यौन उत्पीड़न को एक अवांछित व्यवहार के रूप में परिभाषित किया गया है. कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न दुनिया में एक व्यापक समस्या है. फिर चाहे वह विकसित राष्ट्र हो या विकासशील या फिर अविकसित, महिलाओं के खिलाफ अत्याचार हर जगह आम है. यह पुरुषों और महिलाओं दोनों पर नकारात्मक प्रभाव देने वाली एक सार्वभौमिक समस्या है.

यह महिलाओं के खिलाफ अपराध है, जिन्हें समाज का सब से कमजोर तबका माना जाता है. इसलिए उन्हें कन्या भू्रण हत्या, मानव तस्करी, पीछा करना, यौन शोषण, यौन उत्पीड़न से ले कर सब से जघन्य अपराध बलात्कार तक सहना पड़ता है. किसी व्यक्ति को उस के लिंग के कारण परेशान करना गैरकानूनी है.

यौन उत्पीड़न अवांछित यौन व्यवहार है, जिस से किसी ऐसे व्यक्ति से मिलने की उम्मीद की जा सकती है जो आहत, अपमानित या डरा हुआ महसूस करता है. यह शारीरिक, मौखिक और लिखित भी हो सकता है.

कार्यस्थल छोड़ने का मुख्य कारण

सितंबर, 2022 में जारी यूएनडीपी जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, भारत में काम करने वाली महिलाओं का प्रतिशत 2021 में लगभग 36त्न से घट कर 2022 में 33त्न हो गया. कई प्रकाशनों ने कई मूल कारणों की पहचान की, जिन में महामारी, घरेलू दायित्वों में वृद्धि और शादी एक बाधा के रूप में शामिल है. लेकिन क्या यही कारण हैं? नहीं, जिन अंतर्निहित कारणों पर हम अकसर विचार करने में विफल रहे हैं उन में से एक कार्यस्थल में उत्पीड़न है, जिस के कारण महिलाएं कार्य छोड़ देती हैं.

महिलाओं ने वित्तीय रूप से स्वतंत्र बन कर, सरकारी, निजी और गैरलाभकारी क्षेत्रों में काम कर के समाज के मानकों को तोड़ने की कोशिश की है, जो उन्हें मालिकों, सहकर्मियों और तीसरे पक्ष से उत्पीड़न के लिए उजागर करता है.

क्या कहते हैं आंकड़े?

राष्ट्रीय अपराध रिकौर्ड ब्यूरो 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, कार्यस्थल या कार्यालय में यौन उत्पीड़न के 418 मामले दर्ज किए गए. लेकिन यह संख्या केवल एक उत्पीड़न को इंगित करती है. अधिकांश लोगों का मानना है कि कार्यस्थल उत्पीड़न केवल यौन प्रकृति का हो सकता है, लेकिन वास्तव में विभिन्न प्रकार के उत्पीड़न से संबंधित विभिन्न श्रेणियां हैं, जो सभी कर्मचारियों को मानसिक रूप से प्रभावित करती हैं, जिस से अपमान और मानसिक यातना होती है. इस के परिणामस्वरूप उन की कार्यक्षमता में कमी आती है और काम छूट जाता है.

कुछ महिलाएं अभी भी कार्यस्थल में उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने से डरती हैं. यौन उत्पीड़न की निम्न उल्लेखनीय शिकायतें जो राष्ट्रीय सुर्खियों में आईं:

  •  रूपन देव बजाज, (आईएएस अधिकारी), चंडीगढ़ ने ‘सुपर कौप’ केपीएस गिल के खिलाफ शिकायत की.
  •  देहरादून में पर्यावरण मंत्री के खिलाफ अखिल भारतीय लोकतांत्रिक महिला संघ की एक कार्यकर्ता ने शिकायत दर्ज की.
  •  मुंबई में अपने सहयोगी महेश कुमार लाला के खिलाफ एक एयरहोस्टेस ने कंप्लेन की.

शिकायत कैसे दर्ज कर सकते हैं?

  •  शिकायत घटना के 3 महीने के भीतर लिखित रूप में की जानी चाहिए. घटनाओं की शृंखला के मामले में पिछली घटना के 3 महीने के भीतर रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिए. वैध परिस्थितियों पर समयसीमा को और 3 महीने तक बढ़ाया जा सकता है.
  •  शिकायतकर्ताओं के अनुरोध पर जांच शुरू करने से पहले समिति सुलह में मध्यस्थता करने के लिए कदम उठा सकती है. शारीरिक/मानसिक अक्षमता, मृत्यु या अन्य किसी स्थिति में कानूनी उत्तराधिकारी महिला की ओर से शिकायत कर सकता है.
  •  शिकायतकर्ता जांच अवधि के दौरान स्थानांतरण (स्वयं या प्रतिवादी के लिए) 3 महीने की छुट्टी या अन्य राहत के लिए कह सकता है.
  •  जांच शिकायत के दिन से 90 दिनों की अवधि के भीतर पूरी की जानी चाहिए. गैरअनुपालन दंडनीय है.
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