विशाल चाहता था कि मीनाक्षी और अरुण नाईक के गुंडों में जल्दी ही रजामंदी हो जाए, इस के लिए वह अपने लैवल पर बहुत कोशिश कर रहा था. उस ने इस बारे में पुलिस के आला अफसरों से भी बात कर ली थी. मीनाक्षी आएदिन उसे फोन करकर के परेशान कर रही थी.

एक दिन रात को करीब 2 बजे मीनाक्षी बिना पूर्व सूचित किए अपने 4 बैग ले कर विशाल के बंगले पर पहुंच गई. उस ने बताया कि अरुण नाईक के गुंडे उसे जान से मारने का प्लान बना रहे हैं. अब वह एक दिन भी अरुण नाईक के घर में नहीं रहेगी.

‘‘मीनाक्षी, अरे तुम इतनी रात को अचानक कैसे आ गईं. लोग देखेंगे तो क्या कहेंगे? हमारे बंगलों के आसपास मीडिया वाले दिनरात मंडराते रहते हैं. कोई प्रैस वाला देख लेगा, तो हमारी शामत आ जाएगी, नौकरी से हाथ तो धोने पड़ेंगे और बदनामी होगी, सो अलग,’’ विशाल ने परेशान होते हुए कहा.

‘‘विशाल, वे लोग मुझे जान से मार डालेंगे. उन्हें पता चल गया है कि मैं उन को पकड़वाने या मरवाने की कोशिश कर रही हूं. उन्हें यह भी मालूम हो गया है कि अब मेरी ऊपर तक पहुंच है,’’ कहते हुए मीनाक्षी दोनों हाथ जोड़ कर अपने जीवन की भीख मांगने लगी.

विशाल भी कोई कच्चा खिलाड़ी नहीं था. राज्य का चीफ सैक्रेटरी होने के कारण उस का कई तरह के लोगों से पाला पड़ता था. आज ऊंट पहाड़ के नीचे आ रहा था. विशाल इस मौके का पूरापूरा फायदा उठाना चाहता था. वह बहुत प्यार से बोला, ‘‘मीनाक्षी, बिलकुल चिंता न करो, कोई तुम्हारा बाल तक बांका नहीं कर सकता है. मैं हूं न.’’

विशाल आगे बोल ही रहा था कि मीनाक्षी सिसकते हुए विशाल से लिपट गई. विशाल ने उस की जुल्फों में उंगलियां फेरते हुए कहा, ‘‘पर मीनाक्षी, पहले मेरा एक काम कर दो न, वह वीडियो क्लिप डिलीट कर दो न जो तुम्हारे पास है. सुना है तुम ने मुख्यमंत्री के साथ वालों का भी वीडियो बनाया है, उसे भी डिलीट कर दो. अगर तुम दोनों वीडियो ईमानदारी से डिलीट कर देती हो तो मैं मुख्यमंत्री से बात कर के तुम्हारे लिए अपने फ्लैट में रहने की व्यवस्था कर सकता हूं.

‘‘यह फ्लैट मुझे मुख्यमंत्री ने अपने विशेष कोटे से अलौट किया है जिस में उन के और मेरे खास दोस्त ही ठहर सकते हैं. तुम कुछ दिन वहां रह लो, फिर मैं मुख्यमंत्री से बात कर के तुम्हें निराश्रित और आर्थिकरूप से कमजोर विधवा बता कर तुम्हारे नाम से एक आलीशान फ्लैट भी अलौट करवा दूंगा जहां तुम आराम से रहना, फिर रूपयोंपैसों की तो तुम्हारे पास कमी है नहीं. अगर जरूरत पड़ जाए तो हम लोग हैं ही.’’

‘‘लो, तुम्हारे सामने ही मैं वे सभी वीडियो डिलीट कर देती हूं,’’ कहते हुए मीनाक्षी ने अपना मोबाइल निकाला और विशाल के सामने सारे वीडियो डिलीट कर दिए, फिर लैपटौप में सेव किए हुआ वीडियोज का एक फोल्डर भी डिलीट कर दिया.

विशाल बड़े ध्यान से सब देख रहा था मगर उस ने मीनाक्षी के साथ जिस तरह की दोस्ती थी उस से उस ने यह जरूर जान लिया था कि मीनाक्षी बहुत शातिर है. जितनी सहजता से वह सब डिलीट कर रही है, इस का मतलब यही है कि उस ने ये सब कहीं और जरूर छिपा कर रखा होगा. विशाल ने देखा कि मीनाक्षी अपने लैपटौप और अन्य कुछ इलैक्ट्रौनिक डिवाइसेज हरे रंग के एक छोटे से बैग में रख कर उसे लाल रंग के सूटकेस में रख रही है.

विशाल ने मीनाक्षी के सामने सुनहरे सपनों का एक महल खड़ा कर दिया था. वह बेहद खुश हो गई थी. विशाल की बातें सुन कर मीनाक्षी खयालों में खो गई और अपने सुरक्षित एवं सुखद भविष्य की कल्पना करने लगी. कल्पना की दुनिया में खोई मीनाक्षी सोचने लगी कि उस ने अरुण के साथ हमेशा तनावग्रस्त जिंदगी जी है, अरुण उस के साथ बहुत अत्याचार करता था, अपनी जान बचाने के लिए वह अपनी पत्नी का उपयोग करने से भी बाज नहीं आता था. अब उसे इस तरह की घिनौनी जिंदगी से छुटकारा मिल जाएगा.

लेकिन, मीनाक्षी अपने गिरेबान में नहीं झंक रही थी. उस ने भी तो अरुण के नाम से बहुत फायदा उठाया था. ऐशोआराम की जिंदगी जीने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. महंगी कारों में घूमने और बड़े होटलों में पार्टियों से उसे फुरसत कहां मिलती थी. जब से उस ने सैक्रेटियट में एंट्री की थी तब से उस का रोब और भी बढ़ गया था. कई अफसरों व मंत्रियों से उस के बैडरूम कौन्टैक्ट्स भी थे. उस ने मुख्यमंत्री तक को अपना मोहरा बना कर रखा था.मीनाक्षी 2 दिनों बाद विशाल के वीआईपी फ्लैट में रहने के लिए चली गई. अब मीनाक्षी बहुत खुश थी और सोच रही थी कि अब उस के दिन बदल रहे हैं. मगर वह मुख्यमंत्री और विशाल के बीच जो खिचड़ी पक रही थी, उस से नावाकिफ थी. मुख्यमंत्री को उन के बहुत ही करीबी एक मीडियाकर्मी दोस्त ने सावधान करते हुए कहा था कि विरोधी पार्टी ने मीनाक्षी को उन के खेमे में सेंध लगाने के लिए भेजा है. विरोधी पार्टी के एक बड़े नेता के घर में मीनाक्षी का आनाजाना बढ़ गया है. उस ने यहां तक सुना है कि अगर वह सरकार गिराने मे सहयोग करेगी तो उसे मंत्री भी बनाया जा सकता है. कहते हैं कि राजनीति में कोई किसी का दोस्त नहीं होता. आप का जिगरी दोस्त तक आप की आस्तीन का सांप बन जाता है.

एक दिन मुख्यमंत्री ने विशाल को अपने बंगले पर बुलाया और सारी बातें बताते हुए सचेत रहने की सलाह दी. फिर दोनों ने यह तय किया कि मीनाक्षी को रास्ते से हटाना ही उन के हित में होगा. दोनों ने रात देर तक बातें कर के अपने प्लान को अंतिम रूप दिया और एकदूसरे से गले मिलते हुए जुदा हुए.

4 दिनों बाद विशाल ने मीनाक्षी को फोन किया, ‘‘हैलो मीनाक्षी, कैसी हो, कोई परेशानी तो नहीं हो रही है तुम्हें?’’

‘‘नहीं तो, यहां तो बहुत अच्छा लग रहा है. मु?ो कोई तकलीफ नहीं है,’’ मीनाक्षी ने खुश होते हुए कहा.

‘‘मीनाक्षी, दरअसल, मैं ने इसलिए फोन किया कि मुख्यमंत्री के 2 खास दोस्त कल अपनी फैमिली के साथ यूएस से किसी बहुत ही जरूरी काम के लिए उन से मिलने आ रहे हैं. वे केवल 4 दिन इंडिया में रुकेंगे. मुख्यमंत्री उन से सीक्रेटली’ मिलना चाहते हैं. इस के लिए उन्होंने मुझ से अनुरोध किया है कि उन के ठहरने की व्यवस्था वीआईपी फ्लैट में करूं. मैं उन के अनुरोध को टाल नहीं सकता. तुम्हें थोड़ी परेशानी तो होगी मगर क्या कर सकते हैं.

‘‘प्लीज, मेरे लिए तुम्हें थोड़ी तकलीफ उठानी पड़ेगी. बस, 4 दिन की बात है. तुम अपना बहुत जरूरी सामान ले कर होटल हिलटोन में पहुंच जाना. वहां मैं ने तुम्हारे लिए एक डीलैक्स सूट 4 दिन के लिए तुम्हारे नाम से ही बुक करवा दिया है. सारा पेमैंट मैं ने एडवांस में ही पेड कर दिया है. तुम्हें वहां 4 दिन तक एक भी पैसा अपनी जेब से खर्च नहीं करना है. मुख्यमंत्री के दोस्त जैसे ही यूएस के लिए रवाना होंगे, तुम अपने फ्लैट में लौट जाना.’’

‘‘हां, क्यों नहीं विशाल, 4 दिन की ही तो बात है. मैं कल सुबह ही चली जाऊंगी, डोंट वरी.’’ शहर के सब से बड़े फाइवस्टार होटल में 4 दिन तक शान से मुफ्त में रहने को मिलेगा, इस खुशी में उछलते हुए मीनाक्षी ने आगे कहा, ‘‘थैंक्यू.’’

विशाल ने फोन काट दिया और तुरंत मुख्यमंत्री को सारी बात बता दी.

‘‘वैरी गुड विशाल, तुम अब तैयार हो जाओ. हम दोनों आज रात 11 बजे की फ्लाइट से उदयपुर मेरे पिता से मिलने जा रहे हैं. उन की तबीयत बहुत खराब है. हमारे टिकट बुक हो चुके हैं,’’ मुख्यमंत्री ने खुश होते हुए कहा.

विशाल की समझ में नहीं आ रहा था कि मुख्यमंत्री अचानक उदयपुर जाने के लिए क्यों कह रहे हैं. प्लान तो कुछ अलग बना था. खैर, वह तैयार हो कर निश्चित समय पर एअरपोर्ट पहुंच गया. रात में करीब एक बजे वे दोनों उदयपुर पहुंच गए. मुख्यमंत्री के पिताजी बिलकुल स्वस्थ लग रहे थे, घर के बाकी सभी सदस्य भी ठीक लग रहे थे.

विशाल ने मुख्यमंत्री की तरफ देखा, तो उन्होंने अपनी बाईं आंख दबाते हुए कहा, ‘‘विशाल, एवरी थिंग इज गोइंग वैल. डोंट वरी. जा कर अपने कमरे में सो जाओ, सुबह बात करेंगे.’’

विशाल सुबह जल्दी उठ कर तैयार हो गया. मगर मुख्यमंत्री देर तक सोते रहे. वे 10 बजे के बाद उठे और करीब 12 बजे तक नहाधो कर तैयार हुए. बाहर हौल में आ कर उन्होंने विशाल से कहा, ‘‘विशाल, जरा टीवी लगा कर समाचार तो सुनो.’’

विशाल ने जल्दी से टीवी औन किया, एक न्यूज चैनल लगाया जिस पर ब्रेकिंग न्यूज आ रही थी- ‘कुख्यात गैंगस्टर अरुण नाईक की पत्नी मीनाक्षी नाईक की एक सड़क दुर्घटना में मौत. वे अपनी कार खुद चला रही थीं. एक विकट मोड़ पर उन की कार एक ट्रक से टकरा गई. कार का पैट्रोल टैंक फट जाने से उन का पूरा शरीर जल गया तथा कार में रखा सामान भी जल कर राख हो गया.’’

मुख्यमंत्री विशाल की पीठ पर हाथ रखते हुए बोले, ‘‘विशाल, हम भी पहुंचे हुए खिलाड़ी हैं. हम ने कच्ची गोटियां नहीं खेली हैं. तुम ने जिस लाल सूटकेस को हमारे लिए खतरा बताया था, उसे मीनाक्षी कार में अपने साथ ले जा रही थी. पलभर में खेल खत्म हो गया और हम दोनों शहर से बाहर हैं.’’ यह कहते हुए मुख्यमंत्री ने जोर से ठहाका लगाया और ताली के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया.

विशाल ने भी ठहाका लगा कर उन्हें ताली देते हुए कहा, ‘‘सरजी, आप केवल खिलाड़ी नहीं, आप तो खिलाडि़यों के भी खिलाड़ी हैं.’’

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