ढीले और लटकी ब्रैस्ट देखने में भद्दी लगती है. अकसर ऐसा बड़ी उम्र में होता है. लेकिन कई बार ऐसा छोटी उम्र में भी देखने को मिलता है. इस की वजह है ब्रा न पहनना. ढीली और लटकी ब्रैस्ट बिलकुल अट्रैक्टिव नहीं होती है. लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि ब्रा को दिनभर पहने रहना आसान नहीं होता है.

ब्रा से जुड़ा अपना ऐक्सपीरियंस बताते हुए 24 साल की रचना यादव कहती है, ‘‘मु?ो शुरूशुरू में ब्रा पहनना बिलकुल पसंद नहीं था. लेकिन धीरेधीरे यह मेरी आदत में शामिल हो गया. टीनऐज में जब मां मु?ो ब्रा पहनने को कहती थीं तो मु?ो बहुत गुस्सा आता था क्योंकि मैं कपड़े का एक और बो?ा अपने शरीर पर लादना नहीं चाहती थी. लेकिन मु?ा से कहा गया कि मैं अब बड़ी हो रही हूं. मेरी बौडी में तरहतरह के बदलाव हो रहे हैं और इन में लड़की की छाती बहुत महत्त्वपूर्ण होती है. इन बदलाव में मेरी ब्रैस्ट उभरने लगेगी. इसलिए मु?ो ब्रा पहननी चाहिए.

‘‘मगर ब्रा पहनना आसान नहीं था. सब से ज्यादा मुश्किल इसे पूरा दिन पहने रखना था. ब्रा पहनने के बाद मु?ो अपनी बौडी बंधीबंधी सी लगने लगी. लेकिन फिर यह धीरेधीरे मेरी हैबिट में आ गया. अब ब्रा न पहनूं तो अजीब सा लगता है. ऐसा लगता है जैसे कुछ खाली सा हो.’’

खुद की चौइस होनी चाहिए

कंफर्ट की बात पर रचना कहती है, ‘‘शुरूशुरू में यह बिलकुल कंफर्टेबल नहीं था. सांस लेने में दिक्कत होती थी. अकसर ब्रा की स्ट्रैप से निशान पड़ जाते थे. गरमी के मौसम में ये दिक्कतें और बढ़ जाती थीं जैसे पसीने आना, ब्रैस्ट और उस के आसपास खुजली होना.

इतना ही नहीं कई बार ब्रा से रैशेज भी पड़ जाते थे. इन सब के बावजूद ब्रा पहनने से ब्रैस्ट सही पोजीशन में रहती है. वह कसी रहती है. लटकती नहीं है. इतना ही नहीं अलगअलग ऐक्टिविटीज करते समय यह उछलते भी नहीं है, जिस की वजह से यह भद्दी नहीं लगती है. इसे पहनने से मैं कौन्फिडैंट फील करती हूं. मैं ब्रा पहनने के पक्ष में हूं. लेकिन हां मैं इसे पूरा दिन पहनने के पक्ष में नहीं हूं. इसलिए मैं इसे रात को उतार कर सोना पसंद करती हूं.’’

नई दिल्ली के एक बुक स्टोर में जौब कर ने वाली प्रीति तिवारी कहती है, ‘‘पूरा दिन ब्रा पहने रहना अनकंफर्टेबल होता है. जब मैं ने पहली बार ब्रा पहनी थी तो मु?ो ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरी ब्रैस्ट को जकड़ लिया हो. मु?ो लगा जैसे मैं अब सांस नहीं ले पाऊंगी. मैं बस इसे उतार कर फेंकना चाहती थी. लेकिन कई दिनों तक इसे पहनने के बाद मु?ो धीरेधीरे इस की आदत पड़ गई.

‘‘ब्रा से होने वाली परेशानी को मैं इस गंदी सोसाइटी के आगे भूल गई थी. मैं बिना ब्रा के बाहर जाने में बिलकुल कंफर्टेबल नहीं हूं. लेकिन यह भी सच है कि घर आते ही मैं इसे उतार देती हूं. इसे उतारने पर ही मु?ो राहत मिलती है. मैं फ्री फील करती हूं. मैं सम?ाती हूं ब्रा पहनना न पहनना लड़की की अपनी चौइस होनी चाहिए न कि सोसाइटी का डर, जिस की वजह सी उसे ब्रा पहननी पड़ रही है.’’

मगर सवाल यह है कि इतनी प्रौब्लम्स होने के बाद भी लड़कियों और महिलाओं को ब्रा क्यों पहननी पड़ती है? इस के उत्तर में निधि धावरिया कहती है, ‘‘महिलाओं पर पितृसत्तात्मक सोच का बो?ा है जो उन्हें बातबात पर यह बताती है कि आप के लिए क्या सही है और क्या नहीं. अगर कोई महिला सभ्य तरीके से कपड़े पहनने के पितृसत्तात्मक तरीकों को मानने से इनकार कर देती है, तो उसे फूहड़ कहा जाता है. इन्होंने आदमीऔरत की बनावट के आधार पर न सिर्फ उन के अधिकारों को बांटा है बल्कि उन के कपड़े भी बांट दिए हैं. पुरुषवादी समाज ने हमेशा ही महिलाओं को अपने अंदर रखने की कोशिश की है.

‘‘वे चाहते हैं कि महिलाएं बस उन का कहना मानें. लेकिन इस के उलट महिलाएं पुरुषों की इस रूढि़वादी सोच का हिस्सा नहीं बनना चाहती हैं. वे चाहती हैं कि ब्रा पहननी है या नहीं इस का फैसला वे खुद करें न कि यह दकियानूसी बातें करने वाला पुरुषवर्ग.’’

ब्रा पर थोपी पुरुषवादी सोच

उत्तर प्रदेश से दिल्ली आ कर बसने वाली 26 वर्षीय मानवी राय कहती है, ‘‘गांवों में ब्रा को ‘बौडी’ कहते हैं. कई शहरी लड़कियां इसे ‘बी’ कह कर बुलाती हैं. हमारे गांव में ब्रा बोलने भर से तूफान मच जाता था. लेकिन अब लड़कियां अपनी आजादी को ले कर ज्यादा जागरूक हो गई हैं. वे सम?ा गई हैं कि ब्रा उन पर थोपी गई एक पुरुषवादी सोच है. इसीलिए अब कई महिलाएं ब्रा का विरोध करने लगी हैं. आज दुनियाभर में कई ऐसी महिलाएं है जिन्होंने ब्रा को ‘नो’ कह कर उसे न पहनने से इनकार कर दिया.’’

कुछ ऐसी भी महिलाएं हैं जो ब्रा पहनना पसंद नहीं करती हैं. 2017 में साउथ कोरिया की मौडल और ऐक्ट्रैस सूली ने एक फैमनिस्ट कैंपेन शुरू किया, जिसे ‘नो ब्रा मूवमैंट’ नाम दिया गया. उन्होंने अपने सोशल अकाउंट पर बिना ब्रा के टौप पहने पिक्चर अपलोड की. इस का परिणाम यह रहा कि महिलाएं वर्किंग और पब्लिक प्लेस पर विदाउट ब्रा घूमने लगीं. इस मुहिम ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया था. महिलाएं हैशटैग नो ब्रा लिख कर बिना ब्रा के कपड़े पहन कर अपनी तसवीरें सोशल मीडिया पर शेयर करने लगीं.

नैशनल नो ब्रा डे

ऐसा ही एक ग्रुप महिलाओं का है, जिसे ‘फैन’ के नाम से जानते हैं जो अपने विरोध के अनोखे तरीकों के लिए जाना जाता है. यह गु्रप अपनी छाती को ढकता नहीं था. इसलिए यह चर्चा का विषय था. इसी की तरह 1960 में ‘ब्रा बर्निंग’ नाम का मूवमैंट आया. इस में महिलाएं अपना विरोध जताने के लिए ब्रा को जलाया करती थी. वहीं कुछ महिलाएं ब्रा न जला कर उन्हें कूड़ेदान में फेंक देती थीं. यह उन का विरोध जताने का एक अनोखा तरीका था. भारत में हर साल 13 अक्तूबर को ‘नैशनल नो ब्रा डे’ मनाया जाता है. यह ब्रैस्ट कैंसर के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है.

ब्रा न पहनने का पक्ष लेने वाली कोलकाता की 22 साल की विनिता मुखर्जी की भी कुछ ऐसी ही राय है. वह कहती है, ‘‘हम खुद के शरीर के साथ अनकंफर्टेबल फील करेंगे तो दूसरों को भी ऐसा एहसास होगा. पहले मु?ो बिना ब्रा के पब्लिक प्लेस पर जाने में प्रौब्लम होती थी लेकिन धीरेधीरे मैं कंफर्टेबल हो गई. लेकिन मैं यही कहूंगी कि लड़कियां और महिलाएं खुद फैसला करें कि उन्हें ब्रा पहननी है या नहीं.

विदाउट ब्रा घर से बाहर जाने पर महिलाओं की सोच मिलीजुली है. दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में ब्यूटीपार्लर चलाने वाली 32 वर्षीय वीणा दुबे कहती है, ‘‘वैसे तो ब्रा हमारी बौडी पर एक ऐक्ट्रा कपड़ा ही है, लेकिन हमारी सोसाइटी ने हमारे माइंड में यह फिट कर दिया है कि महिलाओं को बिना ब्रा के बाहर नहीं निकलना चाहिए. यह उन के सभ्य दिखने के लिए बहुत जरूरी है. इन लोगों ने ब्रा को हमारी आदत बना दिया है. इसलिए हम अब खुद को बिना ब्रा के देख कर अनकंफर्टेबल फील करते हैं.’’

वीणा की ही तरह मुंबई की रहने वाली योगा इंस्ट्रक्टर सूर्यंका मिश्रा कहती है, ‘‘विदआउट ब्रा के घर से बाहर निकलने के बारे में मु?ो सोच कर ही अजीब सा लगता है. ब्रा ब्रैस्ट को सपौर्ट करती है. अगर ब्रा नहीं पहनेंगी तो ब्रैस्ट लटकने लगेगी. ब्रा न पहनने से कम उम्र की महिलाएं भी ज्यादा उम्र की लगने लगती है. वहीं ब्रा के पहनने के बाद कपड़ों की फीटिंग भी अच्छी आती है. टौप के नीचे ब्रा पहनी लड़की विदाउट ब्रा पहने लड़की से ज्यादा अटैक्ट्रिव लगती है. लेकिन फिर भी ब्रा पहनना आप की अपनी चौइस है.’’

कई बार टीनऐज में लड़कियों को ब्रा के बारे में नौलेज नहीं होता है. इसलिए वे ब्रा नहीं पहन पातीं. यही कारण है कि उन की ब्रैस्ट लटकने लगतर है. ऐसा अकसर स्लम एरिया में देखने को मिलता है.

ब्रा का इतिहास

अगर इतिहास उठा कर देखा जाए तो ऐसा नहीं है कि महिलाओं ने हमेशा ही ब्रा पहनी है या कहें अपनी छाती को ढका है. ब्रा कैसे अस्तित्व में आई इस के लिए यह जानना जरूरी है कि ब्रा शब्द है क्या. असल में ब्रा फ्रैंच शब्द ‘ब्रासिएर’ का छोटा रूप है, जिस का शाब्दिक अर्थ होता है शरीर का ऊपरी हिस्सा.

अगर बात करें दुनिया की पहली मौडर्न ब्रा कहां बनी थी, तो इस का जवाब है फ्रांस में. 1869 में फ्रांस की हर्मिनी कैडोल ने एक जैकेटनुमा पोशाक को 2 टुकड़ों में काट कर अंडरगार्मैंट्स बनाए थे. बाद में इस के ऊपर का हिस्सा ब्रा की तरह पहना और बेचा जाने लगा.

रोमन औरतें स्तनों को छिपाने के लिए छाती वाले हिस्से के चारों तरफ एक कपड़ा बांध लेती थीं. वहीं ग्रीक औरतों की बात करें तो वे एक बैल्ट के जरीए ब्रैस्ट को उभारने की कोशिश करती थीं. ये सब ब्रा के शुरुआती रूप थे. वहीं आज जैसी ब्रा आज हम दुकानों में देखते हैं वैसी अमेरिका में 1930 में बननी शुरू हुई थीं.

महिलाएं हमेशा से ब्रा पहनती नहीं आई हैं. उन्हें ब्रा का तोहफा या कहें बेहूदा तोहफा देने के पीछे पुरुषों की साजिश थी. वे महिलाओं को हमेशा आकर्षण की वस्तु मानते आए हैं. वहीं ब्रा एक सैक्सुअली कपड़ा है. अगर महिला ब्रा पहनेंगी तो वह सैक्सी लगेगी और पुरुष उसे भोगने के लिए उत्सुक होंगे.

दूसरा कारण है बिजनैस. ब्रा के बिना भी काम चल सकता है. लेकिन अपने व्यापार का क्षेत्र बढ़ाने के लिए व्यापारियों ने ब्रा को ईजाद किया. इस के बाद धीरेधीरे अलगअलग  तरह की ब्रा बना कर अपने बिजनैस को बढ़ाते चले गए.

नहीं पहनना कितना कंफर्टेबल होता है

अगर बात कंफर्ट की की जाए तो पूरा दिन ब्रा पहनना बिलकुल कंफर्टेबल नहीं होता है. इसलिए घर पर अकेले रहने वाली लड़कियां

और महिलाएं ब्रा नहीं पहनती हैं. लगभग हर लड़की और महिला रात को सोने से पहले ब्रा उतार देती है.

पूरी दुनिया जब कोविड की चपेट में थी तब ब्रा की बिक्री में गिरावट देखी गई. कोविड-19 के समय में वर्क फ्रौम होम चल रहा था. ऐसे में ज्यादातर महिलाएं घर पर ही थीं. वर्क फ्रौम होम करने वाली महिलाएं कंफर्टेबल फील करने के लिए घर पर ब्रा पहनना अवौइड करती थीं.

33 साल की रागिनी खन्ना पेशे से टीचर है. वह बताती है, ‘‘कोविड के समय स्कूलकालेज सब बंद थे. लेकिन देश का भविष्य कहे जाने वाले बच्चों की पढ़ाई में कोई रुकावट न हो इसलिए सरकार ने औनलाइन क्लासेज शुरू कीं. इस समय सभी टीचर्स ने बच्चों को औनलाइन पढ़ाया. वह बताती है मेरी जब औनलाइन क्लास होती थी तो मैं ब्रा पहनती थी. लेकिन क्लास खत्म होते ही मैं ब्रा उतार देती थी. बिना ब्रा के रहना मु?ो ज्यादा कंफर्टेबल फील कराता था.

‘‘पूरा दिन ब्रा पहनना बिलकुल कंफर्टेबल नहीं होता है. ऐसे लगता है जैसे किसी ने सांसें रोक ली हों. वहीं अगर विदाउट ब्रा रहें तो फ्रीफ्री सा फील होता है. बौडी एकदम रिलैक्स लगती है. ऐसा लगता है जैसे कोई बो?ा हट गया हो. मगर ब्रा पहनने के क्या फायदे और नुकसान हैं यह जानना बहुत जरूरी है.’’

दिल्ली के बतरा हौस्पिटल की एमबीबीएस डाक्टर श्रुति गुप्ता कहती हैं, ‘‘ब्रैस्ट ह्यूमन फीमेल बौडी का महत्त्वपूर्ण पार्ट होता है. फीमेल बौडी में ब्रैस्ट अट्रैक्शन का मुख्य केंद्र होती है. बिना ब्रा के रहने से स्तन कैंसर होने की संभावना को कम किया जा सकता है.

‘‘ब्रा ब्रैस्ट डैवलपमैंट में हैल्प करती हैं. इसे न पहनने से ब्रैस्ट डैवलपमैंट में प्रौब्लम आती है. जो लड़कियां या महिलाएं ब्रा नहीं पहनती हैं उन की ब्रैस्ट लटकने लगती है. इतना ही नहीं ब्रा न पहनने से ब्रा का साइज बढ़ जाता है. लेकिन यह भी सच है कि 12 घंटे से ज्यादा देर तक ब्रा पहनना हानिकारक होता है. रात को ब्लड सर्कुलेशन तेज होता है. इसलिए रात को ब्रा उतार कर सोना चाहिए.’’

आप खुद करें फैसला

मोनिका गुप्ता कहती है, ‘‘एक सही ब्रा आप की ड्रैस में चार चांद लगा देती है. कई ड्रैसेज ऐसी होती हैं जिन के लिए अलगअलग तरह की ब्रा चाहिए होती है. बिना ब्रा के वह ड्रैस उतनी खास नहीं लगेगी जितनी ब्रा के साथ. ऐसे में ब्रा को अवौइड करना सही नहीं होगा.

ब्रा ही तो है

तुम्हारी ब्रा का स्ट्रैप दिख रहा है, इसे ठीक करो. तुम अपनी ब्रा को बाहर बालकनी में मत सुखाया करो. कोई देख लेगा तो क्या कहेगा. तुम अपनी ब्रा को अपनी अलमारी में छिपा कर क्यों नहीं रखती हो. इस तरह की बातें हर लड़की ने अपनी लाइफ में कभी न कभी जरूर सुनी होंगी. सवाल यह है कि यह सिर्फ एक कपड़ा है न कि कोई गुप्त चीज.

नहाने जाते वक्त भी महिलाएं अपने अंडरगारमैंट्स को कपड़ों में छिपा कर ले जाती हैं. यही नहीं ब्रा को सुखाते समय इसे दूसरे कपड़ों के नीचे छिपा कर रखती हैं ताकि वह किसी को दिखाई न दे सके.

वक्त के साथसाथ बड़ेबड़े बदलाव तो हुए, लेकिन आज भी समाज में ब्रा को देखना एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. अगर किसी लड़की या महिला की ब्रा स्ट्रैप दिखाई देती है तो लोग उसे अजीब तरीके से देखते हैं. टिप्पणियां करने लगते हैं. उसे बिना संस्कार वाली लड़की सम?ा जाता है. इस सोच को बदलना बहुत जरूरी है. ब्रा की स्ट्रैप दिखना कोई बड़ी बात नहीं है. यह बहुत ही सामान्य है. बिलकुल वैसे ही जैसे पुरुषों की बनियान की स्टैप दिखाई देती है.

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