Social Media: आज का समय डिजिटल तकनीक और सोशल मीडिया का है. हमारे जीवन का प्रत्येक पहलू अब डिजिटल हो चला है. चाहे वह पढ़ाई हो, कामकाज हो या फिर व्यक्तिगत संबंध इन में से सब से प्रमुख और व्यापक रूप से उपयोग में आने वाला माध्यम है व्हाट्सऐप. किसी समय में यह साधन अपनों से जुड़ने का, आपसी संवाद को आसान और त्वरित बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता था. व्हाट्सऐप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफौर्म अब हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं.
हम इन्हें अपने दोस्तों, परिवार और काम के सहयोगियों के साथ जुड़े रहने के लिए उपयोग करते हैं. हालांकि, इन सारे प्लेटफौर्म पर अधिक समय बिताना और वास्तविक जीवन में अपने रिश्तों के लिए कम समय देना आपसी रिश्तों में नुकसान पहुंचा रहा है. परंतु समय के साथ यही माध्यम अब आपसी रिश्तों में दूरी, भावनात्मक रिक्तता और गलतफहमियों का कारण बनने लगा है.
व्हाट्सऐप बेहद लोकप्रिय मैसेजिंग प्लेटफौर्म है. यह लोगों के लिए व्यावसायिक एवं व्यक्तिगत संवाद का महत्त्वपूर्ण साधन बन चुका है. हालांकि यह भी कुछ लोगों के लिए एक चिंता का भी कारण बनता जा रहा है क्योंकि कुछ लोगों का कहना है कि यह आपसी रिश्तों में तनाव और दूरी पैदा कर रहा है. व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफौर्म पर बातचीत करने की आदत आपसी रिश्तों को खराब कर सकती है.
ऐसा इसलिए क्योंकि ये प्लेटफौर्म व्यक्ति को वास्तविक समय में बातचीत करने और भावनात्मक रूप से जुड़ने से दूर कर देते हैं. वे संचार के तरीके को बदल देते हैं, जिस से रिश्तों में अंतरंगता, समझ और विश्वास कम हो जाता है. बातचीत का विकल्प नहीं कुछ लोगों का मानना है कि व्हाट्सऐप का अत्यधिक उपयोग लोगों को एकदूसरे के साथ वास्तविक बातचीत और शारीरिक संपर्क से दूर कर देता है. व्हाट्ऐप पर एकदूसरे को संदेश भेजना आपसी बातचीत का विकल्प कभी भी नहीं हो सकता है. व्हाट्सऐप पर संदेशों को गलत समझ जा सकता है, जिस से आपसी रिश्तों में गलतफहमी और विवाद हो सकते हैं.
व्हाट्सऐप पर किसी के स्टेटस को चैक करना विश्वास की कमी का संकेत हो सकता है, जिस से रिश्ते में तनाव हो बढ़ सकता है. व्हाट्सऐप की बात करते हुए रश्मि कहने लगीं कि कुछ दिन पहले वे पारिवारिक समारोह में गईं तो वहां बहुत समय बाद रिश्तेदारों से मुलाकात हुई और सब से जुड़े रहने के लिए एक व्हाट्सऐप गु्रप बनाया गया कि अब सब एकदूसरे से जुड़े रहेंगे. एक खुशनुमा अनुभव और माहौल से वे अपने घर लौटी थीं. जब अगले दिन वे अपना मोबाइल उठा कर मैसेज देखने लगीं तो हैरान रह गईं. गुड मौर्निंग और भगवान की फोटो वाले लगभग 20 मैसेज.
वे समझ नहीं पा रहीं थीं कि क्या उन्हें यह ग्रुप बनाने की सजा दी जा रही है. वे परेशान हुईं लेकिन फिर शांत रह कर चुप बनी रहीं. अब व्हाट्सऐप पर गुडमौर्निंग का मैसेज उन्हें सिरदर्द देता सा लगता है. संवाद की गहराई में कमी: व्हाट्सऐप जैसे प्लेटफौर्म पर अकसर संक्षिप्त और सतही बातचीत होती है जो व्यक्तिगत संवाद और आपसी बातचीत की गहराई को कम कर देती है.
व्यक्तिगत बातचीत में कमी आ जाती है. व्हाट्सऐप पर जब कोई मैसेज करता है तो वह आप से उम्मीद करता है कि आप उस के मैसेज का तुरंत उत्तर देंगे और यह चैटिंग वास्तविक बातचीत की जगह ले लेती है. व्हाट्सऐप के मैसेज को गलत भी समझ जा सकता है क्योंकि वे शारीरिक भाषा या लहजे के बिना होते हैं, जिस से गलतफहमी और झगड़े बढ़ सकते हैं. कई बार मैसेज देखने की फुरसत नहीं रहती या उत्तर लिखने का समय नहीं रहता तो मैसेज करने वाला सोचने लगता है कि वह उन्हें जानबूझ कर इग्नोर कर रहा है. इस वजह से आपस में बिना किसी कारण गलतफहमी पैदा हो जाती है और रिश्ते में दरार पड़ने लगती है.
पहले जब लोग एकदूसरे से मिलते थे तो आंखों में आंखें डाल कर बातें किया करते थे. एकदूसरे के चेहरे के हावभाव, स्वर का उतारचढ़ाव, आपसी स्पर्श, सबकुछ संवाद का हिस्सा होता था. आज व्हाट्सऐप के माध्यम से ये सब इमोजी और टाइपिंग में बदल गया है. टैक्स्ट मैसेज में न तो कोई भावनाएं स्पष्ट होती हैं और न ही आत्मिक और भावनात्मक जुड़ाव. 45 वर्षीय नीरज की पत्नी औफिस की मीटिंग के लिए 3 दिनों के लिए मुंबई गई हुई थी. नीरज को वायरल फीवर हो गया, मेड ने भी छुट्टी ले ली तो वह 1 कप चाय के लिए भी परेशान हो गए थे. उन्होंने अपने फैमिली गु्रप में मैसेज किया कि सफरिंग फ्रौम वायरल.
लेकिन कुछ पलों में उन का फोन गैट वैल सून के मैसेज से भर गया, जबकि वे पूरा दिन अकेले यों ही बेहोश से पड़े रहे, जब उन्होंने स्वस्थ होने के बाद किसी समय लोगों से यह बात बताई तो झट से उन लोगों ने कहा कि फोन कर देते तो हम आ जाते. आदिआदि संबंधों में तनाव: व्हाट्सऐप पर होने वाली बातचीत कई बार आपस में तनाव या विवाद पैदा कर देती है जो व्यक्तिगत संबंधों में और भी तनाव पैदा कर सकता है.
जब व्हाट्सऐप पर कोई लिखता है कि ठीक हूं तो यह कहना कि वह ठीक ही है, यह समझ पाना मुश्किल रहता है कि वह सच में ठीक है या फिर टाल रहा है या यह भी संभव है कि अपनी समस्या बताना नहीं चाह रहा है.
प्रतिक्रियाओं का बोझ और अपेक्षाएं: व्हाट्सऐप पर रीड और ब्लू टिक जैसी सुविधाएं संबंधों में अनावश्यक अपेक्षाएं और तनाव पैदा करती हैं. जब किसी ने मैसेज पढ़ लिया परंतु उस ने जवाब नहीं दिया तो मैसेज करने वाला स्वयं को अनदेखा और अपमानित अनुभव करने लगता है. यह छोटी सी बात अकसर मनमुटाव, अविश्वास और लड़ाई का कारण बन जाती है.
ग्रुप्स और दिखावे की संस्कृति: व्हाट्सऐप ग्रुप्स अब संवाद से ज्यादा आपसी प्रतिस्पर्धा और तुलना का केंद्र बन गए हैं. कौन क्या शेयर कर रहा है, किस का स्टेटस कैसा है, किस ने किस को विश किया या नहीं किया, ये बातें अब आपसी संबंधों की बुनियाद तय करने लगी हैं. असली भावनाओं, संवेदनाओं, सहानुभूति, खुशी की जगह अब वर्चुअल दिखावे ने ले ली है. नीला ने मर्सिडीज कार ली तो उस ने खुशी साझ करते हुए अपनी कार की पूजा करते हुए फोटो ग्रुप में डाल दिया. दिखावे के लिए तो लोगों ने बधाई लिख कर स्माइली डाल दी लेकिन ईशा को बरदाश्त नहीं हो सका. उस ने तुरंत मेघा को फोन लगा कर उलटीसीधी बातें कर डालीं कि जानती हो नीला के पति बहुत घूस लेते हैं.
ऐसे थोड़े ही मर्सिडीज उन के दरवाजे पर आ गई है. यद्यपि मेघा को ईशा की बात अच्छी नहीं लग रही थी लेकिन वह उस से कुछ कह नहीं सकती थी. इसी तरह से वीरा केरल घूम कर आई तो उस ने थोड़े से फोटो अपने गु्रप में शेयर कर दिए. उस के बाद वह काफी देर तक लाइक्स और कमैंट्स के लिए अनावश्यक रूप से तनाव में रही कि किस ने क्या लिखा आदिआदि. उस की फ्रैंड गीता ने बताया कि रिया कह रही थी कि वीरा केरल क्या घूम आई जैसे पैरिस घूम कर आई हो. ऐसे फोटो डाल कर शो कर रही है. वीरा को खुशी मिलने की जगह आपसी रिश्तों में दरार पड़ गई. कारण कुछ भी हो लेकिन आपस में दूरी तो आ ही जाती सतही संवाद.
व्हाट्सऐप पर बातें तो बहुत होती हैं जैसे जीएम, एचबीडी, एलओएल, ओके जैसे मैसेज आते रहते हैं जिन में न ही किसी तरह की आत्मीयता होती है न ही कोई भावना. आजकल हम सभी दिनभर औनलाइन रहते हैं लेकिन अपने दिल की बात हम किसी से भी साझ नहीं कर सकते. आजकल सभी दिखावे की जिंदगी जी रहे हैं.
बातचीत में कमी: व्हाट्सऐप पर बातचीत अकसर संक्षिप्त और अनौपचारिक होती है, जिस की वजह से आपसी रिश्तों में गहराई और आपसी जुड़ाव की कमी होती है.
दूर: मैसेज के टैक्स्ट में भावनाओं और संदर्भों को व्यक्त करना मुश्किल होता है, जिस के कारण आपसी रिश्तों में दूरी बढ़ सकती है. नीरा ने अपने फ्रैंड को मैसेज किया कि औफिस के बाद 5 बजे मैं इंतजार करूंगी. वैभव ने अपनी गाड़ी निकाली और घर चला गया. वह समझ ही नहीं पाया था कि वह कहां इंतजार करेगी. उस ने जब मैसेज देखा तो उस ने नीरा को फोन कर के सौरी बोला. व्हाट्सऐप पर सौरी लिखा लेकिन आपसी संबंधों में दूरी आ गई.
व्हाट्सऐप पर लगातार नोटिफिकेशन और संदेश रिश्तों पर ध्यान केंद्रित की क्षमता कम कर देते हैं. लगातार फौरवर्डेड मैसेज देख कर लोगों के मन में भेजने वाले के प्रति गुस्सा और ऊब की भावना पैदा करता है. Social Media