बाजार की दूरी, दुकानें खुली मिलने का निर्धारित सीमित समय, बाजार जाने में बढ़ता पैट्रोल का खर्च, औफलाइन खरीदारी में चुनाव की सीमित संभावना आदि कई कारण हैं, जो औनलाइन खरीदारी के लिए प्रेरित करते हैं. कपड़े खरीदने हों तो मंत्रा, नायिका, इलैक्ट्रानिक्स के लिए अमेजन, फ्लिपकार्ट, दवाइयों के लिए ट्रू मेड, फार्म इजी. फर्नीचर लेना हो तो पेपर फ्राई या वेकफिट, किराना के लिए बिग बास्केट, जियोमार्ट सहित अनेक स्थानीय प्लेटफौर्म सीधे मोबाइल पर ही ऐप्स के जरीए उपलब्ध हैं.

जोमैटो, स्विगी आदि ऐप्स के जरीए होटलों से बनाबनाया भोजन हम जहां चाहें वहां मंगा सकते हैं. इन प्लेटफौर्म्स पर कंपीटिटिव कीमतों में अच्छा सामान उपलब्ध होता है, जो सीधे आप के घर पर आ जाता है. भुगतान के भी कई विकल्प होते हैं जिस में कैश औन डिलिवरी की सुविधा शामिल है. पसंद न आने पर निर्धारित अवधि के भीतर सामान वापसी की सुविधाएं भी यह वैब साइट देती है. जो सब से बड़ी कठिनाई औनलाइन खरीदी में है वह है सामान को भौतिक रूप से देखे बिना चित्र देख कर पसंद करने की होती है.

सच बयां करें

इसी से प्रोडक्ट के फोटो के साथ उपभोक्ताओं द्वारा की गई रेटिंग का महत्त्व बहुत बढ़ जाता है. नए ग्राहक, पुराने उपयोगकर्ताओ के अनुभव के आधार पर उन के द्वारा की गई स्टार रेटिंग तथा अन्य उपभोक्ताओं के रिव्यू देख कर अपनी खरीदारी का निर्णय ले सकते हैं. कस्टमर रिव्यू पढ़ कर आप को प्रोडक्ट की क्वालिटी का एक अंदाजा हो जाता है. ई कौमर्स में रिव्यू बड़ी भूमिका निभाता है. रिव्यू की संख्या जितनी अधिक होती है, रिव्यू उतना ही विश्वसनीय होता है. लेकिन यह तभी संभव है जब कस्टमर रिव्यू वास्तविक उपभोक्ता ही लिखें और फीडबैक में सच बयां करें.

रिव्यू के महत्त्व को देखते हुए विक्रेता इन दिनों फेक रिव्यू का जाल बुन रहे हैं. प्राय: कंपनियां खुद ही औनलाइन फर्जी रिव्यू करवाती हैं और नए ग्राहकों को रिव्यू के आधार पर आकर्षित कर रही हैं. अमेजन से ही खरीदे गए कुछ प्रोडक्ट्स के साथ मु?ो कुछ कूपन प्राप्त हुए जिन में स्पष्ट उल्लेख है कि यदि मैं प्रोडक्ट की फाइव स्टार रेटिंग कर के उस का स्क्रीन शौट भेज दूं तो मु?ो सौ रुपए का कैश बैक दिया जाएगा, जबकि मूल सामान ही कुल 4 सौ रुपए का था. यूपीआई से पेमैंट की सुविधा के चलते इस तरह का लेनदेन बड़ा सरल हो चुका है. उपभोक्ता हित में रिव्यू के इस तरह के फर्जीवाड़े पर नियंत्रण बहुत जरूरी हो गया है.

बढ़ रहा घपला

एक और तरह का घपला इन दिनों चल रहा है. फेसबुक प्रमोशनल पेज के जरीए स्टाक क्लीयरेंस के नाम पर अति उच्च गुणवत्ता के मेवे, फर्नीचर या अन्य किसी सामान के फोटो लगा कर औनलाइन और्डर लिए जाते हैं. 5-6 दिनों में जैसे ही कुछ राशि इकट्ठी हो जाती है ये पेज गायब हो जाते हैं. कुछ दिन और्डर की प्रतीक्षा के बाद जब ठगे गए व्यक्ति को अपनी गलती का एहसास होता है तब वह पुलिस में शिकायत तक नहीं करता क्योंकि जिस व्यक्ति के साथ यह घटना होती है, उस के लिए दी गई रकम ज्यादा बड़ी नहीं होती.

दरअसल, यह एक तरह का ई कौमर्स के नाम पर किया जा रहा साइबर अपराध है. इस से बचने का सब से बेहतर तरीका थोड़ी सी सजगता है. इस तरह की वैब साइट कभी भी कैश औन डिलिवरी का औप्शन नहीं देती. आशय यही है कि ई कौमर्स हमेशा ट्रस्टेड वैब साइट से किया जाना चाहिए.

ई कौमर्स सैक्टर के लिए प्रथक सरकारी रेगुलेटर आवश्यक है. वर्तमान में इन शिकायतों को ले कर उपभोक्ता नैशनल कंज्यूमर हैल्पलाइन पर ही निर्भर हैं. वाणिज्य और उपभोक्ता मंत्रालय ने ई कौमर्स के लिए नई गाइड लाइन बनाई है जिस के अनुसार प्रोडक्ट फेक या डैमेज हुआ तो विक्रेता के साथ ई कौमर्स पोर्टल को भी जिम्मेदार बनाया गया है. गलत या टूटा सामान पहुंचने पर 14 दिन के भीतर ग्राहक को रिफंड देना होगा. 30 दिन के भीतर ग्राहक की शिकायत पूरी तरह दूर करनी होगी. डिटेल्स के मुताबिक सामान नहीं होने पर ग्राहक को सामान लौटने का अधिकार होगा. अनफेयर बिजनैस प्रैक्टिस के तहत कंपनी द्वारा करवाए गए फर्जी रिव्यू पाए जाने पर कानूनी कदम उठाए जाएंगे.

ताकि उपभोक्ता सतर्क रहें

पोर्टल पर विक्रेता का पूरा पता और कौंटैक्ट नंबर देना जरूरी हो. रिफंड और रिटर्न पौलिसी स्पष्ट रूप से पठनीय हो तो उपभोक्ता खरीदारी से पहले ही सतर्क होगा.

पिछले वर्षों में औनलाइन उपभोक्ता लगातार बढ़ रहे हैं. साथ ही ई कौमर्स कंपनियों के खिलाफ शिकायतों में भी बढ़ोतरी हुई है. आमतौर पर डिलिवरी में देरी, गलत प्रोडक्ट, रिटर्न और रिप्लेसमैंट के साथ रिफंड को ले कर शिकायतें होती हैं. इसलिए समय के साथ चलते हुए अपनी सतर्कता से औनलाइन शौपिंग को मजेदार, सुविधाजनक अनुभव बनाएं न कि विवादों में उल?ा कर अपना समय बरबाद कर और तनाव बढ़ाएं. हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं.

औनलाइन प्लेटफौर्म्स को शोरूम या दुकान के खर्च से छुटकारा मिल जाती है, उन की बिक्री चौबीसों घंटे चलती रहती है. अत: वे अपेक्षाकृत सस्ता सामान उपलब्ध करवा सकते हैं, किंतु पैकिंग एवं डिलिवरी का अतिरिक्त व्यय भी उन्हें उठाना पड़ता है.

तो ठगी से बच सकते हैं

उपभोक्ता की दूरिज्ट से यदि हम और्डर करने से पहले फेक रेटिंग और रिव्यूज की जांच कर लें तो हम ठगी से बच सकते हैं. द्घड्डद्मद्गह्यश्चशह्ल.ष्शद्व वैब साइट की मदद से किसी भी सामान की फेक रेटिंग और रिव्यूज पढ़ सकते हैं. सभी यूजर्स के लिए यह वैब साइट मुफ्त उपलब्ध है. फेक चैक करने के लिए इस वैब साइट पर लौगइन करने की जरूरत नहीं होती.

जो भी सामान खरीदना चाहते हैं वह लिंक कापी करें और फिर लिंक को इस वैब साइट पर पेस्ट कर एनालाइज बटन पर क्लिक कर दें. इस के बाद आप नीचे फेक रेटिंग और रिव्यू देख सकते हैं. औनलाइन शौपिंग प्लेटफौर्म साल में 1 या 2 बार सेल के शौपिंग फैस्टिवल मनाते हैं, जिन में कम समय में ज्यादा विक्रीय होने के कारण कुछ कम कीमत पर सामान उपलब्ध हो जाता है, इसलिए जागरूग बने रहिए और औनलाइन शौपिंग के मजे उड़ाते रहिए. नई मोबाइल डिपैंडैंट पीढ़ी के साथसाथ दुनियाभर में औनलाइन शौपिंग का क्रेज बढ़ता जा रहा है.

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