रितुल जैसे ही कमरे से बाहर निकली तो ऐसा लगा जैसे उस के मम्मीपापा के साथसाथ उस की 12 साला बेटी भी उसे सवालिया नजरों से देख रहे हैं. एक बार तो मन किया कि वापस कमरे में चली जाए पर कुछ सोच कर वह ठहर गई.

वह जैसे ही रसोई में घुसी तो मम्मी ने नफरत भरी नजरों से उस की तरफ देखा और कहा,"तुम्हें तो अभी तैयार होने में समय लगेगा, मैं खुद कर लूंगी."

नहाते हुए रितुल सोच रही थी कि क्या करे वह अपनी शरीर की इस क्षुधा का? अगर वह पुरुष होती तो क्या उस से इतने सवालजवाब होते?विधवा है मगर है तो औरत ही न.अगर उसे पुरुषों का साथ भाता है तो वह क्या करे? किसी का घर तो नहीं तोड़ रही है वह... उस के बहुत से पुरुष मित्र हैं पर उस ने कभी भी कुछ चोरीछिपे नहीं किया है और न ही कभी किसी का दिल दुखाया है.

जब वह नहा कर बाहर निकली तो रितुल का मन फूल की तरह हलका हो गया था. हरी तांत वाली कौटन की साड़ी बांधती रितुल के होंठों पर मुसकराहट थिरक उठी. नलिन उसे हमेशा साड़ी में ही देखना पसंद करता था. नलिन के साथ ही तो कल उसे सुरेंद्र चाचा ने होटल से बाहर निकलते हुए देख लिया था. तुरंत छोटे भाई का फर्ज निभाते हुए मम्मीपापा को सूचित कर दिया गया था.

खींसें निपोरते हुए सुरेंद्र ने रितुल के पापा विपुल से कहा,"भैया, अपनी बेटी ऐसा करे, अच्छा नहीं लगता.कभी नलिन तो कभी सचिन, आज मैं ने देखा है कल को कोई और देखेगा तो न जाने क्याक्या बात बनाएं. मेरी बात मानें, समय रहते रितुल की दूसरी शादी कर दीजिए."

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...