बारिश के मौसम में वायरल इंफेक्शन या फ्लू जैसी बीमारियों का कहर बढ़ जाता है. इस मौसम में हेल्दी रहने के लिए सभी लोगों को सावधानियां बरतनी पड़ती है. खासकर गर्भवती महिलाओं को मानसून में स्पेशल केयर की जरूरत होती है. अगर आप प्रेग्नेंट हैं, तो प्रेग्नेंसी से जुड़ी कुछ अहम बातों का खास ख्याल रखकर मानसून का आनंद उठा सकती हैं.

इस बारें में पुणे की मदरहुड अस्पताल की वरिष्ठ सलाहकार प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शालिनी विजय कहती है कि अन्य मौसम की तुलना में मानसून के दौरान संक्रमण का खतरा अधिक रहता है. इस मौसम में डेंगू और मलेरिया भी तेजी से फैलने लगता है, ऐसे में प्रेग्नेंसी के दौरान बीमार पड़ने से गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत पर भी सीधा असर पड़ सकता है. इसलिए मानसून के दौरान गर्भवती महिलाएं या जिसने बच्चे को जन्म दिया हो, उन्हें खुद की और नवजात की सेहत का ध्यान रखना काफी जरूरी हैं. कुछ विशेष सुझाव निम्न है,

  1. डाइट पर रखे ध्यान
  • इस मौसम में बाकी मौसम की तरह सब्जियां नहीं मिलती, हरी साग-सब्जियां भले ही मिल जाय, लेकिन उसमे कई तरह के कीड़े या उनके अंडे हो सकते है,
  • अगर हरी पत्तेदार सब्जियां खाने का मन है, उन्हें ठीक तरीके से थोड़े गर्म पानी से धो लें,
  • गर्भवती महिलाओं को जंक फूड मानसून में अवॉयड करना चाहिए,
  • प्रेग्नेंसी में फल खाएं, लेकिन इसे अच्छी से धो लें,
  • बारिश में पानी फिल्टर या उबालकर ही पिएं, इसके अलावा घर में निकालकर फ्रेश फ्रूट्स के जूस पिएं, नींबू और नारियल पानी भी पी सकती है.

2. खतरा इन्फेक्शन का

  • मानसून में इंफेक्शन से बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान जरूरी होता है, क्योंकि इस समय वातावरण में नमी बढ़ जाती है, ऐसे में जरा भी गंदगी स्किन इंफेक्शन बढ़ा सकती है.
  • थोड़ी सी भी नमी वाले कपडे न पहने,
  • इसके अलावा जिन महिलाओं को ऑपरेशन से बच्चे हुए हैं टांका ताजा है, वे उस स्थान को एकदम सूखा रखें, अन्यथा टांके टूट सकते हैं.
  • पानी में नीम की पत्तियां डालकर भी नहाना भी एक अच्छा विकल्प हैं, इससे जर्म्स पनपने का खतरा कम होता हैं.

3. नवजात का खास ख्याल रखना जरुरी

इसके आगे डॉक्टर शालिनी कहती है कि मानसून में डिलीवरी के बाद नवजात की सेहत का ध्यान रखना भी सबसे अधिक आवश्यक है, क्योंकि जन्म के बाद बच्चा एक अलग माहौल में रहता है और उससे बाहर के मौसम से सामंजस्य बिठाने में समय लगता है. इस मौसम में महिलाएं जब बच्चों को स्तनपान कराती हैं, तो उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि दूध के साथ पसीना बच्चे के मुंह में न चली जाए, क्योंकि मानसून चिपचिपी गर्मी का समय है, पसीना आना स्वाभाविक है. ऐसे में स्टरलाइज किये हुए कॉटन बॉल से निप्पल के चारों ओर साफ़ कर लें. नवजात के लिए भी हर तरह सावधानियां उसे सेहतमंद बनाती है, इसलिए पेरेंट्स को इसका खास ध्यान रखनी चाहिए,

  • मानसून के दौरान इन्फेक्शन वाली बिमारी बढने का खतरा अधिक होने की वजह से नवजात शिशु के बीमार होने की संभावना अधिक होती हैं. इस वजह से माता-पिता के रूप में, बच्चे को मानसून की इन्फेक्शन से बचाने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है. कुछ सावधानियां निम्न है,
  • बरसात में बच्चे को बिमारी के संक्रमण से बचाने के लिए बीमार व्यक्ति के संपर्क से बच्चे को दूर रखें.
  • बारिश में छाता, रेनकोट और रेनबूट का इस्तेमाल करें.
  • इस मौसम में तापमान बदलता रखता हैं. इसलिए नमी को दूर रखने के लिए बच्चे को आरामदायक सूती कपड़े पहनाएं, लेकिन जब मौसम सर्द हो जाए, तो हमेशा बनियान या जैकेट साथ रखें, ताकि जरुरत के अनुसार उन्हें पहना सकें.
  • हमेशा सुनिश्चित करें कि शिशु के कपड़े पूरी तरह सूखे हों. बारिश में कपड़े नमी जल्दी सोख लेते हैं, जिससे फंगल इन्फेशन होने का खतरा रहता है.
  • इसके अलावा बच्चे को इस मौसम में एक मिनट के लिए भी गीला डायपर न पहनाए.
  • बरसात में, बच्चे अन्य मौसमों की तुलना में अधिक पेशाब करते हैं, जिससे त्वचा पर चकत्ते हो सकते हैं. यहां तक कि हल्का नम डायपर भी त्वचा पर चकत्ते पैदा कर सकता है साथ ही नवजात शिशुओं को ठंड का एहसास करा सकता है. इसलिए याद रखें कि जैसे ही आपको लगे कि शिशु की नैपी गीली या गंदी है, उसे तुरंत बदल दें.
  • बुखार, शारीरिक दर्द, छींक और अन्य लक्षण मानसून से संबंधित बीमारियों की विशेषता हैं और ये वायरल संक्रमण होने का लक्षण हैं. ऐसा होने पर बच्चे के डॉक्टर से संपर्क करें और बीमारी से लड़ने के लिए उचित सावधानी बरतें,
  • मच्छर के काटने से नवजात शिशु को गंभीर परेशानी हो सकती है. बच्चे के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, ताकि वह अच्छी नींद ले सके. शाम होने पर मच्छर से बचाने के लिए बच्चों को पूरे कपडे पहनाएं.
  • नवजात बच्चे को रोजाना नहाने की आवश्यकता नहीं होती हैं, क्योंकि वह ज्यादातर घर के अंदर ही रहते है. मानसून में शिशु को सप्ताह में दो से तीन बार नहलाना जरूरी होता है, अगर बच्चे को बाहर लेकर गए, तो घर पर वापस आने पर उसे गर्म पानी से नहलाना अच्छा होता है.
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