मेरा नाम वारी है. मैं 14 साल की हूं. मैं उम्र के उस दौर से गुजर रही हूं जहां न तो मैं बड़ों में आती हूं और न ही मैं छोटी बच्ची मानी जाती हूं. मुझे आज भी याद है जब पिछले महीने मेरे चाचाजी आए थे और मैं उन के सामने ठुनक रही थी तो मम्मी ने झिड़कते हुए कहा था कि तुम क्या दूध पीती बच्ची हो? जब मैं मम्मी या चाची से पूछती हूं कि यह फ्रैंच किस क्या होता है, तो मम्मी गुस्से से मेरी तरफ ऐसे देखती हैं जैसे मैं ने कोई अपराध कर दिया हो. मुझे समझ नहीं आता है कि मैं अपने मन की बात किस से करूं?

क्लास में धीरेधीरे सब लड़कियों के पीरियड्स शुरू हो गए हैं. मेरे अब तक नही हुए हैं. मैं मम्मी से कहती हूं तो मम्मी गुस्से में बोलती हैं कि बड़ी जल्दी है तुझे जवान होने की...

मम्मी से कैसे कहूं कि मेरे और साक्षी के अलावा सब लड़कियां जवान हो चुकी हैं. क्लास के लड़के मुझे बेबी कह कर चिढ़ाते हैं. मुझे पता है कि पीरियड्स में दर्द होता है. मुझे यह भी पता है कि सिनेटरी पैड इत्यादि का झंझट भी होता है. पर ये सब लड़कियों का एक सीक्रेट होता है जिसे वे बड़े गर्व से छिपाती भी हैं और बताती भी हैं.

अभी परसों की बात है. वान्या के पेट मे बहुत दर्द हो रहा था. मैं ने ऐसे ही बोला,"क्या कल जंक फूड खाया था?"

वान्या गुस्से में बोली,"इडियट, यह प्रीमैंसुरल पैन है..."

मैं मूर्खो की तरह खड़ी रही तो आरवी हंसती हुई बोली,"अरे, अपनी मम्मी से पूछना."

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