प्रिया कई दिनों से दीवाली की शौपिंग कर रही थी. आज वह कपड़ों की शौपिंग के लिए गई थी. जैसाकि हर साल होता था उस के पति और सास उम्मीद कर रहे थे कि वह अपने दीवाली लुक के लिए कोई खूबसूरत सी साड़ी या शरारा या फिर घेरदार सूट जैसी कोई ऐथनिक ड्रैस लाएगी. दरअसल, दीवाली में ऐथनिक लुक को ही परफैक्ट माना जाता है.

लेकिन प्रिया के मन में कुछ और ही चल रहा था. जब वह वापस आई तो उस के हाथ में एक खूबसूरत सी वैस्टर्न ड्रैस थी. यह ड्रैस मैरून कलर की स्टाइलिश मिडी थी जिस की बाजुओं पर कुछ गोल्डन स्टोंस जड़े थे. उस के ऊपर गोल्डन कलर की कोटी यानी जैकेट थी. ओवरऔल ड्रैस बहुत खूबसूरत लग रही थी मगर उसे डर था कि ड्रैस देख कर उस की सास उस से नाराज न हो जाए. इसलिए बड़े प्यार से उन के गले में बांहें डाल कर प्रिया ने पूछा, ‘‘क्या मैं दीवाली के दिन अपनी पसंद की यह ड्रैस पहन सकती हूं मां?’’

सास ने उस की तरफ आश्चर्य से देखा और बोलीं, ‘‘साड़ी/शरारा या फिर अनारकली सूट क्यों नहीं लिया? इस बार तुम यह क्या ले कर आई हो?’’

‘‘मां याद है आप को पिछले साल मैं ने साड़ी पहनी हुई थी और मेरी साड़ी के आंचल में दीए से आग लग गई थी. 1 मिनट में ही क्या से क्या हो सकता था.’’

‘‘हां वह तो याद है मुझे मगर उस में तेरी लापरवाही थी. आखिर तो दीवाली के दिन घर की बहू को इस तरह के ही कपड़े पहनने चाहिए न जो उसे शोभा दें.’’

तभी पति ने बीच में कहा, ‘‘नहीं मां ऐसा क्या है? कपड़े तो वे पहनने चाहिए न जो कंफर्टेबल हों और स्टाइलिश भी हों. लेकिन ऐसा न पहनें जो आप को बोझ लगने लगे. प्रिया को साड़ी पहननी भी नहीं आती. उसे साड़ी संभालने में दिक्कत होती है. उस के बावजूद वह हर साल साड़ी पहनती है. मगर आप ने पिछले साल देखा कि साड़ी की वजह से किस तरह बड़ी दुर्घटना हो सकती थी. अगर वह चाहती है कि कुछ और पहने और अच्छी दिखे तो क्या बुराई है?’’

मां ने एक बार फिर ऊपर से नीचे तक वह ड्रैस देखी और मुंह बना लिया. पति ने मां को फिर सम?ाया, ‘‘मां, एक बार देख तो लो कि कितनी खूबसूरत लगेगी प्रिया इसे पहन कर.’’

प्रिया ड्रैस को पहन कर आई तो वाकई सब देखते रह गए. वह जितनी स्टाइलिश लग रही थी उतनी ही खूबसूरत भी लग रही थी और साथ ही यह ड्रैस बिलकुल दीवाली के मिजाज की भी थी.

सास ने प्यार से उस के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, ‘‘पुरानी सोच और पुरानी परंपराओं को मानने के बावजूद मैं तेरी इस नई सोच और इस नई ड्रैस के लिए पौजिटिव हूं. यह मुझे पसंद आई है. तू वही पहन और वही कर जो तुझे अच्छा लगे, जो कर के तुझे खुशी मिले. यह त्योहार खुशियों का त्योहार है. इस में हर किसी को अपने हिसाब से अपनी खुशियां बटोरने का पूरापूरा हक है.’’

प्रिया सास के गले लग गई. पति भी हौलेहौले उन दोनों को देख कर मुसकराने लगा.

जो मन आए वह पहनें दरअसल, महिलाओं से उम्मीद की जाती है कि वे दीवाली जैसे मौके पर ऐथनिक ड्रैस ही पहनें साड़ी/लहंगा/चोली/शरारा या फिर घेरदार सूट वगैरा. जबकि इस तरह के कपड़े अकसर जल्दी आग पकड़ते हैं और कंफर्टेबल भी नहीं होते. कभी दुपट्टा संभालो तो कभी साड़ी का पल्लू. इसलिए वह ड्रैस पहनें जो आप का दिल कर रहा है. जरूरी नहीं कि इस दिन बंधीबंधाई परंपराओं के हिसाब से आप कोई ऐथनिक ड्रैस ही पहनें. ऐसा भी नहीं कि ऐथनिक ड्रैस में ही आप खूबसूरत लगेंगी.

आप का मन है तो आप मौडर्न ड्रैस भी पहन सकती हैं. आप अपने हिसाब से कुछ अलग और क्रिएटिव सोच रखें और अलग तरह की ड्रैस ला कर देखें. बस चुनाव करते समय इतना ध्यान रखें कि वह ड्रैस आप के ऊपर फबे और आप कंफर्टेबल रहें. साथ ही वह थोड़ी ब्राइट कलर की भी ड्रैस हो. डल कलर न पहनें. थोड़ाबहुत काम भी किया हुआ हो ताकि वह दीवाली के मिजाज से मिलता हुआ हो. इस से आप दूसरों से एकदम अलग नजर आएंगी और दूसरों से ज्यादा खूबसूरत लगेंगी.

हमारे जीवन में दीवाली जैसे रंग और रोशनी के त्योहार बेहद खास होते हैं. रोजाना की बोरिंग दिनचर्या से दूर ये कुछ दिन हम सब अपने परिजनों और दोस्तों के साथ सैलिब्रेट करते हैं. हर परेशानी और मुश्किल को भूल कर कुछ समय केवल हंसतेमुसकराते और मस्ती करते हुए बिताते हैं. बाद में ये ही पल खूबसूरत यादें बन कर हमारे मन में उत्साह भरते रहते हैं.

महिलाएं दीवाली के कुछ दिन पहले से ही इस की तैयारियों में व्यस्त रहने लगती हैं. सारे घर की सफाई, सजावट, नए कपड़ों और दूसरे सामान की शौपिंग, मिठाई का इंतजाम, दीवाली की दूसरी तैयारियां वगैरह. मगर कुछ बातें ऐसी भी हैं जिन का ध्यान रख कर आप अपनी दीवाली और भी खूबसूरत और यादगार बना सकते हैं:

सप्ताहभर की मस्ती

पति के दोस्तों और अपनी सहेलियों को घर पर इन्वाइट करें और जम कर पार्टी कीजिए. दिल खोल कर एकदूसरे से मिलिए. एक दिन आप को मेजबानी करनी है और बाकी दिन आप अपने खास दोस्तों के घर मेहमान बन कर जाइए. उन के साथ कुछ खुशियों के पल गुजारिए. पुरानी यादें ताजा कीजिए. किसी दिन एक दोस्त के घर जाएं तो दूसरे दिन किसी और दोस्त के घर पार्टी करें. मतलब दीवाली पार्टी सप्ताहभर का प्रोग्राम है. नाचगानों का आनंद उठाएं. खाएं और खिलाएं. लड़ाई?ागड़े और शिकवेशिकायतें भूल कर बस प्यार और खुशियां बांटें. अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों से मिल कर उन से अपने दिल की बातें करें.

बिंदास रहें

दीवाली का मतलब है दिल खोल कर खुशियों को अपने दिलोदिमाग में और अपने जीवन में जगह देना. इसे किसी तरह की मजबूरी या बंधन के साथ न मनाएं. आप ऐसा न सोचें कि आप परंपराओं से बंधी हुई हैं. आप बिंदास रहें. वैसे दीवाली मनाएं जैसे आप का मन कर रहा हो. खूब मिठाई खाएं. अपने ऊपर यह सोच हावी न होने दें कि मिठाई खाने से मोटी हो जाएंगी. हां, इतना जरूर कीजिए कि मिठाई अपने घर में बनाएं. 1-2 दिन जी भर कर मिठाई खा भी ली तो कोई आफत नहीं टूटेगी. अपनी जिंदगी को जीने की कोशिश कीजिए.

त्योहारों के इस मौसम में बंधी हुई सी या रुकी सी जिंदगी से दूर एक मस्त जिंदगी का आनंद लीजिए. अभी आप के पास छुट्टियां हैं. अगर आप औफिस जा भी रही हैं तो घर आ कर अपनेआप को पूरी तरह उत्सव के रंगों में डुबो लीजिए. शाम में शौपिंग कीजिए. नईनई चीजें घर लाइए जिन से दीवाली में आप के मन में भी रौनक रहे.

दीवाली के दिन कोई झगड़ा नहीं

कई बार होता यह है कि हम त्योहार के समय किसी से झगड़ पड़ते हैं और पूरे परिवार का मजा खराब कर देते हैं. प्रिया ने भी यही गलती की. दीवाली से 10 दिन पहले ही अपनी जेठानी से झगड़ पड़ी. बात बहुत छोटी सी थी मगर दोनों में बातचीत बंद हो गई. दोनों एक ही बिल्डिंग में ऊपर और नीचे के फ्लोर में रहती थीं. दरअसल, उन के बच्चों के बीच झगड़ा हुआ था और उसी झगड़े को दोनों ने आपसी झगड़े में बदल दिया.

इस बात का उन की दीवाली की रौनक पर इतना बुरा असर पड़ा कि न तो बच्चे ही खुश हो कर दीवाली मना पाए और न ही बाकी घर वाले. दोनों ने अपने बच्चों को दूसरे के बच्चों से मिलने से मना कर दिया. दीवाली के दिन भी बच्चे अपनेअपने घर में गुमसुम से रहे.

पहले हमेशा दीवाली के दिन दोनों परिवार मिल कर दीवाली मनाते थे तो रौनक लगी रहती थी. मगर इस दफा रिश्तेदार भी उन के घर आने से कतराने लगे क्योंकि इस तरह के माहौल में कोई भी आना नहीं चाहता था. इस का असर घर के माहौल पर पड़ा. पतिपत्नी के बीच भी झगड़ा हो गया और एक अच्छाखासा खुशी का त्योहार नाराजगी और रोनेधोने में बीत गया.

जाहिर है अगर आप त्योहार के दौरान किसी से विवाद करती हैं तो आप का मूड खराब हो जाता है और त्योहार का मजा किरकिरा हो जाता है. पतिपत्नी एकदूसरे को ताने कस रहे हों, शिकवेशिकायतें कर रहे हों तो उस से भी मन खट्टा हो जाता है और त्योहार का उत्साह ठंडा पड़ने लगता है. इसलिए दीवाली के दिनों में बिलकुल अपने पति या घर के दूसरे सदस्यों से ?ागड़ा या विवाद न करें. सारे मामले प्यार से और एकदूसरे को सम्मान दे कर सुल?ाएं क्योंकि जब आप के रिश्ते खूबसूरत होंगे तो त्योहारों का भी मजा आएगा.

कपल्स मिल कर करें तैयारी

कपल्स की दीवाली तब अधिक शानदार होगी जब दोनों मिल कर हर जिम्मेदारी निभाएं. शौपिंग के लिए अकेली पत्नी क्यों जाए? दोनों जाएंगे तो 2 दिमाग मिल कर ज्यादा बेहतर शौपिंग कर पाएंगे. दोनों की पसंद की चीजें घर में आएंगी और खरीदी गई चीजों पर मीनमेख निकालने के चांसेज कम हो जाएंगे. किसी एक पर बर्डन नहीं पड़ेगा तो दोनों के चेहरे खिलेखिले रहेंगे. साथ समय बिताने का मौका भी मिलेगा और लगे हाथ दोनों बाहर लंच या डिनर करने का आनंद भी उठा सकेंगे. एकदूसरे की पसंद की गिफ्ट आइटम्स भी ले सकेंगे और दोनों को पता रहेगा कि कहां कितना खर्च हो रहा है. इसलिए अब पुरानी सोच भूल जाएं कि दीवाली की तैयारी और शौपिंग करना अकेली पत्नी का ही काम है. कपल्स के लिए दीवाली रोशनी और उमंग का त्योहार ही नहीं है बल्कि एक नई खूबसूरत जिंदगी की धरोहर भी है. रूठों को मनाएं या सोचना छोड़ दें कई बार होता यह है कि हम किसी रिश्ते के कारण अकसर ही परेशान रहते हैं. हमारे कई रिश्तेदार ऐसे होते हैं जो हमें कहीं न कहीं परेशान किए रहते हैं. वे जिंदगीभर कुछ न कुछ शिकवेशिकायत कर के आप को दुखी करते रहते हैं. ऐसे में या तो उस रिश्ते को अच्छे से निभाएं और सामने वाले की सारी शिकायतें दूर करने का प्रयास करें. आप यह कोशिश सालों से कर रही हैं पर यह संभव नहीं हो पा रहा है तो मिट्टी डालें और उस रिश्ते को पूरी तरह भूल जाएं.

दीवाली या इस तरह के त्योहारों के मौके पर अपने मन को उल?ान में न डालें या दुखी और उदास न रखें बल्कि अगर कोई आप से अच्छे से बरताव नहीं कर रहा है और आप की लाख कोशिशों के बावजूद वह आप के प्रति अपना मन साफ नहीं रखता है, आप से शिकायतें करता है, ताने कसता है तो ऐसे व्यक्ति से त्योहार के मौके पर दूरी बना कर रहें. उस के बारे में न सोचें और न उसे फोन करें या बुलाएं, न ही उस के लिए कोई गिफ्ट भेजें यानी बिलकुल कट औफ कर लीजिए या रिश्ता बिलकुल खूबसूरत बना लीजिए ताकि आप का मन आनंदित रहे. आप के मन की खुशी के बीच किसी तरह का व्यवधान न आए.

नशा या जुआ जैसी चीजों से दूर रहें आप अपने पति से साफ बात करें कि इस दिन न तो वे शराब पीएंगे और न ही कोई दूसरा नशा करेंगे. अपने दोस्तों को बुला कर उन के साथ भी किसी तरह के नशे में शामिल नहीं होंगे. साथ ही जुआ खेलने की परंपरा भले ही पुरानी मानी जाए मगर यह सही नहीं है क्योंकि आप जुआ खेलेंगे तो आप के बीच झगड़ा हो सकता है और त्योहार का मजा किरकिरा हो जाता है. जितना आडंबर कम होगा, ताश या शराब से दूरी रहेगी उतना त्योहार खूबसूरत बना रहेगा.

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