बेटी के दुख से परेशान उस के पिता देर रात तक पत्नी पर अनिमेष को मणिका के लिए फाइनल करने का आरोप लगाते हुए झगड़ते रहे.
बहुत सोचविचार कर मणिका के मातापिता ने अगली सुबह ही बेटी के जीवन में अमोला को ले कर आई परेशानी का तोड़ ढूंढ़ने के लिए समधीजी के घर पर धावा बोल दिया, जो शिकागो में ही रहते थे.
‘‘भाई साहब, आप अपने बेटे को समझते क्यों नहीं. एक पराई औरत की खातिर वह अपने घर की शांति भंग करने पर क्यों उतारू है?’’ मणिका के पिता ने समधी को आड़े हाथों लेते हुए कहा.
समधी के इस वार पर तिलमिलाते हुए अनिमेष के पिता बोले, ‘‘आप की बेटी ने तो तिल का ताड़ बना दिया है. अमोला अनिमेष की बहन जैसी है. अगर वह उस के बुलावे पर उसे घर छोड़ने चला भी गया, तो क्या गजब हो गया?’’
‘‘जी, एक पराई औरत की खातिर बीवी का दिल तोड़ना क्या सही है? कल मणिका ने इतने मन से इतना समय लगा कर अनिमेष की पसंद का पिज्जा बनाया. वे दोनों खाने बैठने ही वाले थे कि अनिमेष लगीलगाई टेबल छोड़ कर उस अमोला के एक फोन पर उसे घर ड्रौप करने चला गया. अगर जाना इतना ही जरूरी था तो क्या वह थोड़ी देर बाद खापी कर उसे छोड़ने नहीं जा सकता था? लेकिन उसे तो मणिका की रत्तीभर भी परवाह नहीं. उस के लिए अमोला पहले है. मणिका की कोई अहमियत ही नहीं उस की निगाहों में,’’ इस बार मणिका की मां ने समधी से आक्रामक ढंग से बोला.