दिल्ली सिर्फ देश की राजधानी ही नहीं बल्कि अपने में कई रोचक इतिहास भी समेटे हुए है. दिल्ली अपने में 7 शहरों को समेटे हुए है. यहां का इतिहास बताता है कि आज जो दिल्ली है, वह 11वीं शताब्दी से किसी न किसी शासन का केंद्र रही है. दिल्ली कई बार उजड़ी और कई बार बसी. कई शासकों ने दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया और कई बार वे अपनी राजधानी दिल्ली से बाहर भी ले गए. इसी दिल्ली में एक शहर कभी यमुना किनारे वर्तमान शहर के पूर्वी छोर पर स्थित पुराने किले में भी बसता था और इस शहर की गिनती उस दौर के समृद्ध शहरों में होती थी.

पांडवों ने बसाया था इंद्रप्रस्थ

यह कोरी किंवदंती है कि वर्तमान पुराने किले का अस्तित्व महाभारत काल से है और इस शहर का नाम उस वक्त इंद्रप्रस्थ हुआ करता था. महाभारत इतिहास से जुड़ा है, यही संदिग्ध है, फिर भी इस क्षेत्र की खुदाई से प्राचीन मकान दिखे हैं. इस किले के भीतर इंद्रापत नामक गांव 1913 ईस्वी तक मौजूद था, जिसे अंग्रेजों ने हटाया.

शेरशाह सूरी ने बनवाया वर्तमान ढांचा

अभी किले का जो ढांचा मौजूद है, इसे अफगानी शासक शेरशाह सूरी ने बनवाया था. इतिहासकारों के मुताबिक, 1545 ईस्वी में शेरशाह सूरी की मृत्यु होने तक इस का निर्माण अधूरा ही रह गया था, जिसे उस के बेटे इस्लाम शाह या हुमायूं ने पूरा कराया. इस बारे में अब भी जानकारी नहीं है कि किले के कौन से हिस्से का निर्माण किस ने किया. आर्कियोलौजिकल सर्वे औफ इंडिया ने 1954-55 और 1969 से 1973 में पुराने किले की खुदाई की थी और वहां उन्हें 1000 ईसा पूर्व शहर के अस्तित्व के होने की जानकारी मिली थी. इस के अलावा, मौर्य काल से ले कर मुगलकाल के बीच के शुंग, कुशाण, गुप्त, राजपूत और सल्तनत काल के दौरान इस शहर के होने की पुख्ता जानकारी हासिल हुई.

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