रेटिंगः पांच में से एक स्टार

 निर्माताः विवेक रंगाचारी

लेखकः एम एस श्रीपति शेहान करुणातिलका

निर्देषकः एम एस श्रीपति

कलाकारः मधुर मित्तल,महिमा नांबियार, नारायण,किंग रत्नम, नासर, वाड़िवरकरासी, रियाथिका, वेला राममूर्ति,विनोद सागर, रित्विक, यारथ लोहितस्व, दिलीपन अन्य

भाषा: तमिल हिंदी

अवधिः दो घंटे 39 मिनट

अब तक क्रिकेट पर आधारित जितनी भी फिल्में बनी हैं,उन सभी को दर्शक सिरे से नकारते रहे हैं.इसकी मूल वजह यह रही है कि हर फिल्मकार सिनेमा की मूल जरुरत मनोरंजन को दरकिनार कर हमेशा क्रिकेट के खेल व खिलाड़ी को महान साबित करने का ही प्रयास करता रहा है.अब मशहूर तमिल फिल्मकार श्रीलंका के आफ स्पिनर गेंदबाज व क्रिकेट टीम के पूर्व कैप्टन मुथैया मुरलीधरन की बायोपिक फिल्म ‘‘800’’ लेकिन आए हैं.तमिल भाषा में बनी यह फिल्म हिंदी में डब करके भी प्रदर्शित की गयी है.फिल्म की कहानी अस्सी के दशक,जब श्रीलंका गृहयुद्ध से जूझ रहा था,से लेकर मुथैया मुरलीधरन के 800 विकेट लेने के बाद क्रिकेट से संयास लेने तक की कहानी है.इस फिल्म में इस बात को खास तौर पर रेखंाकित किया गया है कि तमीलियन श्रीलंकन क्रिकेटर मुथैया मुरलीधरन के लिए प्रतिभा के बावजूद अपने देश श्रीलंका के लिए क्रिकेट खेलना कितना मुश्किल था.

जब इस फिल्म की घोषणा हुई थी,तब मुथैया मुरलीधरन का किरदार दक्षिण भारतीय अभिनेता विजय सेतुपति निभा रहे थे,पर बाद में उन्होने खुद को इस फिल्म से अलग कर लिया.उस वक्त कहा गया था कि विजय सेतुपति के प्रशंसकों ने उनके घर पर हमला बोलकर उनसे इस फिल्म का हिस्सा न बनने के लिए कहा था. लेकिन इस फिल्म को देखने के बाद बात समझ में आ गयी कि विजय सेतुपति ने इस घटिया फिल्म से दूरी बनायी थी.इतना ही नही उस वक्त तमिलनाडु के राजनीतिक दलों ने भी फिल्म के निर्माण के खिलाफ आवाज उठाई थी,मगर निर्माता व निर्देशक ने आश्वस्त किया था कि इस फिल्म में मुरलीधरन की कहानी के साथ ही श्रीलंका के भारतीय तमिलों की अनकही कहानी भी बताएगी,जिन्हें अक्सर देश के अन्य श्रीलंकाई तमिलों व सिंहलियों से भेदभाव का सामना करना पड़ता है.फिल्म में मुरलीधरन पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए खुद को तमिल या सिंहली की बजाय एक क्रिकेटर ही कहते नजर आते हैं.पर उन्होने ‘तमिल’ होने की अपनी पहचान को कभी नहीं छिपाया.

कहानीः

फिल्म की शुरूआत तमिल बनाम सिंहली लड़ाई के दृष्य से होती है,जिसमें दिखाया गया है कि किस तरह सिंहली एक एक तमीलियन को मौत के घाट उतारने के साथ ही उनकी फैक्टरी तक को आग लगा रहे हैं.कैंडी में अपने माता पिता व दादी के साथ रहने वाले छह सात वर्षीय मुथैया मुरलीधरन को जब उसके गांव के बड़े बच्चे अपने साथ क्रिकेट नही खेलने देते, तब वह अपनी दादी को बुलाकर लाता है.दादी के हड़काने के बाद वह गांव के लड़कों के साथ फील्डिंग करने व बल्लेबाजी करते हुए क्रिकेट खेलता है.

एक दिन उसे गेंदबाजी करने का अवसर मिलता है,तभी वहां सिंहली उपद्रवी आ जाते हैं,और तमीलियन की तलाश कर उन्हे मौत की नींद सुलाने लगते हैं.तब एक मुस्लिम षख्स मुरली व मुरली की मां सहित कई लोगों को अपने घर में शरण देता है.पर सिंहली उसके पिता की बिस्कुट फैक्टरी में आग लगा देते हैं..उसके बाद उनकी मां उन्हें एक चर्च में पादरी से मिलकर रख देती हैं.पादरी की शरण में मुरली चर्च के ही स्कूल में पढ़ाई करने के साथ ही क्रिकेट भी खेलता है.वह पढ़ाई पर कम पर क्रिकेट में ज्यादा रूचि रखते हैं.

लेखन निर्देशनः

मुथैया मुरलीधरन ने टेस्ट क्रिकेट में 800 और वनडे क्रिकेट में 532 विकेट लिए.इसी से उनकी खतरनाक गेदबाजी का अंदाजा लगाया जा सकता है.सिर्फ भारतीय ही नहीं बल्कि आस्ट्रेलियन व इंग्लैंड के बल्लेबाज भी उनकी गेंदबाजी से डरते थे.पर तमीलियन श्रीलंकन क्रिकेटर मुथैया मुरलीधरन के लिए प्रतिभा के बावजूद अपने देश श्रीलंका के लिए क्रिकेट खेलना बहुत ही कठिनाइयों वाली डगर थी. इसे सही ढंग से परदे पर उकेरना हर फिल्मकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है. फिल्म में मुरलीधरन के संघर्ष व दर्द भरी कहानी का चित्रण है,जो कि किसी भी युवा के लिए प्रेरणा बन सकती है,मगर इसका चित्रण व तकनीकी पक्ष इस कदर कमजोर है कि यह युवा पीढ़ी तक नही पहुॅच पाएगी.

नेक मकसद से बनायी गयी इस फिल्म की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी इसकी पटकथा है.पूरी पटकथा विखरी हुई है.फिल्म देखते हुए अहसास होता है कि लेखक व निर्देशक का फोकश तय नही है.परिणामतः दर्शकों को बांधकर नहीं रख पाती. फिल्म में मुरलीधरन द्वारा खेेले गए कुछ चर्चित मैचों को पुनः जीवित करके दिखाया गया है,ऐसे दृष्यों के साथ फिल्मकार न्याय नही कर पाए. काश उन्होने ऐसे क्रिकेट मैचों के मौलिक दृष्यों के अधिकार खरीदकर उन्हे इस फिल्म में पिरोया होता. इस कमी के चलते सिनेमा के दर्शक ही नही क्रिकेट के फैन को भी इस फिल्म से कुछ नहीं मिलता.

फिल्म की सिनेमैटोग्राफी बहुत खराब है.क्रोमा पर शूट किए गए दृष्य अपना प्रभाव छोड़ने में असफल रहे हैं. इतना ही नही भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाफ मुरलीधरन द्वारा खेल गए क्रिकेट मैचों को नजरंदाज किया गया है.यॅूं तो मैं क्रिकेट का बहुत बड़ा फैन नही हॅूं,पर फिल्म देखकर अहसास होता है कि फिल्मकार का पूरा ध्येय मुरलीधरन को नेकदिल व बेहतरीन इंसान के रूप में पेश करने की रही है और उन्होने उन सभी घटनाक्रमो से बचने का प्रयास किया, जिनसे भारतीय दर्शक नाराज हो सकता है.

मसलन एक टुर्नामेंट में श्रीलंका ने पूरी भारतीय टीम को महज 54 रनों पर आउट किया था और इसमें अहम भूमिका मुरलीधरन की ही थी,जिन्होने पांच विकेट लिए थे.फिल्मकार ने चकिंग विवाद को कुछ ज्यादा ही विस्तार से चित्रित किया है,हो सकता है कि कहानी के लिए इसकी जरुरत हो,पर सिने प्रेमियों को यह अखरता है.फिल्मकार मुरलीधरन के निजी जीवन व उनकी पत्नी को भी ठीक से चित्रित नही कर पाए हैं. वास्तव में यह फिल्म मुरली धरन के लिए अपना दामन साफ करने व ख्ुाद का स्तुतिगान ही है,इसलिए भी फिल्म अपना महत्व खो देती है.

अभिनयः

इस फिल्म को बर्बाद करने में लेखक व निर्देशक के साथ ही अभिनेता मधुर मित्तल भी कम दोषी नही है.मधुर मित्तल ने ही इस फिल्म में मुथैया मुरलीधरन का किरदार निभाया है.जबकि छह सात वर्षीय मुरलीधरन के किरदार को निभाने वाला बाल कलाकार अपने अभिनय की छाप छोड़ जाता है.मधुर मित्तल का अभिनय व संवाद अदायगी काफी गड़बड़ है. इतना ही नहीं मधुर मित्तल एक भी दृश्य में मुथैया मुरलीधरन की तरह गेंदबाजी करते हुए नजर नही आए. मधुर मित्तल ने पहली बार अभिनय किया हो,ऐसा भी नही है.मधुर ने नौ वर्ष की उम्र में बाल कलाकार के रूप में अभिनय जगत में कदम रखा था.

2008 में उन्होने फिल्म ‘स्लमडाॅग मिलेनियर’ में सलीम का किरदार निभाया था.बाल कलाकार के तौर पर कुछ टीवी सीरियलों भी अभिनय किया.फिर तेइस वर्ष की उम्र में वह मिलियन डालर आर्म में भी नजर आए थे.फिर ‘पाॅकेट गैंगस्टर’ व ‘मातृ’ जैसी सुपर फ्लाप फिल्मों में नजर आए. दो वेब सीरीज भी की. इसके बावजूद बतौर अभिनेता वह इस फिल्म की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी हैं.मधुर मित्तल को चाहिए कि वह एक दो वर्ष अपने अंदर की अभिनय प्रतिभा को निखारने के लिए मेहनत करें.अखबार के संपादक की भूमिका में अभिनेता नासर ने शानदार   अभिनय किया है.अर्जुन रणतुंगा के किरदार में राजा रत्नम अपना प्रभाव छोड़ने में कामयाब रहे हैं.इसके अलावा कोई भी कलाकार ठीक से अभिनय नही कर पाया.मुरलीधरन की पत्नी मधिमलार के किरदार में महिमा नांबियार के हिस्से करने को कुछ आया ही नहीं.

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