मॉडलिंग से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली विनम्र, सांवली रंगत, छरहरी काया की धनी अभिनेत्री अनुप्रिया गोयनका कानपुर की है. उन्हें बचपन से ही अभिनय की इच्छा थी, जिसमे उनके माता – पिता ने साथ दिया. विज्ञापनों में काम करते हुए उन्हें कई भूमिकाएं मिली, जिसमें फिल्म ‘टाइगर जिन्दा है, ‘पद्मावत’ और ‘वार’ में उसकी भूमिका को दर्शकों ने सराहा. अनुप्रिया को इंडस्ट्री में जो भी काम मिलता है, उसे अच्छी तरह करना पसंद करती है. फिल्मों के अलावा उन्होंने कई वेब सीरीज में भी काम किया है. डिजनी प्लस हॉटस्टार पर उनकी वेब सीरीज ‘सुल्तान ऑफ़ दिल्ली’ रिलीज पर है, जिसे लेकर वह बहुत उत्साहित है. उन्होंने ज़ूम पर अपनी जर्नी और सपने को साकार करने की संघर्ष को लेकर बात की आइये जानते है, उनकी कहानी उनकी जुबानी.

अभिनय को दी है प्राथमिकता

काफी सालों तक इंडस्ट्री में रहने के बावजूद उन्हें उस हिसाब से फिल्मों में कामयाबी न मिलने की वजह के बारें में पूछने पर अनुप्रिया कहती है कि मैं हमेशा से थोड़ी क्वालिटी वर्क करने के पक्ष में हूँ. भूमिका छोटी हो या बड़ी,  उस विषय पर मैंने कभी अधिक जोर नहीं दिया. मेरे लिए चरित्र और जिनके साथ काम कर रही हूँ वह अच्छा होना बहुत जरुरी है. जहाँ मुझे लगता है कि मैं कुछ उनसे सीखूंगी, नया चरित्र है, या काम करने में मज़ा आएगा, वहां मैं काम करना पसंद करती हूं. मैं रोमांटिक, ग्रामीण और कॉमेडी फिल्म करना चाहती हूँ. इसके अलावा मुझे पीरियड फिल्म बहुत पसंद है. अलग और क्वालिटी वर्क, जो अलग हो, उसे करना पसंद करती हूँ. मेरे पास जो स्क्रिप्ट आती है, उसमें से मैं अच्छी भूमिका को खोजकर काम करती हूँ.

मेहनत जरुरी

किसी भी नई भूमिका के लिए अनुप्रिया बेहद मेहनत करती है, वह कहती है कि हर फिल्म की एक ख़ास जरुरत होती है जैसे फिल्म ‘वॉर’ के लिए शारीरिक रूप से फिट महिला चाहिए था, उसके लिए मैंने काफी वर्क आउट किया, क्लासेज लिए. एक्शन फिल्म के लिए फिटनेस जरुरी होता है. पद्मावत फिल्म में मैंने रानी नागमती की भूमिका के लिए बहुत रिसर्च किया. मैं खुद भी राजस्थान से हूँ, इसलिए वहाँ की रीतिरिवाज से परिचित थी. फिर भी मैंने संवाद बोलने के तरीके को अच्छी तरह से सीखा. इस तरह से मैंने हर किरदार के साथ पूरी तरह से न्याय देने की कोशिश किया है और उसके लिए जो भी जरुरी हो उसे अवश्य करती हूँ, ताकि भूमिका सजीव लगे.

 

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सपना एक महिला की  

वेब सीरीज सुल्तान ऑफ़ दिल्ली में अनुप्रिया शंकरी की भूमिका निभा रही है, जो  60 की दशक में क्राइम से सम्बंधित है. इस कहानी में स्वाधीनता के बाद लोगों ने किस प्रकार अपनी उम्मीदों को पूरा करने की कोशिश में लगे है, जिसमे एक नारी, पुरुषों की दुनिया में अपने अस्तित्व को बनाये रखने की कोशिश करती है. इसमें सबसे बड़ी उसकी हथियार उसकी सेक्सुअलिटी और सेंसुअलिटी है. दिमाग से तीखी भी है. वह ऐसी औरत है, जो अपनी मोरालिटी की वजह से पीछे नहीं हटती, जिसने सारी दुनिया देखीं है, उसे काफी चीजों का सामना करना पड़ा है. उससे निकलकर कैसे वह अपनी वजूद को साबित करना चाहती है और कई बार वह सिद्ध भी कर देती है कि वह पुरुषों से पीछे नहीं, बराबर है. उसकी कोशिश है कि वह सुल्तान भले ही न बने , लेकिन सुल्तान की साथी बनकर सभी पर राज्य करें.

 

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चुनौतीपूर्ण भूमिका

अनुप्रिया आगे कहती है कि इसमें चुनौती इंटिमेट सीन्स का था, जिसे कठिन परिस्थिति में शूट किया गया.  इसे करीब 45 डिग्री की तापमान के साथ – साथ उसमे तकनिकी चीजो का अधिक प्रयोग हुआ है. राजकोट में 5 घंटे की इस शूटिंग को गर्मी में करना मुश्किल था. इमोशनली भी कठिन था, क्योंकि इसके तुरंत बाद मुझे शादी के गेटअप में आना था. ये मेरे लिए यादगार दृश्य है और जब तक कुछ नया अभिनय न कर लूँ, ये दृश्य मेरे जीवन का सबसे अधिक कठिन और यादगार सीन ही रहेगा.

सपने देखना आवश्यक

सपने हर कोई देखता है, क्या आप अपने सपने तक पहुंच पाई? अनुप्रिया कहती है कि सपने तो मैंने देखे है और इसमें अगर जद्दोजहत न हो, तो जिंदगी का मजा कम रह जाता है. सब सही होने पर सिंपल लाइफ शुरू होता है. मेरे हिसाब से एक सपना पूरा होने पर दूसरा सामने आ जाता है. मैंने जो सोचा था उससे कही अधिक मुझे मिला है, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं एक जानी – मानी एक्ट्रेस बनूँगी, मेरे कई लाख फैन फोलोवर्स होंगे. दर्शक मेरे काम की तारीफ करेंगे. ये मेरी एक जर्नी है, जिसमें मैंने धीरे – धीरे कामयाबी पाई है. मैंने अच्छे फिल्म मेकर्स और को स्टार के साथ काम किया है. मैंने जो सोचा उसी चरित्र को मैंने किया. इसके अलावा मेरे 4 से 5 मेरे लक्ष्य है, जिसे मैं पाना चाहती हूँ. जिसमे स्मिता पाटिल की ‘ मिर्च मसाला, रेखा की उमराव जान जैसे उन फिल्मों की इंतजार में हूँ और वैसी फिल्मों में काम करने की इच्छा रखती हूँ.

किये संघर्ष

अनुप्रिया कहती है कि मुझे यहाँ इंडस्ट्री में कोई जानने वाला नहीं है, ऐसे में मेरे लिए कोई कहानी लिखी नहीं जायेगी. मुझे काम ढूढना पड़ा और सब कुछ सीखना पड़ा. टाइगर जिन्दा है और पद्मावत फिल्म के बाद ऑडिशन देने की संख्या कम हो गयी है. ये मेरे लिए सबसे अधिक राहत है. इसके अलावा अभी भी आगे काम के लिए निर्देशकों से मिलना पड़ता है, पर मैं फिल्मों के अलावा विज्ञापनों में भी काम करती हूँ. आउटसाइडर के कलाकार का लर्निंग पीरियड हमेशा चलता ही रहता है.

इंटिमेट सीन्स समस्या नहीं

अन्तरंग दृश्यों को लेकर सहजता के बारें में पूछने पर अनुप्रिया कहती है कि मैं बहुत सहज हूँ, लेकिन सीन्स उस कहानी के साथ जाने की जरुरत होनी चाहिए. महिलाओं की कामुकता को उसकी गहराई को दिखाए बिना, मार्केटिंग के उद्देश्य से इंटिमेट सीन्स को दिखाने में मैं सहज नहीं और करना भी नहीं चाहूंगी. ऐसे दृश्य को बहुत ही मर्यादित तरीके से दिखाए जाने की जरुरत होती है, क्योंकि एक औरत में बहुत सारी चीजे होती है और उसे सम्हालना फिल्म मेकर का काम होता है.

 

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समय मिलने पर

अभी अनुप्रिया ह्यूमन ट्राफिकिंग पर कुछ काम करना चाहती है, जो देश में बहुत जरूरी है. इसके अलावा अनुप्रिया डांसिंग, सिंगिंग, पेंटिंग और गाने सुनती है.

महिलाओं के लिए अनुप्रिया का मेसेज है कि महिलाओं को वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर होने की जरुरत है. जिससे उनकी सोच और विचार को रखने के साथ -साथ कुछ कहने की आज़ादी मिलती है. तभी वे एक अच्छे भविष्य का निर्माण कर सकती है.

त्यौहार, परिवार के साथ

त्यौहार को अनुप्रिया मनाना बहुत पसंद करती है, वह कहती है कि त्यौहार में शुरू से मैं अपने परिवार के साथ रहना पसंद किया है. उस दिन साथ मिलकर खाना खाते है. त्यौहार की सबसे अधिक खास बात उस दिन को परिवार के साथ सेलिब्रेट करना होता है. इसके अलावा इसमें घर की साफ – सफाई और नए कपडे पहनना आदि भी उत्साहवर्धक होते है, लेकिन इसका स्वरुप अब बदल चुका है. मोबाइल फ़ोन के ज़रिये ही त्यौहार मनाया जाता है, जो मुझे पसंद नहीं. थोड़े समय साथ मिलकर खुशियों को मनाना ही इसमें प्रमुख होना चाहिए, जिसे दूर – दूर रहकर अनुभव नहीं किया जा सकता. किसी भी रिश्ते की मजबूती साथ रहने से होती है.

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