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2-3 लोग और थे. पार्टी जोरशोर से चल रही थी. उन्होंने भी एक सौफ्ट डिं्रक ले लिया. वह उन से 2 साल जूनियर था. उन्हें सर कहता था. मौका देख कर उन्होंने चर्चा छेड़ी.

‘‘यार दोस्त, तुम से एक छोटा सा काम था?’’

‘‘हुक्म कीजिए, सर. आज तक तो कोई काम कहा नहीं आप ने?’’

‘‘कभी जरूरत ही नहीं पड़ी. दरअसल, तुम्हारे विभाग के यानी फिशरीज के हैड औफिस में लाइब्रेरी है. उस में वैकेंसी आई है. तुम्हें पता है क्या?’’

‘‘मुझे तो लाइब्रेरी है, यह भी नहीं मालूम. बहरहाल, होगी लाइब्रेरी. आप का कोई कैंडीडेट है क्या?’’

‘‘हां, एक लड़की है. मेरे परिचित हैं, उन की लड़की है.’’

‘‘तो प्रौब्लम क्या है. जब इंटरव्यू होगा तो मुझे याद दिला दीजिएगा. डिटेल ले कर अपने पास रख लीजिए.’’

‘‘देख लेना भाई जरा. बड़ी नीडी लड़की है. वैसे, डिजर्विंग भी है. एमलिब कर रही है.’’

‘‘देखना क्या है, वैसे तो सुपरिटैंडैंट लेवल के लोग ऐसा इंटरव्यू लेते हैं पर मैं कह दूंगा. समझ लीजिए, हो गया सर. और अगर लड़की ज्यादा खूबसूरत हो तो कहिएगा मुझ से मिल लेगी,’’ जौइंट सैक्रेटरी अभिमन्यू ने बाईं आंख दबाई.

‘‘अरे नहीं यार, मेरे बड़े खास हैं. बड़ी सोबर फैमिली है. पर एक बात बताओ, तुम इतनी गर्लफ्रैंड्स मेनटेन कैसे कर लेते हो?’’

‘‘बस हो जाता है सब. हैल्थ सप्लीमैंट्स जिंदाबाद. सप्लीमैंट्स में बड़ी ताकत होती है. आप को मेरी किसी सलाह की जरूरत हो तो निसंकोच बताइएगा,’’ अभिमन्यू मुसकरा रहा था. फिर धीरे से बोला, ‘‘होटलवोटल की जरूरत हो, तो वह भी बताइगा. मेरे बहुत परिचित हैं.’’

‘‘क्या बात करते हो यार. मैं ग्रैंड फादर बन चुका हूं.’’

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