अपने समय के लोकप्रिय और विवादित कहानीकार सआदत हसन मंटो की कहानी ‘दो कौमें’ में दिखाया गया है कि मुख्तार जोकि मुसलिम परिवार का लड़का है एक हिंदू लड़की शारदा के प्यार में पड़ जाता है. दोनों शादी करना चाहते हैं, लेकिन धर्म अलगअलग होने से वे कतरा रहे हैं. एक दिन मुख्तार इस प्रौब्लम को सौल्व कर लेता है और शारदा से अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहता है कि अब हमारी शादी हो सकती है. मैं ने अपने घर वालों को मना लिया है. बस तुम अपना धर्म बदल कर मुसलमान बन जाओ.

यह सुन कर शारदा हैरान हो जाती है और बदले में उसे ही अपना धर्म बदलने को कहती है. मुख्तार अपना धर्म बदलने से इनकार कर देता है. यह सुनते ही शारदा उसे वहां से चले जाने की बात कहती है. इस तरह धर्म ने 2 प्रेमियों को हमेशाहमेशा के लिए जुदा कर दिया.

न सिर्फ धर्म बल्कि जाति भी 2 प्यार करने वालों को अलग करने का ही काम करती आई है. लेकिन गलती इस में उन लोगों की भी है जो इसे ले कर मजाक उड़ाते हैं. सोशल मीडिया पर पढ़ कर आने वाले अकसर इन छोटी बातों को नजरअंदाज कर देते हैं. वे यह नहीं देखते कि 50% आरक्षण तो ऊंची जातियों के पास है ही. उन्हें पिछड़े वर्ग का 21% या अनुसूचित जातियों के 15% आरक्षण से चिढ़ इतनी होने लगती है कि वह व्यक्तिगत संबंधों में आड़े आ जाती है.

संविधान के अनुच्छेद 16(4) में पिछड़े वर्ग के नागरिकों को आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है. इस के तहत अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्गों को आरक्षण दिया गया है.

दलितों को अनुसूचित जाति का दर्जा दे कर आरक्षण इसीलिए दिया गया था क्योंकि वे हिंदू समाज में व्याप्त जाति प्रथा के चलते सदियों से भेदभाव का सामना कर रहे थे. रिजर्वेशन देने का उद्देश्य उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाना था.

प्यार धर्म, जाति से परे हैं. न यह धर्म देखता है और न ही जाति. यह तो केवल आपसी जुड़ाव देखता है जो कहीं भी, कभी भी किसी से भी हो सकता है. इस पर किसी का कोई बस नहीं है. इस की कई मिसालें हमें बौलीवुड में देखने को मिलती हैं जैसे शाहरुख खान और उन की वाइफ गौरी, सैफ अली खान और करीना कपूर, रितेश देशमुख और जेनेलिया डिसूजा, अरशद वारसी और मारिया गोरेट्टी आदि.

कड़वी सचाई

मगर यह भी कड़वी सचाई है कि जब रिलेशनशिप में धर्म, जाति संबंधी कोई मजाक आ जाता है तो यह मतभेद पैदा कर देता है और कभीकभी तो यह रिश्ता भी खत्म कर देता है इसलिए इसे हमेशा रिलेशनशिप से दूर ही रखना चाहिए.

बौलीवुड फिल्म ‘आरक्षण’ हमारे देश के आरक्षण मुद्दे को उठाती है. फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे वंचित बच्चों को शैक्षिक अवसर प्रदान करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सार्वजनिक रूप से समर्थन करने के बाद एक सम्मानित कालेज प्रिंसिपल को बरखास्त कर दिया जाता है. वह एक स्थानीय गौशाला में वंचित बच्चों के छोटे समूहों को पढ़ा कर वापस लड़ता है. इस से हम सम?ा सकते हैं कि हमारे देश में किस तरह धर्म और जाति अपने पैर पसारे हुए हैं. 2014 में 70 हजार से अधिक लोगों के सर्वेक्षण में केवल 5% शहरी लोगों ने कहा कि उन के परिवार में किसी ने अपने धर्म के बाहर विवाह किया.

शाहिद शेख बताते हैं कि उन की एक हिंदू गर्लफ्रैंड अदिति (बदला हुआ नाम) थी. वे दोनों 3 साल तक लिव इन रिलेशनशिप में भी रहे. वे बताते हैं कि जब कभी उन की गर्लफ्रैंड के दोस्त घर आते तो वह उन के साथ मिल कर उस के धर्म का मजाक उड़ाते हुए कहते कि ये लोग तो अपनी चचेरी बहन को भी नहीं छोड़ते. वे कहते हैं कि हां. हमारे धर्म में ऐसा होता है लेकिन बारबार ऐसे हमारे धर्म को टारगेट करना सही नहीं है.

तो प्यार हो जाएगा कम

आसिफ खान अपनी राय देते हुए कहते हैं कि धर्म और जाति काफी सैंसिटिव टौपिक है और इसे ले कर कभी कोई मस्ती, मजाक नहीं करना चाहिए और प्यार में तो बिलकुल भी नहीं. ऐसा करने से आप और आप के पार्टनर के बीच दूरियां आ सकती हैं और आप अपने प्यार को हमेशाहमेशा के लिए खो भी सकते हैं. इसलिए बेहतर होगा कि आप कभी भी अपने पार्टनर से उस के धर्म, जाति से रिलेटेड कोई मजाक न करें.

किसी भी रिश्ते में सम्मान कितना जरूरी है इसे सम?ाने के लिए जूही की कहानी जाननी बहुत जरूरी है. जूही मुसलिम है और उन्होंने हिंदू राजपूत लड़के से शादी की है. वे कहती हैं कि कामयाब शादी के लिए धर्म और जाति से ज्यादा प्यार और सम्मान महत्त्वपूर्ण है. जूही कहती हैं कि उन की शादी को 9 साल बीत गए हैं. इन वर्षों में हम ने एकदूसरे को सम्मान और प्यार दिया. मैं अपने पति के लिए करवाचौथ का व्रत रखती हूं और मेरे पति ईद के दिनों में रोजा रखते हैं. हम ईद और दीवाली दोनों सैलिब्रेट करते हैं.

मजाक में भी नहीं कहें

27 वर्षीय मंशा हरि जब निधि की इंगेजमैंट में ब्लू कलर का गाउन पहन कर आई तो उसे देख कर उस का बौयफ्रैंड शोभित मिश्रा बोला कि तुम दलित हो क्या जो हमेशा ब्लू कलर ही पहनोगी? तुम्हारे पास क्या कोई और कलर नहीं है? उस का ऐसा कहना मंशा को चुभ गया. मंशा के पूछने पर कि आखिर उस ने ऐसा क्यों कहा तो शोभित का कहना था कि उस ने ऐसा कुछ सोच कर नहीं कहा, बस मजाकमजाक में कह दिया.

मगर उस के मुंह से इतनी बड़ी बात निकली ही क्यों? इस का जवाब है हमारे समाज की व्यवस्था जिस ने लोगों को जातपात और धर्म में बांटा हुआ है. हमारे देश में 3 हजार जातियां और 25 हजार उपजातियां हैं. यह समाज जिस ने बताया है कि लोग हिंदू, मुसलिम, सिख, ईसाई, बौद्ध और जैन धर्म में बंटे हैं, इसी तरह इस ने यह भी बताया है कि छोटी जाति वालों को दलित समुदाय कहते हैं. एक ऐसा रिश्ता जो प्यारमुहब्ब्त का है जिस में धर्म, जाति माने नहीं रखते वहां इस तरह का मजाक क्यों? जो किसी के सैंटीमैंट को हर्ट करे ऐसे मजाक का रिलेशनशिप से कोई नाता नहीं है.

2011 की जनगणना के अनुसार, सिर्फ 5.8% भारतीय लोगों ने इंटर कास्ट मैरिज की थी. वहीं अगर भारत मानव विकास सर्वेक्षण की माने तो सिर्फ 5% भारतीयों ने इंटरकास्ट मैरिज की.

सम्मान क्यों है जरूरी

धीरज मोहर कहते हैं कि उन की एक गर्लफ्रैंड थी जिस की जाति ब्राह्मण थी. वे बताते हैं कि जब कभी उन के बीच झगड़ा होता था तो वह उन की जाति को नीचा दिखाने वाली बातें कहती थी. यह सब सुन कर उन्हें बहुत बुरा लगता था. 1-2 बार तो उन्होंने इसे इग्नोर किया, लेकिन जब यह ज्यादा होने लगा तो उन्होंने अपनी गर्लफ्रैंड से ब्रेकअप कर लिया. वे कहते हैं कि जब आप एक कपल होते हैं तो आप को अपने पार्टनर की जाति या धर्म का सम्मान करना चाहिए न कि उस को नीचा दिखाना चाहिए.

2005-06 के नैशनल फैमिली हैल्थ सर्वे के आंकड़े के मुताबिक भारत में होने वाली कुल शादियों में सिर्फ 10 फीसदी शादियां ही इंटरकास्ट होती हैं. वहीं अंतरजातीय विवाह में नौर्थईस्ट के राज्य ज्यादा आगे हैं. मसलन मिजोरम में सब से ज्यादा इंटरकास्ट मैरिज होती हैं. मिजोरम की 87 फीसदी आबादी क्रिश्चन है. मिजोरम के बाद अंतरजातीय विवाह करने वाले राज्यों में मेघालय और सिक्किम का नाम आता है.

हमारे देश में इंटरकास्ट मैरिज इतना बड़ा मुद्दा है कि लोग अपने घर की इज्जत के नाम पर औनर किलिंग भी करते हैं. 2014 में दिल्ली में हुआ भावना यादव मर्डर केस इस का एक उदाहरण है. भावना ने अलग जाति में शादी कर ली. इस से नाराज उस की खुद की फैमिली ने उस का मर्डर कर दिया. इतना ही नहीं बौलीवुड में कई फिल्में हैं जो ओनर किलिंग पर बनी हैं जैसे ‘सैराट’ औैर ‘एनएच10.’ एनसीआरबी के अनुसार 2016 में 77 मर्डर के मामले ओनर किलिंग के मकसद के साथ रिपोर्ट किए गए थे.

रिश्ता निभाएं दिल से

महेश यादव अपना ऐक्सपीरियंस बताते हुए कहते हैं कि जब कभी भी वे डेट पर जाते हैं तो उन की डेट पार्टनर उन की जाति को ले कर मजाक करते हुए कहती है कि तुम लोगों को तो ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती होगी. तुम लोगों की तो सीटें आरक्षित होती हैं. यह सब सुन कर उन्हें काफी बुरा लगा और वह अपनी डेट बीच में ही छोड़ कर चले गए.

जब 2 लोग एक कपल के रूप में रिलेशनशिप में आते हैं तो वे एकदूसरे के साथ अपनी हर चीज ऐंजौय करते हैं, एकदूसरे को कंपनी देते हैं, एकदूसरे की केयर करते हैं. ऐसे में उन्हें अपने पार्टनर के धर्म, जाति का पूरा सम्मान करना चाहिए. उन्हें कोशिश करनी चाहिए कि कभी मजाक में भी उन के धर्म या जाति पर कोई कमैंट न किया जाए.

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