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गहरी सोच में गुम होने पर उस के भीतर से आवाजें आने लगतीं कि सलोनी तू कितनी खुदगर्ज है. अपने क्षणिक सुख के लिए तू कितनी सारी सुखी जिंदगियां दांव पर लगा रही है. मातापिता के नाम पर दाग लगा कर सलोनी क्या तू सुख से रह सकेगी?

कमल के साथ चले जाने के बाद यदि नीरज ने तु  झे अवि और गुड्डी से मिलने का अधिकार नहीं दिया तो क्या तू ममता का गला घोट कर जी सकेगी? नौकरी पर चले जाने के बाद सासूमां कितने प्यारदुलार से अवि और गुड्डी का पालनपोषण अपनी देखरेख में करती हैं. क्या तू उन की अच्छाइयों को   झुठला सकेगी?

अब बस कर यहीं रुक जा सलोनी, चल आज रोक ले अपने बढ़ते कदमों को. अपने सुखीशांत वैवाहिक जीवन को खुद अपने हाथों से तबाह मत कर. नीरज के बाहरी व्यक्तित्व और काम के बो  झ तले दबे जिम्मेदार पिता के व्यवहार को नकारने के बजाय उस के साथ बिताए गए 10 सालों की अच्छाइयों को याद रख. अपने बच्चों का भविष्य सुखद बनाने के लिए ही तो तुम दोनों दिनरात दोहरी मेहनत करते हो. मानसिक तनाव दूर करने के लिए नीरज को अपनी पत्नी का साथ चाहिए तो इस में भला उस की क्या गलती है? इस से पहले तो तुम ने कभी ऐसा नहीं सोचा था. कमल के बजाय नीरज की जिम्मेदारियों को सकारात्मक दृष्टिकोण से सामने रख कर देख. तब सारी तसवीर तेरे सामने स्पष्ट होगी और तू सही निर्णय लेने में स्वयं सक्षम होगी. धीरेधीरे आंखों के सामने बीते समय के चित्र उभरने लगे...

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