीं, ‘‘यह देखो, ठूंठ, इस पर जवानी का फूल अभी तक नहीं खिला है.’’

धीरेधीरे उस का मन विचलित होने लगा. पुरानी कड़वी यादें समय की परतों के नीचे दब सी गईं. नई भावनाओं ने जल की लहरों की तरह उस के हृदय में उछाल लेना शुरू कर दिया, जैसे कोई नया तूफान आने वाला था. नए तूफान को रोकने का उस ने प्रयास नहीं किया, वह कमजोर हो गई थी. प्यार के मामले में हर युवती बहुत कमजोर होती है. प्यार के नाम पर कोई भी युवक उसे किसी भी तरफ झुका सकता है. नित्या दूसरी बार झुकने के लिए अपने मन को तैयार कर रही थी.

सहेलियों के बीच वह एक ठूंठ सिद्ध हो चुकी थी. उस ने तय कर लिया, अब वह फूल की तरह कोमल बन कर दिखाएगी. उस ने अपने दिमाग को इधरउधर दौड़ाया. कई युवकों के चेहरे उस के मस्तिष्कपटल पर दौड़ने लगे, लेकिन उस ने तय किया कि वह किसी क्लासमेट या कालेज के किसी युवक से दोस्ती नहीं करेगी. मिलिंद भी उस के कालेज का लड़का था, वह कितना छिछोरा और बदमाश निकला. इस बार वह किसी नौकरीशुदा व्यक्ति से दोस्ती करेगी.

उस ने अपना मन अपने मकान में रहने वाले किराएदारों की तरफ केंद्रित किया. जिस मकान में वह रहती थी, उस में कई किराएदार थे. ज्यादातर कालेज की युवतियां थीं, कुछ आईटी प्रोफैशनल भी थे. कुछ अन्य नौकरी करने वाले थे. राहुल नित्या के कमरे के बिलकुल सामने रहता था. वह जब भी सामने पड़ता, उसे देख कर मुसकरा देता. पहले वह तटस्थ रहती थी, लेकिन जब उस के मन की भावनाओं ने पंख फैलाने शुरू किए, तो उस के होंठों पर भी मुसकान की मीठी झलक दिखाई देने लगी. युवकयुवती के बीच एक बार मुसकान का आदानप्रदान हो जाए, तो दूरियां कम होने में वक्त नहीं लगता.

ये भी पढ़ें- Raksha Bandhan Special: चमत्कार- क्या बड़ा भाई रतन करवा पाया मोहिनी की शादी?

राहुल से रिश्ता बनाते समय उसे तनिक भी खयाल नहीं आया कि वह एक बार प्यार में धोखा खा चुकी है. इस बार ठोंकबजा कर राहुल को परख ले, जब प्यार की चिनगारी हृदय को जलाने लगती है, तो सारी सावधानी और समझदारी धरी की धरी रह जाती है.

बात बढ़ी, तो बढ़ती ही चली गई. दोनों एक ही बिल्डिंग में रहते थे, इसलिए उन के मिलने में कोई व्यवधान भी नहीं था. स्वच्छंद रूप से दिनरात जब भी मन करता, वे मिल लेते. उन के बीच की सारी दूरियां बिना किसी देरी के समाप्त हो गईं.

शिखा को उस के अफेयर के बारे में पता चलते देर न लगी. पूछा, ‘‘नित्या, तू तो बड़ी तेज निकली. इतनी जल्दी बौयफ्रैंड बना लिया. कल तक तो प्रेम के नाम पर नाकभौं सिकोड़ती थी.’’

नित्या ने सिर झटकते हुए कहा, ‘‘क्यों, क्या मैं प्यार नहीं कर सकती? आखिर सामान्य युवती हूं. मन में भावनाएं हैं, इच्छाएं हैं और हृदय में कामनाएं मचलती हैं. जब तक मन का दरवाजा नहीं खुलता, बाहर की हवा की सुगंध मनमस्तिष्क में नहीं घुसती, तब तक कामदेव के बाण किसी को घायल नहीं करते. मैं ने भी तुझ से सीख ले कर मन की आंखें खोल दीं, हृदयपटल को खोल कर ‘उसे’ प्रवेश करने की अनुमति दे दी. फिर तो तुम जानती ही हो, प्रेम की चिनगारी भड़कने में देर नहीं लगती.’’

‘‘पर तुम ने राहुल को क्यों पसंद किया. तुम्हारे क्सासमेट भी तो हैं?’’

‘‘तुम नहीं समझोगी. साथ में पढ़ने वाले युवकों में गंभीरता नहीं होती. उन का भविष्य अनिश्चित सा रहता है. पूरी तरह

से वे मांबाप पर निर्भर रहते हैं. राहुल नौकरीशुदा है. वह मेरा खर्च उठा सकता है.’’

‘‘क्या करता है वह?’’

‘‘शायद किसी आईटी कंपनी में ऐग्जिक्यूटिव है. मैं ने पूछा नहीं है.’’

‘‘नौकरी वाला बौयफ्रैंड पसंद किया है, तो क्या तुम उस से शादी करने की सोच रही हो?’’

‘‘क्या हर्ज है, अगर वह तैयार हो जाए,’’ नित्या ने लापरवाही से कहा.

‘‘तुम ने बात की है?’’

‘‘कर लूंगी, अभीअभी तो प्यार हुआ है. कुछ दिन एंजौय करने दो.’’

शिखा  गंभीर हो गई, ‘‘नित्या, एक बात अच्छी तरह समझ लो, प्यार अगर मौजमस्ती के लिए है, तो इस में सबकुछ जायज है, पर अगर शादी कर के घर बसाने के उद्देश्य से तुम राहुल से प्यार कर रही हो, तो संभल कर रहना. पहले शादी कर लो, फिर अपना तन उस को समर्पित करना. आजकल शादी के नाम पर युवक बहलाफुसला कर युवतियों का सालों शोषण करते हैं और जब उन का मन भर जाता है, तो युवती को ठोकर मार कर भगा देते हैं. युवतियां भावुक होती हैं. वे बहुत जल्दी युवकों की बातों पर विश्वास कर लेती हैं और बाद में पछताती हैं. तुम राहुल से साफसाफ बात कर लो कि वह क्या चाहता है और तुम भी अपने दिल की बात उस के सामने रख दो कि तुम उस से शादी करना चाहती हो, वरना बाद में पछताओगी.’’

नित्या के मन में बात खटक गई. शिखा सच कह रही थी. प्यार कोई खेल तो है नहीं, जो केवल मनोरंजन के लिए खेला जाए. ऐसा प्यार वासना का खेल बन जाता है. उस ने खुद को धिक्कारा…. उसे क्या कभी अक्ल नहीं आएगी. एक बार लुट चुकी है और दूसरी बार लुटने को तैयार है. जीवनभर क्या वह प्यार के नाम पर अलगअलग युवकों के हाथों अपने शरीर को नुचवाती रहेगी, अपनी अस्मिता तारतार करवाती रहेगी?

उसे अफसोस होने लगा कि प्यार में वह इतनी जल्दबाजी क्यों करती है, दो दिन की बातचीत और मीठीमीठी बातों में आ कर उस ने खुद को राहुल के चरणों  में समर्पित कर दिया.

अगली मुलाकात में उस ने राहुल से पूछ लिया, ‘‘राहुल, तुम ने अपने बारे में कभी कुछ नहीं बताया, जबकि मैं अपने बारे में तुम्हें सबकुछ बता चुकी हूं.’’

‘‘क्या जानना चाहती हो मेरे बारे में?’’ उस ने संशय से पूछा.

‘‘मैं तुम्हारे नाम के सिवा क्या जानती हूं.’’

‘‘क्या तुम्हारे लिए इतना जानना पर्याप्त नहीं है कि मैं तुम्हारा प्रेमी हूं?’’

‘‘प्यार की अंतिम परिणति शादी होती है, इसलिए एकदूसरे के घरपरिवार के बारे में जानना भी जरूरी है,’’ नित्या ने अपने मन की बात कही.

राहुल ने टालने के भाव से कहा, ‘‘तुम कहां बेमतलब की बातों में पड़ी हो. दुनियादारी के लिए सारी उम्र पड़ी है. अभी प्यार का मौसम है, जी भर कर प्यार कर लो और उस की सुगंध अपने तनबदन में भर लो. प्यार की खुशबू से जब तनमन नहाने लगता है, तो बाकी चीजें गौण हो जाती हैं. अभी तुम केवल मेरे बारे में सोचो और मैं तुम्हारे बारे में… बस,’’ उस ने नित्या को बांहों में समेटने की कोशिश की.

नित्या ने प्यार से उसे अलग करते हुए कहा, ‘‘तुम अपनी मीठीमीठी बातों से  टालने की कोशिश मत करो. मेरे लिए यह जानना काफी अहम है कि मैं ने जिस व्यक्ति से प्यार किया, वह जीवन में कितनी दूर तक मेरा साथ देगा. पुरुष और स्त्री को बांधने का सूत्र प्रेम होता है और जब वह सूत्र शादी के बंधन में बंध जाता है तो यह अटूट हो जाता है.’’

‘‘क्या दकियानूसी बातें कर रही हो. जब हम स्वेच्छा से एकदूसरे के साथ रह रहे हैं, तो बीच में शादी कहां से आ गई?’’

‘‘राहुल, तुम बात को समझने का प्रयास करो. अब हम बच्चे या किशोर नहीं हैं, पूरी तरह से बालिग हैं. लिवइन रिलेशनशिप केवल वासना की पूर्ति का एक आधुनिक बहाना है, वरना समाज में इस तरह के कृत्य अवैध रूप से पहले भी चलते थे और आज भी चल रहे हैं. लेकिन परिवार और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों के साथ अगर पतिपत्नी का रिश्ता निभाया जाए, तो सभी सुखी रहते हैं.’’

नित्या ने सोचसमझ कर बहुत गंभीर बात कही थी. उस में अब परिपक्वता झलक रही थी, क्यों न हो आखिर? ठोकर खाने के बाद तो मूर्ख भी अक्लमंद हो जाते हैं. इस के बाद भी अगर नित्या को अक्ल न आती, तो कब आती?

ये भी पढ़ें- Social Story In Hindi: कसूर किस का था

राहुल चिंतित हो गया, फिर बोला, ‘‘यार, तुम ने भी अच्छाखासा रोमांटिक मूड खराब कर दिया. मैं बाद में इस मुद्दे पर बात करूंगा,’’ फिर वह अपने औफिस चला गया.

नित्या को उस की यह बेरुखी अच्छी नहीं लगी. वह समझ गई थी कि राहुल उस के साथ केवल शारीरिक संबंध बनाने तक ही रिश्ता कायम रखना चाहता है. इस के अलावा वह किसी और जिम्मेदारी के प्रति गंभीर नहीं है, पर बिना किसी जिम्मेदारी के यह रिश्ता भी कोई रिश्ता है. क्या यह एक प्रकार की वेश्यावृत्ति नहीं है? बिना प्रतिबद्धता और सामाजिक बंधन के युवती एक युवक के साथ रहे या दो के साथ, क्या फर्क पड़ता है? इस में पारिवारिक और सामाजिक प्रतिष्ठा कहां है. युवती को तो अपनी अस्मिता लुटा कर ही यह सब करना पड़ता है. बदले में उसे क्या मिलता है? युवक के चंद मीठे बोल, कुछ उपहार लेकिन सामाजिक सुरक्षा इस में कहां है? उसे लांछनों के साथ समाज में जीवित रहना पड़ता है.

 नित्या का मन खट्टा हो गया, लेकिन उस ने राहुल से दूरी बनाने का कोई प्रयास नहीं किया. उस से फायदा भी क्या होता. उच्छृंखल प्यार आज के युवाओं की नियति है.

‘‘तुम्हारा अफेयर कैसा चल रहा है?’’ एक दिन शिखा ने नित्या से पूछ लिया.

‘‘ठीक जैसा कुछ भी नहीं है,’’ उस ने उदासीनता से कहा. फिर पूछा, ‘‘एक बात बताओ शिखा, प्यार के मामले में क्या युवक अपने बारे में सबकुछ सहीसही नहीं बताते?’’

शिखा ने कुछ सोचने के बाद जवाब दिया, ‘‘हां, मुझे भी ऐसा लगता है. ज्यादातर मामलों में हम इन के नाम के सिवा और कुछ नहीं जानते. युवतियों को इंप्रैस करने के लिए ये बड़ीबड़ी बातें करते हैं. अपने घरपरिवार और बाप की आमदनी के बारे में बहुत ऊंचीऊंची हांकते हैं. अपनी हैसियत से बढ़ कर खर्च करते हैं, पर जब युवती चंगुल में फंस जाती है, तो धीरेधीरे इन की पोलपट्टी खुलने लगती है. ऐसे संबंधों में बहुत जल्दी खटास घुल जाती है, लेकिन तुम ये यह क्यों पूछ रही हो. क्या राहुल से कोईर् अनबन हुई है? ’’

‘‘नहीं, अनबन तो नहीं हुई है, परंतु मैं ने जब उस के व्यक्तिगत जीवन और परिवार के बारे में पूछा तो वह टाल गया.’’

‘‘तुम मूर्ख हो, इस उम्र के प्यार में कोई गंभीरता नहीं होती. युवक अच्छी तरह जानते हैं कि ऐसा प्यार क्षणिक मौजमस्ती के अलावा और कुछ नहीं होता. बाद में उन्हें अपने कैरियर पर ध्यान देना होता है और मांबाप की पसंद से शादी करनी पड़ती है. इसलिए कालेज में पढ़ाई के दौरान कोई भी युवक प्यार के प्रति गंभीर नहीं होता. 1-2 फीसदी को छोड़ दें, तो शेष युवक उसे शादी के अंजाम तक नहीं ले जाना चाहते. ये तो केवल युवतियां हैं, जो इस प्यार को बहुत गंभीरता से लेती हैं. तभी तो उन का संबंध थाना, कचहरी में जा कर समाप्त होता है.’’

‘‘क्या तुम भी अपने बौयफ्रैंड के बारे में कुछ नहीं जानती?’’ उस ने पूछा.

‘‘क्या जरूरत है डार्लिंग, उस की मरजी है, बताए चाहे न बताए. हम क्यों इन बेकार की बातों में अपना समय बरबाद करें. कुछ दिनों तक का साथ हैं, फिर वह अपने रास्ते, मैं अपने घर. मैं कौन सा उस के साथ शादी करने वाली हूं. कालेज के बाद कौन कहां जाता है, किस को पता? मैं तो इस बात की पक्षधर हूं, जवानी में प्यार चाहे किसी से कर लो, लेकिन शादी मांबाप की पसंद से करो, तभी सुखचैन मिलता है.’’

‘‘तो तुम प्यार में सीरियस नहीं हो?’’

‘‘प्यार में सीरियस हूं, पर शादी के लिए नहीं. हम दोनों ही यह बात अच्छी तरह जानते हैं. एक बात तुम भी जान लो नित्या कोई भी युवक लंबे समय तक किसी लड़की को प्यार के बंधन में बांध कर नहीं रख सकता. कुछ समय बाद दोनों एकदूसरे से ऊबने लगते हैं, फिर उन के बीच मनमुटाव और लड़ाईझगड़ा आरंभ होता है. ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं कि उन का प्रेमसंबंध लंबे समय तक चल नहीं पाता.

‘‘विवाह ही एक ऐसा सामाजिक बंधन है, जो जीवनभर 2 व्यक्तियों को आपस में बांध कर रखता है. शादी के बाद बच्चे पतिपत्नी को जोड़ कर रखने में अहम भूमिका निभाते हैं. इसीलिए शादी हर पुरुष और महिला के सुखमय जीवन के लिए बहुत आवश्यक है.’’

नित्या सोच में पड़ गई. भावुकता में आ कर उस ने दूसरी बार प्यार कर लिया था. पहले प्यार के दुष्परिणाम से उस ने कोई सबक नहीं सीखा. अब राहुल से प्यार कर के वह क्या प्राप्त करना चाहती थी. क्या यह प्रेम भी शारीरिक मिलन तक ही सीमित रहेगा? नहीं, इस प्यार को वह खिलवाड़ नहीं बनने देगी. इसे शादी के अंजाम तक ले कर जाएगी.

उस ने शिखा से कहा, ‘‘यार, मैं अपने प्यार को शादी के अंजाम तक पहुंचाना चाहती हूं, लेकिन मुझे नहीं लगता, राहुल इस बारे में सीरियस है. बताओ, मैं क्या करूं?’’

‘‘तब तो तुम उस से दूरी बना कर रखो. अभी तक जो किया उसे भूल जाओ. अब जब भी उस से मिलो, उसे केवल बातों में उलझा कर रखो. वह संबंध बनाने की बात करे तो साफ मना कर दो कि अब यह सब शादी के बाद ही होगा. तुम अपने मन को दृढ़ बना कर रखोगी, तो वह तुम से जबरदस्ती नहीं कर सकेगा. देखना, कुछ दिनों में ही उस के मन की बात सामने आ जाएगी. अगर वह तुम से वास्तव में प्यार करता होगा और घर बसाने के लिए जरा भी गंभीर होगा, तो तुम से संबंध बना कर रखेगा वरना खुद ही दूरी बना कर रास्ते से हट जाएगा.’’

अगली बार जब राहुल ने उस के साथ संबंध बनाने का प्रयास किया, तो उस ने कड़े शब्दों में मना कर दिया, ‘‘नहीं राहुल, रोजरोज यह ठीक नहीं है.’’

‘‘क्यों, पहले तो हम रोज यह करते थे?’’ राहुल ने आश्चर्य से पूछा.

‘‘पहले नादानी थी, भावुकता थी और प्यार भी नयानया था, लेकिन अब हमें भविष्य के बारे में भी सोचना है. हम एकदूसरे को अगर वास्तव में प्यार करते हैं, तो शारीरिक मिलन कोई आवश्यक नहीं है. हम शादी होने तक इसे स्थगित रख सकते हैं.’’

ये भी पढ़ें- Raksha Bandhan Special: समय चक्र- अकेलेपन की पीड़ा क्यों झेल रहे थे बिल्लू भैया?

‘‘शादी, यह विचार तुम्हारे मन में कहां से आ गया?’’ राहुल तिलमिला उठा.

‘‘क्यों, प्यार की परिणति क्या शादी नहीं होती. प्यार क्या केवल वासना का खेलभर है?’’

‘‘नहीं, मेरा मतलब, तुम अभी पढ़ रही हो. मेरा कैरियर अभी शुरू हुआ है.’’

‘‘इस से क्या… मैं पढ़ते हुए प्यार के खेल में शारीरिक संबंध बना सकती हूं, तुम कैरियर की शुरूआत में मुझे पत्नी की तरह भोग सकते हो, तो हम शादी क्यों नहीं कर सकते.’’

‘‘मेरा मतलब है, तुम्हारा एमबीए का यह पहला साल है. मुझे आर्थिक रूप से जमने में 2-4 साल लग ही जाएंगे. इस के बाद ही हम शादी के बारे में सोच सकते हैं. तब तक हम अपनी भावनाओं और शारीरिक आवश्यकताओं को दबा कर कैसे रह सकते हैं?’’

‘‘जिस तरह अविवाहित युवकयुवतियां संयमित हो कर रहते हैं. क्या हम में इतना संयम नहीं है,’’ नित्या ने कहा तो राहुल तिलमिला कर रह गया.

इस के बाद लगभग रोज ही संबंध बनाने के लिए उन के बीच तकरार होती. मुसीबत यह थी कि दोनों एक ही बिल्डिंग में रहते थे. राहुल का जब मन करता, उसे अपने कमरे में बुला लेता.

नित्या के मना करने से राहुल आक्रामक होने लगा. कई बार तो वह जबरदस्ती नित्या को नोचनेखसोटने लगता. एकदो बार तो उस ने उस के कपड़े तक फाड़ दिए. नित्या किसी तरह अपने शरीर में खरोंचो के निशान ले कर बचतीबचाती बाहर निकलती. फिर कई दिनों तक उन के बीच बातचीत नहीं होती. राहुल की तरफ से मोबाइल पर धमकीभरे मैसेज आते कि वह नित्या के अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर देगा.

यह धमकी मिलने के बाद नित्या चिंता में पड़ गई. उस ने शिखा से सलाह ली. शिखा ने पूछा, ‘‘क्या उस ने तुम्हारा कोई अश्लील वीडियो बनाया है?’’

‘‘कह नहीं सकती. मेरी जानकारी में तो नहीं, परंतु आजकल मोबाइल फोन का जमाना है. कहीं भी छिपा कर वीडियो बनाए जा सकते हैं.’’

‘‘मेरा सोचना सही था, राहुल बदमाश किस्म का युवक है. उस की मनशा पूरी नहीं हो रही है, तो वह तुम्हें बदनाम करने की धमकी दे रहा है. वह कोईर् ऐसा प्रयास करे, उस के पहले ही हमें उस के पंख कुतर कर फेंकने होंगे.’’

‘‘वह कैसे?’’

‘‘वैसे तो अगर उस ने तुम्हारा कोई गलत वीडियो इंटरनैट पर अपलोड किया तो हम कानून का सहारा ले सकते हैं, पर यह एक लंबी प्रक्रिया है और इस में बदनामी भी हो सकती है. लेकिन तुम चिंता मत करो, मैं कुछ करती हूं,’’ उस ने नित्या को आश्वासन दिया. शिखा उस समय उस को बड़ी बहन जैसी लगी.

शिखा ने अपने बौयफ्रैंड को नित्या की समस्या के बारे में बताया, तो उस ने अपने कुछ दोस्तों के साथ मिल कर शर्लाक होम्स टाइप की जासूसी की और राहुल के बारे में जो सूत्र एकत्र किए, वह नित्या के होश उड़ाने के लिए काफी थे.

राहुल किसी आईटी कंपनी में काम नहीं करता था. वह एक कूरियर कंपनी में डिलीवरी बौय था और मात्र 10वीं पढ़ा था. वे देखने में ठीकठाक और बातें बनाने में माहिर था, इसलिए वह अपने बारे में ढेर सारी अच्छी बातें बता कर युवतियों को इंप्रैस करता था. उस की आमदनी बहुत कम थी, जो एक व्यक्ति के गुजारे के लिए भी पूरी न पड़े.

नित्या को अब समझ में आ गया था कि राहुल क्यों एक छोटे से कमरे में रहता था. आईटी कंपनी में काम करता होता, तो किसी बड़े फ्लैट में रहता. पता नहीं  युवतियों को ये बातें प्यार करते समय क्यों ध्यान में नहीं आतीं.

ये भी पढ़ें- Social Story In Hindi: मैं थी, मैं हूं, मैं रहूंगी- विधवा रितुल की कैसे बदली जिंदगी

अब क्या? नित्या के समक्ष एक बहुत बड़ा प्रश्न आ खड़ा हो गया था. उस ने शिखा और उस के मित्रों के साथ बैठ कर इस पर चर्चा की. नित्या का दिल ही नहीं टूटा था, उस का आत्मसम्मान भी बिखर गया था. उस की समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि क्या करे? राहुल के प्रति उस के मन में घृणा का लावा उबल रहा था. वह उस का मुंह भी नहीं देखना चाहती थी.

शिखा ने उसे सांत्वना देते हुए कहा, ‘‘नित्या, तुम चिंता न करो. हम सब तुम्हारे साथ हैं.’’

‘‘शिखा, मुझे डर लग रहा है. उस ने अगर मेरा कोई अश्लील फोटो सोशल मीडिया पर डाल दिया तो मैं कहीं की नहीं रहूंगी. मांबाप को कैसे मुंह दिखाऊंगी. बात अगर थानापुलिस तक पहुंच गई, तब तो और भी मुश्किल में पड़ जाऊंगी. सिवा मरने के मेरे पास और कोई चारा नहीं रहेगा.’’

‘‘इतना हताश होने की जरूरत नहीं है,’’ शिखा के दोस्त अभिनव ने कहा. उसी ने राहुल के बारे में व्यक्तिगत जानकारी जुटाई थी, ‘‘वह कुछ करे, उस से पहले ही हम लोग कुछ करते हैं.’’

‘‘क्या पुलिस में रिपोर्ट लिखाओ?’’ नित्या ने सहमते हुए पूछा.

‘‘नहीं, हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे.’’

इस के बावजूद नित्या का मन अशांत था. शिखा के समझाने के बावजूद वह अपने मन को स्थिर नहीं रख पा रही थी. सोचसोच कर वह पागल हो गई थी. राहुल का उसे उतना डर नहीं था, जितना बदनामी का. यह स्थिति बहुत दुखद होती है. मनुष्य गलत काम करते समय नहीं डरता, परंतु बदनामी से बहुत डरता है.

इस हताशा भरी स्थिति में भी वह राहुल से हंसहंस कर मिलती थी, ताकि वह उस को बदनाम करने के लिए कोई गलत कदम न उठा ले, लेकिन उस के साथ बाहर नहीं जाती थी. राहुल बहुत जिद करता था, वह पढ़ाई का बहाना बना कर टाल जाती थी. केवल उस के कमरे में जाती और दोचार बातें कर के तुरंत लौट आती. राहुल को वह कोई मौका नहीं देना चाहती थी कि उस के साथ जोरजबरदस्ती करे. जितना हो चुका था, उतना ही उस की आंखें खोलने के लिए काफी था. अब वह और दलदल में नहीं धंसना चाहती थी.

एक दिन राहुल ने उसे पकड़ कर कहा, ‘‘आखिर, तुम्हारे साथ दिक्कत क्या है? बहाने बनाबना कर मुझ से दूर क्यों चली जाती हो? एक दिन था, जब मेरी बांहों से निकलने का तुम्हारा मन नहीं करता था और अब छूते ही जैसे तुम्हें करंट लग जाता है.’’

राहुल ऐसे कह रहा था, जैसे वह उस की बीवी हो. नित्या को भी गुस्सा आ गया. उस ने तीक्ष्ण दृष्टि से राहुल की आंखों में देखा और तड़पती आवाज में कहा, ‘‘यह तुम अपने दिल से पूछो. मैं क्यों तुम से दूर जाने का प्रयास कर रही हूं. तुम वह नहीं हो, जो तुम ने मुझे बताया है. क्या मैं तुम्हारा कच्चाचिट्ठा खोलूं. झूठे कहीं के… मक्कार… अपनी झूठी बातों से मुझे बहला कर लूट लिया, अब और मुझे कितना बहकाओगे,’’ यह बात उस ने ऊंची आवाज में कही थी.

अचानक राहुल के कमरे का दरवाजा भड़ाक से खुला और शिखा के साथ उस के 3 दोस्त एकसाथ कमरे में घुस आए. राहुल अब भी नित्या को बांहों से पकड़ कर अपनी तरफ खींच रहा था और नित्या खुद को उस से छुड़ाने का प्रयास कर रही थी. शिखा के दोस्तों ने इसी अवस्था में उस के कई फोटोग्राफ खींच लिए. एक दोस्त ने वीडियो बना लिया. राहुल ने हकबका कर नित्या को छोड़ दिया.

‘‘तो जनाब अकेली लड़की के साथ बलात्कार करने की कोशिश कर रहे थे,’’ शिखा ने आगे बढ़ कर राहुल के गाल पर तमाचा जड़ दिया. वह विवेकशून्य हो कर रह गया. इस स्थिति की उस ने कल्पना ही नहीं की थी. शिखा के दोस्त उस की तरफ धमकाने वाले अंदाज में देख रहे थे.

अभिनव ने उस का कौलर पकड़ते हुए कहा, ‘‘लड़कियों का बहुत शौक है न तुम्हें. तो जरा प्यार से उन्हें पटाओ. यह क्या? जोर जबरदस्ती करने लगे. यह तो बलात्कार की श्रेणी में आता है. अब तो बच्चू, तुम 10 वर्षों तक जेल में रहोगे.’’

‘‘मैं ने कुछ नहीं किया, कुछ नहीं, वो तो बस…’’ राहुल घबरा कर बोला. उस की आंखों में बेचारगी और भय के मिलेजुले भाव साफ दिखाई दे रहे थे. उस की आवाज गले में खरखराने लगी थी.

‘‘यह तो तुम थाने में जा कर सफाई देना. तुम्हारी करतूत हमारे मोबाइल में कैद हो चुकी है. तुम्हें मालूम ही होगा, दिल्ली के निर्भयाकांड के बाद बालात्कार का कानून कितना सख्त हो गया है. आसाराम जैसा तथाकथित भगवान भी अपने बेटे के साथ जेल में बंद है. तुम तो भूल ही जाओ कि मरते दम तक तुम्हारी जमानत होगी. हम सब तुम्हारे खिलाफ गवाही देंगे.’’

राहुल की घिग्घी बंध गई. वह कांपने लगा था. उस के मुंह से आवाज भी नहीं निकल रही थी. आंखों में आश्चर्य, अनिश्चय और भय की रेखाएं एकसाथ तैर रही थीं.

‘‘पुलिस बुलाने से पहले चलो बैठ कर कुछ बात कर लेते हैं,’’ वे सब इधरउधर बैठ गए, लेकिन राहुल और नित्या खड़े ही रहे.

‘‘तो तुम ने नित्या के कितने वीडियो बनाए हैं,’’ अभिनव ने पूछा.

‘‘वीडियो, नहीं तो… मैं ने इस का कोईर् वीडियो नहीं बनाया. बस, फोटो खींचे हैं, जो मेरे मोबाइल में हैं.’’

‘‘मोबाइल दिखा.’’

मोबाइल में सचमुच नित्या का कोई अश्लील वीडियो नहीं था. कुछ फोटो थे, जिन्हें अभिनव ने तुंरत डिलीट कर दिए. फिर उस के दोस्त ने पूरे कमरे की तलाशी ली. कोई दूसरा मोबाइल, मैमोरी कार्ड या कंप्यूटर भी नहीं मिला.

‘‘अब बताओ, तुम नित्या के साथ जबदस्ती क्यों कर रहे थे?’’

‘‘सर, मैं जबरदस्ती नहीं कर रहा था. मैं तो उसे प्यार करता हूं और वह भी …’’

‘‘कमीने, तूने अपनी औकात देखी है. तू एक कूरियर बौय है और वह एक सम्मानित घराने की युवती, जो एमबीए कर रही है. तू उस की हैसियत तक कैसे पहुंचेगा? अब बता तेरे साथ क्या सुलूक किया जाए?’’

‘‘सर, मैं मानता हूं, मुझसे गलती हुई. मैं ने उस से झूठ बोला था कि मैं आईटी कंपनी में इंजीनियर हूं, परंतु मुझे पुलिस में मत दीजिए, मैं बरबाद हो जाऊंगा. मैं बहुत गरीब हूं.’’

‘‘ये बातें तू ने पहले क्यों नहीं सोची थीं. अब जब फंस गए, तो तुम्हें अपनी गरीबी याद आ रही है. लेकिन आदमी जब गलत काम करता है तो उस को कष्ट, दुख और परेशानी उठानी ही पड़ती है. तुम्हें भी अपने दुष्कर्म का परिणाम भुगतना पड़ेगा,’’ अभिनव ने नाटकीय अंदाज में कहा.

‘‘सर, आप मुझे छोड़ दीजिए. आप जो कहेंगे, मैं करने के लिए तैयार हूं,’’ उस ने हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाते हुए कहा.

‘‘जेल जाने से डर लगता है, नित्या को धमकाते हुए डर नहीं लगा, उस के साथ जोरजबरदस्ती करते हुए डर नहीं लगा. खुद की बारी आई तो जेल जाने से डर लगने लगा, वाह रे सूरमा चलो, कागजकलम निकालो और अपना बयान लिखो.’’

नित्या की समझ में नहीं आ रहा था कि शिखा और उस के दोस्त क्या करने वाले थे. उन्होंने अपनी योजना के बारे में उसे कुछ नहीं बताया था.

राहुल ने लिख कर दिया, ‘‘मैं शपथपूर्वक यह बयान करता हूं कि मैं नित्या को कभी, किसी प्रकार तंग नहीं करूंगा. मैं ने उस के साथ जो किया, उस के लिए माफी मांगता हूं. अगर उस के साथ किसी प्रकार की ज्यादती हुई, तो उस के लिए मैं जिम्मेदार होऊंगा.’’

यह परवाना लिखवाने के बाद अभिनव ने कहा, ‘‘अब आज ही यहां से कमरा खाली कर दफा हो जाओ. दोबारा इधर मुड़ कर देखने की कोशिश की तो तुम्हारे फोटोग्राफ्स और यह बयान पुलिस के हवाले कर दूंगा. इस के बाद तुम अपना परिणाम देखना. यह मत सोचना कि तुम्हारा पता नहीं चलेगा. तुम्हारी कंपनी से तुम्हारा व्यक्तिगत चिट्ठा हम ने निकलवा कर अपने पास रख लिया है.’’

ये भी पढ़े-ं Social Story In Hindi: देवकन्या – राधिका मैडम का क्या था प्लान

राहुल को डराधमका कर जब सब नित्या के कमरे में आए, तब भी वह गौरैया की तरह डरी हुई थी.

‘‘अगर उस ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर कोई बदमाशी की तो… ’’ नित्या ने कांपते हुए कहा.

‘‘समझदार होगा तो नहीं करेगा वरना मूर्ख और अपराधी प्रवृत्ति के लोगों की कमी इस दुनिया में नहीं है. वैसे, तुम्हें चिंता करने की आवश्यकता नहीं है. हम ने कालेज प्रबंधन से बात कर के तुम्हारे लिए कालेज होस्टल में एक कमरा अलौट करवा दिया है. कल से तुम वहीं रहोगी.’’

‘‘मेरे प्यारे दोस्तो, मैं आप लोगों का किस प्रकार शुक्रिया अदा करूं?’’

‘‘शुक्रिया तुम शिखा का अदा करो. यदि वह न होती तो पता नहीं तुम किस मुबत में फंस जातीं. वह बहुत स्ट्रौंग युवती है. अब तुम अपनी पढ़ाई की तरफ ध्यान दो. इस उम्र में प्यार होना स्वाभाविक है, लेकिन यदि सोचसमझ कर प्यार किया जाए तो अच्छा होता है. कई बार हम गलत व्यक्ति से प्यार कर बैठते हैं. अब एक बार तुम ठोकर खा चुकी हो, अगली बार ध्यान रखना.’’

‘एक बार कहां, वह तो 2-2 बार ठोकर खा चुकी है,’ नित्या ने सोचा, ‘काश प्यार सोचसमझ कर किया जा सकता. मुश्किल तो यही है कि यह अचानक हो जाता है और प्यार करने वाले को पता ही नहीं चलता कि उस का प्यार कब उसे मुसीबत और परेशानी की दलदल में धकेल देता है.’

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...