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2 वर्षों से विशाल के साथ रिलेशनशिप के बाद शुभि ने मन ही मन उसे पति का दर्जा दे दिया था. लेकिन, विशाल का अचानक उस की जिंदगी से चले जाना उसे अब हर वक्त यही महसूस करा रहा था कि वह बुरी तरह ठगी गई है.

शुभि 3 घंटे एटीएम की लाइन में लगी हुई थी. आज शनिवार था, औफिस की छुट्टी थी, सैलरी आ गई थी. हर जगह तो कार्ड काम नहीं करता. कैश चाहिए ही था, इतने में उस के मोबाइल पर उस की सहेली विभा का फोन आ गया. उस की चहकती हुई आवाज सुनाई दी, ‘‘कहां है?’’

‘‘एटीएम की लाइन में.’’

‘‘रुचि और तनु मेरे घर आई हुई हैं. इस बार वैलेंटाइंस डे पर कुछ अलग करते हैं. चल, हम चारों गोवा चलते हैं.’’

‘‘नहीं यार, मेरा तो मन नहीं है, तुम लोग चली जाओ.’’

‘‘क्यों, तु झे क्या हुआ?’’

शुभि चुप रही तो विभा को उस की मनोदशा का अंदाजा तुरंत हो गया, बोली, ‘‘अरे यार, ब्रेकअप तनु का भी हुआ है, पर उसे देखो, वही जाने के लिए सब से ज्यादा जोर डाल रही है.’’

‘‘सौरी विभा, मैं नहीं जा पाऊंगी,’’ कहतेकहते जब शुभि का गला भर्रा गया तो विभा ने फौरन टौपिक चेंज कर दिया, इधरउधर की बातों के बाद फिर फोन रखा.

शुभि तो लाइन में खड़ीखड़ी पिछले वैलेंटाइंस डे की यादों में पहुंच गई. दिल से एक ठंडी सी उदास आह निकल गई, ‘ओह, विशाल, तुम कहां हो, तुम ने यह क्या किया.’ 2 वर्षों से शुभि और विशाल रिलेशनशिप में थे. शुभि तो मन ही मन स्वयं को उस की पत्नी मानने लगी थी. फलस्वरूप, अपना तनमन उसे सौंप चुकी थी. पर अचानक विशाल गायब हो गया था.

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