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‘‘गुडमौर्निंग सर,’’ वे चौंक कर पीछे मुड़े.

वही लड़की पीछे खड़ी मुसकरा रही थी. वे एक क्षण के लिए ताज्जुब में पड़ गए. वह आज और भी सुंदर, और भी दिलकश लग रही थी. हरे रंग के सूट में उस की खूबसूरती और भी खिल रही थी. काउंटर पर बैठी हुई वह आधा ही दिखाई देती थी पर इस समय वह पूर्णरूप से उन के सामने थी. उस के पैरों में पतली मैचिंग चप्पलें थीं.

‘‘गुडमौर्निंग, बल्कि वैरी गुडमौर्निंग,’’ उन्होंने अपने को संभाल लिया. वे वाकई चौंक गए थे.

‘‘आय एम सौरी सर, मुझे पीछे से आवाज नहीं देनी चाहिए थी. आय एम रियली सौरी.’’

‘‘नहीं, कोई बात नहीं. आज आप की ड्यूटी काउंटर पर नहीं है क्या?’’

‘‘नहीं, यहां का कैटलौग बड़ा अव्यवस्थित है. वही ठीक करने के लिए कहा गया है. आप किस तरह की किताबें पढ़ते हैं सर?’’

‘‘नौरमली, मैं हर विषय पर पुस्तकें पढ़ लेता हूं. पर मेरी खास पसंद सोशल राइटिंग है.’’

‘‘आज लगता है अभी तक आप को कोई किताब पसंद नहीं आई है. क्या मैं आप की कोई मदद करूं?’’

‘‘नहींनहीं, मैं कर लूंगा. फिर तुम्हें अपना भी तो काम करना है, डिस्टर्ब होगा. माफ करना, मैं आप को तुम्हें कह गया.’’

‘‘ठीक तो है. आप को मुझे तुम ही कहना चाहिए. और मुझे क्या डिस्टर्ब होगा. कैटलौग का एक दिन का काम तो है नहीं. दसियों हजार किताबें हैं. पूरे कैटलौग को चैक करना व फिर मिसिंग को चढ़ाना एक आदमी का काम नहीं है. लाइब्रेरियन भी सिर्फ खानापूर्ति करते हैं. कहने को हो गया कि किसी को कैटलौग के काम में लगाया है.’’

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