अविनाश की शादी के कुछ महीने बहुत आराम से बीते. लेकिन धीरेधीरे उसे अपने इस रिश्ते से उलझन सी महसूस होने लगी. कुछ महीने बाद अविनाश को अपनी पत्नी रिया का एक अलग ही रूप नजर आया. पहले तो अविनाश ने उसे प्यार से समझाने की कोशिश की, लेकिन उस के बाद भी उस का व्यवहार नहीं बदला और अकसर दोनों के बीच में मनमुटाव रहने लगे. यही नहीं, रिया का परिवार के हर सदस्य से किसी न किसी बात पर झगड़ा होता. और तो और वह अकसर नौकरचाकरों पर भी चिल्लाती रहती.

अविनाश ने बहुत बार चाहा कि इस रिश्ते को खत्म कर दे. पर घर के बड़ों ने हर बार समाज की दुहाई दे कर अविनाश की इस सोच को विराम लगा दिया. ऐसे ही कुछ साल और निकल गए. लेकिन पानी सिर के ऊपर से जाने लगा और एक दिन अविनाश बिना बताए रिया को उस के घर छोड़ कर चला गया. फिर उस ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा.

ऐक्सपर्ट के मुताबिक, यह अलगाव डिजर्शन होता है यानी एकतरफा फैसला. आइए जानते हैं इसे विस्तार से.

रिश्ते में ऐसे बहुत से पड़ाव होते हैं, जिस में प्यार और दुख जैसी अलगअलग भावनाओं को समयसमय पर महसूस किया जाता है. जब नईनई शादी होती है, तब दोनों पार्टनर एकदूसरे के साथ काफी प्यार और सुख से रहते हैं और उस समय रिश्ता काफी अच्छे से आगे बढ़ता है. लेकिन जैसे ही थोड़ा समय हो जाता है, तब असली जीवन की समस्याएं शुरू हो जाती हैं. और फिर दोनों पार्टनर को आपस में काफी मेलजोल बना कर रहने की जरूरत होती है.

कुछ पार्टनर दुख और क्लेश वाले जीवन के पड़ाव को झेल नहीं पाते और एकदूसरे से अलग भी नहीं हो पाते. ऐसे पार्टनर एकदूसरे को पता भी नहीं चलने देते, लेकिन अपने दिल में अपने पार्टनर की जगह को खत्म कर देते हैं.

एक रिश्ते में डिजर्शन का क्या मतलब है?

जब एक व्यक्ति खुद को अपने पार्टनर के प्रति किसी भी रूप से जिम्मेदार न समझे और अपनेआप को आजाद मान कर केवल अपने लिए ही सबकुछ करे, तो इसे डिजर्शन कहा जाता है. एक पार्टनर अपने घरपरिवार को छोड़ देता है और उस के पार्टनर को इस बारे में कुछ पता भी नहीं होता है. यह अचानक से होता है और इस में दूसरे पार्टनर की कोई सहमति नहीं होती है. कई जगह तो ऐसा करने वाले व्यक्ति पर आरोप लगा कर उसे सजा भी मिलती है.

अलग होने और डिजर्शन में क्या फर्क है?

डिजर्शन और सैपरेशन दोनों अलगअलग होते हैं. डिजर्शन में एक पार्टनर दूसरे को बिना बताए अलग होता है. इस में दूसरे पार्टनर की सहमति नहीं होती है. वह आपस में बातचीत भी नहीं करते हैं.

सैपरेशन में दोनों पार्टनर एकदूसरे की सहमति से और बातचीत कर के एक सहमत फैसला ले कर एकदूसरे से अलग होते हैं. अगर दोनों में सहमति नहीं भी होती है तो भी पार्टनर अपने पार्टनर को बताने के बाद ही अलग होता है.

अगर पार्टनर ने डिजर्शन का फैसला लिया है, तो उस के वापस आने की उम्मीद काफी कम होती है और वह अकसर वापस नहीं आता है, जबकि सैपरेशन में अगर पार्टनर फिर से खुश हो जाए और एकदूसरे से सहमत हो जाएं तो वह वापस आ सकता है.

डिजर्शन के कारण

  1. किसी और वजह से डाइवोर्स न हो पाना 

जब पार्टनर एक रिश्ते से बाहर निकलना चाहता है और उसे कोई कारण या बहाना नहीं मिल रहा है, तो अकसर वह खुद को शर्मिंदा होने से बचाने के लिए रिश्ते से भागना ही बेहतर समझता है.

2. पतिपत्नी का एकसाथ रहना असंभव हो गया हो

जब पति और पत्नी एकदूसरे के साथ न रह पा रहे हों और उन का एकसाथ रहना सभी के लिए समस्या बन रहा हो तो भी इस तरह के नतीजे सामने आते हैं.

3. शारीरिक और मानसिक रूप से क्रूरता का सामना करना 

जब एक पार्टनर अपने पार्टनर को शारीरिक या मानसिक रूप से दुख पहुंचाता है, तो वह पार्टनर किसी को बिना बताए अलग होना ही बेहतर समझता है.

4. धोखे में रहना

जब एक पार्टनर अपने पार्टनर को बारबार धोखा दे रहा हो और इस चीज को अपनी आदत बना ले तो भी दूसरा पार्टनर परेशान हो कर उसे बिना बताए उस से अलग हो जाता है.

क्या कहता है कानून

हिंदू विवाह अधिनियम,1955 में विवाह विच्छेद के बहुत से आधार हैं. अधिनियम की धारा 13(1) (आईबी) एक के मुताबिक, परित्याग (डिजर्शन)- के अंतर्गत पति या पत्नी में से किसी ने अपने साथी को छोड़ दिया हो और विवाह विच्छेद की अर्जी दाखिल करने से पहले वे लगातार दो वर्षों से अलग रह रहे हों. तो यह विवाह विच्छेद मान्य है. ‘परित्याग’ शब्द का मतलब मैरिज के दूसरे पक्ष द्वारा याचिकाकर्ता का परित्याग है.

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