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‘‘अन्नू, प्लीज फ्रिज से सौस ले आओ. मैं पिज्जा ला रही हूं. बहुत बढि़या बना है. वाऊ. टौपिंग क्या शानदार गोल्डन ब्राउन बेक हुई है. मेरे तो मुंह में पानी आ रहा है,’’ ओटीजी से बेक किया हुआ पिज्जा निकाल कर लाते हुए मणिका मुदित मन पति से बोली.

तभी अनिमेष का मोबाइल बजा.

‘‘अन्नू, किस का फोन है?’’

‘‘मणिका, तुम जब तक पिज्जा टेबल पर लगाओ, मैं अभी आया.’’

‘‘अरे बताओ तो सही, किस का फोन है यह रात के एक बजे? कहां जा रहे हो भई? भूख लग रही है. कभीकभी तो दोनों एकसाथ खाते हैं, आधी रात को भी लोगों को चैन नहीं है. जरूर उस मुंह झंसी अमोला का फोन होगा. नहीं, तुम अभी कहीं नहीं जाओगे... आज का ऐनिवर्सरी डिनर हम साथ करेंगे.’’

‘‘अनिमेष बस अभी आया,’’ कह घर से निकल गया.

क्रोध से चालू ओटीजी बंद कर मणिका अपने बिस्तर पर जा कर पड़ गई. दिल में भीषण दावानल सुलग रहा था.

‘‘अन्नू को मेरी परवाह ही नहीं है. यह नहीं सोचा कि आज के स्पैशल दिन तो लगीलगाई टेबल छोड़ कर न जाए. जरूर वह चुड़ैल अमोला ही होगी,’’ शक का बिरवा वटवृक्ष बन बैठा और फिर गुस्से से थरथर कांपते हुए उस ने अमोला को फोन मिलाया, ‘‘अमोला, तुम कहां हो? अनिमेष तुम्हारे साथ है?’’

‘‘हां मणिका, अनिमेष ड्राइविंग कर रहा है. आज औफिस में देर तक रुकना पड़ा. सो मैं ने सोचा उसे ही बुला लूं.’’

‘‘तुम किराए की गाड़ी से नहीं जा सकती थी जो इतनी देर रात अनिमेष को बुलाया? हद है. जरा सोचा करो भई, उस की एक अदद बीवी भी है, जिसे उस का साथ चाहिए. यों रातबिरात मत बुलाया करो उसे, हां. खुद ड्राइव कर के क्यों नहीं आई?’’ मणिका ने क्रोध में फुफकारते हुए कहा.

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