गुड विल सोसायटी के टावर नंबर 1 के टौप फ्लोर के कोने वाले फ्लैट में तन्मय और तमन्ना रहते हैं. एकदम एकांत फ्लैट. अपनी निजता का ध्यान रखते हुए उन्होंने यह फ्लैट मार्केट रेट से अधिक किराए पर लिया. नौजवानों के दिल कुछ जुदा ढंग से धड़कते हैं और उन के धड़कने के लिए पूरी आजादी भी चाहिए.

उन के सामने का टावर नंबर 2 था. थोड़ी दूरी अवश्य थी. निजता को ध्यान में रखते हुए सोसायटी के विभिन्न टावरों के बीच दूरी थी. दूरी तो अवश्य थी लेकिन बालकनियां आमनेसामने थीं. बालकनी में खड़े हो कर हाथ हिला कर हायहैलो हो जाती थी.

टावर नंबर 2 में तन्मय के फ्लैट के सामने वाले फ्लैट में एक अधेड़ दंपती सविता व राजेश अपने 2 छोटे बच्चों के संग रहते थे. शाम के समय उन के बच्चे सोसायटी के पार्क में खेलते और सविता बालकनी से उन पर नजर रखती थी. कहने को तो तन्मय और तमन्ना अपने को पति पत्नी कहते थे लेकिन उन का कोई विधिवत विवाह नहीं हुआ था. वास्तव में वे दोनों लिव इन पार्टनर थे. किराया आधाआधा देते थे और घर का सारा खर्च भी आधाआधा उठाते थे. सोसायटी में वे किसी से बातचीत नहीं करते थे और अपनी दुनिया में मस्त और व्यस्त रहते थे. दोनों के पास फ्लैट की 1-1 चाबी होती थी.

जो जब चाहे बिना डोरबैल बजाए घर में प्रवेश करते थे. सविता को उन दोनों का व्यवहार अजीब लगता था. न मांग में सिंदूर न ही कोई मंगलसूत्र? न ही चूडि़यां. हमेशा जींसटौप में तमन्ना दिखाई देती थी और कभीकभी मिनीस्कर्ट और हौट पैंट में आतेजाते दिखाई देती. राजेश समझता कि हम ने उन का क्या करना है. तू दूसरों के बारे में मत सोच,अपने परिवार पर ध्यान दे.

सविता भी तपाक से उत्तर देती. उस का हौटपैंट के साथ ब्लाउज से भी छोटा टौप पहनना नंगापन है. बैडरूम में जो मरजी पहने या न पहने, मैं ने क्या करना है. कम से कम घर से बाहर तो ढंग के कपड़े पहने. हमारे छोटेछोटे बच्चे हैं, कल वे ऐसे कपड़े पहनें तो क्या आप बरदास्त करोगे?

राजेश के पास इस का कोई उत्तर नहीं था. अत: बात घुमाई, ‘‘उन का प्रेम को दर्शाने का एक तरीका है. आजकल के युवा ऐसे कपड़े पहन कर रिझते हुए प्रेम करते हैं.’’

‘‘तो आप कहना चाहते हो, मैं ने आप को कभी नहीं रिझया?’’

‘‘तोबातोबा मेरे कहने का यह मतलब थोड़े था. तुम आज भी जालिम कातिल लगती हो.’’

‘‘फिर थोड़ी सी सब्जी फ्रूट ले आओ.’’

मुसकराते हुए सोसायटी के बाहर मदरडेयरी के बूथ चला गया. सब्जीफ्रूट खरीदने के बाद राजेश सोसायटी के गेट पर घुस रहा था तभी तमन्ना ओला कैब से उतरी. चुस्त जींसटौप, ऊंची ऐड़ी के सैंडल और आंखों पर बड़ा सा चश्मा पहने लंबे डग भरते हुए चल रही थी. राजेश उस की मटकती कमर देखता धीरेधीरे उस के पीछे चल रहा था. ऊपर बालकनी में खड़ी सविता सब देख रही थी.

फ्लैट के भीतर पहुंचते ही सविता ने राजेश को आड़े हाथों लिया, ‘‘पतली कमर का मजा ले आए?’’

‘‘तोबातोबा क्या बात कर रही हो.’’ ‘‘मुझे अभी चश्मा नहीं लगा है. अंधेरे में भी दूर तक दिखाई देता है.’’

‘‘मुझे तेरी शादी के टाइम वाली कमर याद आ गई. मैं बस तुलना कर रहा था. तेरी कमर ज्यादा पतली थी.’’

सविता सब समझती थी. हर मर्द की तरह राजेश भी खूबसूरत लड़की को देखता रह जाता. तमन्ना ने अपने फ्लैट का दरवाजा खोला. भीतर तन्मय डाइनिंग टेबल पर ही बोतल के साथ बैठा था. तमन्ना ने एक बीयर की बोतल खोली और गट से पी गई.

‘‘क्या बात है, मेरी जानेमन नाराज सी लग रही है?’’

‘‘एक तो औफिस वालों ने काम का प्रैशर डाला हुआ है. ऊपर से सोसायटी में घुसो तो साले खड़ूस ऐसे पीछे चलते हैं, जैसे कोई लड़की कभी देखी न हो.’’

तन्मय ने तमन्ना को अपने गले लगाते हुए गालों पर एक प्यार भरा चुंबन अंकित किया, ‘‘तू है ही इतनी सैक्सी. बेचारे बुड्ढों को गोली मार.’’

तमन्ना तन्मय से शारीरिक हो गई. ड्राइंगरूम की बालकनी का दरवाजा खुला था. खिड़की पर भी कोई परदा नहीं था.कमरे की लाइट में दोनों के हिलतेडुलते जिस्म की स्पष्ट छवि अपनी बालकनी में खड़ी सविता को दिखाई दे रही थी, ‘‘जो बंद कमरे में होना चाहिए, खुलेआम हो रहा है. आग लगे ऐसी जवानी को,’’ बड़बड़ाती हुई सविता अपने कमरे में चली गई.

सविता सही बड़बड़ा रही थी कि निगोड़ी जवानी को आग लगे. तन्मय और तमन्ना जवानी के जोश में होश खो बैठे थे. न अपना होश था न समाज की फिक्र. धड़ल्ले से बिना शादी के एकसाथ रहते हुए जीवन आजादी के साथ बिना रोकटोक के मस्ती के साथ जी रहे हैं.

1 घंटे बाद भी तन्मय और तमन्ना मदहोश थे. यही हाल उन का पिछले 2 वर्ष से चल रहा था जब से वे दोनों लिव इन में रह रहे हैं.

तमन्ना पिछले कुछ दिनों से औफिस के काम में इतनी व्यस्त रही, उसे टूर पर भी जाना पड़ा. 10 दिन का टूर बना. काम 7 दिन में ही समाप्त हो गया. वैसे तो हररोज रात को दोनों की फोन पर बातचीत होती, लेकिन मिलन नहीं हो रहा था. काम जल्दी खत्म होने पर कंपनी की अनुमति से तमन्ना जल्दी वापस रवाना हो गई. वह तन्मय को सरप्राइज देना चाहती थी.

उस ने अपने वापस आने का कार्यक्रम तन्मय को नहीं बताया.

जैसे ही तमन्ना ने अपनी चाबी से फ्लैट का दरवाजा खोला उस के खुद के लिए सरप्राइज तैयार था. तन्मय एक अन्य लड़की के साथ शारीरिक था. उन को देखते ही तमन्ना एकदम स्तब्ध हो गई. उसे उस पल कुछ नहीं सूझ.

तमन्ना को अचानक देखते ही तन्मय के होश उड़ गए. उसे तमन्ना के आने की कतई उम्मीद नहीं थी.

तन्मय और लड़की भौचक्के देखते रहे. लड़की अपने वस्त्र समेटने लगी. तमन्ना के हाथ में सूटकेस ट्रौली थी. उस ने उठा कर दोनों के ऊपर फेंक मारी. सूटकेस लड़की को लगा. वस्त्र उस के हाथ से छूट गए. एक खूंख्वार शेरनी की तरह तमन्ना उस लड़की पर झपटी और उस का हाथ पकड़ कर खींचा. लड़की छूटने की कोशिश कर रही थी. तन्मय को कुछ समझ नहीं आया कि वह क्या करे.

तमन्ना उस लड़की को खींच कर दरवाजे तक ले गई. दरवाजा खोला और बाहर धकेल दिया और फिर दरवाजा बंद कर दिया. वैसे तो फ्लैट कोने वाला था. उसी फ्लोर के दूसरे फ्लैट में एक किट्टी पार्टी थी जहां सम्मिलित होने सविता 3 और हमउम्र अधेड़ महिलाओं के साथ लिफ्ट से बाहर निकली.

तमन्ना की चीखनेचिल्लाने की आवाज के साथ गंदी गालियां उन्होंने सुनी. वे सभी रुक कर तमन्ना के फ्लैट की ओर देखने लगीं. फ्लैट के दरवाजे पर एक लगभग नग्न अवस्था में बदहवास लड़की अपने को छिपाने की असफल कोशिश कर रही थी.

फ्लैट के भीतर तन्मय और तमन्ना के झगड़ने की आवाज भी आ रही थी. सविता के साथ बाकियों को भी कुछ समझ नहीं आया. तभी दरवाजा खुला. तमन्ना गुस्से में अपशब्द बकते हुए तन्मय को धक्का दे रही थी, ‘‘तेरी हिम्मत कैसे हुई इस के साथ हमबिस्तर होने की?’’

अब तन्मय भी बोल उठा, ‘‘कौन सी तू ने मेरे साथ शादी की है जो बीवी वाला रोब झड़ रही है? मैं किस के भी साथ रहूं, तू कौन होती है मुझ से पूछने वाली, मैं तुझ से पूछता हूं तू कहां जाती है, कहां रहती है?’’

‘‘इस फ्लैट का आधा किराया देती हूं.’’

अब सविता और बाकी महिलाओं को सारा माजरा समझ आ गया. जिस फ्लैट में किट्टी पार्टी थी, वहां से एक चादर ला कर उस लड़की का तन ढक कर फ्लैट के अंदर ले गए. तमन्ना ने फ्लैट का दरवाजा बंद कर दिया. तन्मय बाहर खड़ा रहा.

महिलाओं की आंखें उसे घूर रही थीं. उस की नजर झुकी हुई थी. सविता से रुका नहीं गया. वह दो टूक बोल ही उठी, ‘‘दोनों के बारे में कुछ बताएगा या फिर बुत बन कर दोनों से पिटेगा?’’

तन्मय ने सिर्फ लोअर पहना हुआ था. वह सीढि़यों से नीचे भाग गया. महिलाओं ने उस लड़की से पूछताछ की. लड़की रो पड़ी. उस के कपड़े और पर्स फ्लैट के अंदर था.

सविता ने फ्लैट की डोरबैल बजाई. तमन्ना ने दरवाजा खोला. उसे कोई शर्म नहीं थी. उलटा सविता चढ़ गई, ‘‘क्या है? फिल्म देख ली न और क्या देखना है. मेरे मुंह मत लगना.’’

सविता चुपचाप लौट गई, ‘‘नंगों से तो कुदरत भी डरती है. हमारी क्या औकात है,’’ किट्टी पार्टी वाले फ्लैट में घुस गई.

‘‘इस नंगीमुंगी लड़की को दफा करो. जहन्नुम में जाएं तीनों. बेशर्मी की हद है. अपनी पार्टी क्यों खराब करें. शो मस्ट गो औन.’’

‘‘मैं कहां जाऊं?’’ लड़की गिड़गिड़ाने लगी.

‘‘चादर हम ने दी है. एक बार तमन्ना से अपने कपड़े मांग ले.’’

उस लड़की ने डोरबेल बजाई. हालांकि तमन्ना खुद लिव इन में थी लेकिन तन्मय को दूसरी लड़की के साथ देख नहीं सकी. उस ने लिव इन को तोड़ने का निश्चय कर लिया. तमन्ना ने उसे कपड़े नहीं दिए. बालकनी में गई और उस के कपड़ों में आग लगा दी.

‘‘आज तो इस को नंगा घूमना पड़ेगा,’’ जलते हुए कपड़े बालकनी से नीचे फेंक दिए. उस का पर्स खोल कर क्रैडिटडैबिट कार्ड तोड़ कर फेंक दिए. नकद नोटों को भी आग लगा दी और पर्स नीचे फेंक दिया.

सोसायटी में सब की जबान पर यही प्रसंग था कि फ्लैट मालिक को फोन किया जाए,

ऐसे किराएदार सोसायटी में नहीं चलेंगे. इनको हटाना होगा. तमन्ना अपना आपा खो चुकी थी. उस ने तन्मय के सारे कपड़े बालकनी में रखे और आग लगा दी. तन्मय का लैपटौप बालकनी से नीचे फेंक दिया. आग देखते सोसायटी के लोग घबरा गए. उन्होंने पुलिस और फायर ब्रिगेड को फोन किया. कुछ नौजवान आगे बढ़े. फ्लैट का दरवाजा तोड़ा गया.

पुलिस आई तमन्ना को काबू किया.आग बुझाई गई. पुलिस तमन्ना और लड़की को पुलिस स्टेशन ले गई. एक कौंस्टेबल की ड्यूटी लगा दी. जैसे तन्मय आए, पुलिस स्टेशन ले आए. महिला पुलिस ने लड़की को पहनने को कपड़े दिए. सब के परिवार को बुलाया गया. तन्मय और तमन्ना के परिवार दिल्ली से बाहर रहते थे. उन्हें नहीं मालूम था. पता चल गया. पूरी सोसायटी में बदनाम अलग हो गए. परिवार की नजरों में गिर गए. चाहे जितने आधुनिक बन जाएं, भारतीय समाज में गुपचुप तो सबकुछ स्वीकार्य है लेकिन खुल्लमखुल्ला नहीं.

तन्मय सिर्फ लोअर में घूम रहा था. आधी रात को जैसे सोसायटी के गेट के पास आया. तैनात कौंस्टेबल उसे पुलिस स्टेशन ले गया.

तमन्ना ने तन्मय को खूब खरीखोटी सुनाई. हाथापाई हो गई. सोसायटी में एक सज्जन टीवी चैनल में कार्यरत थे. वे लाइव कवरेज के लिए पुलिस स्टेशन पहुंच गए. अपनी बदनामी से बचने के लिए उस लड़की ने तन्मय पर धोखा, फुसलाना, विवाह के ?ांसे में शारीरिक संबंधों के आरोप जड़ दिए.

तमन्ना ने भी ऐसे आरोप जड़ दिए. अगर तन्मय उस के प्रति निष्ठावान नहीं है तब आसानी से उसे किसी और लड़की के साथ रहने लायक नहीं छोड़ेगी. मन ही मन उसने ठान लिया था.

बैडरूम में होने वाला सीन सार्वजनिक हो गया. टीवी चैनल पर कवरेज हो गई. तन्मय के लिए लिव इन एक खेल था, दो नावों पर सवार तन्मय बचने के लिए गोते लगा रहा था.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...