इन दिनों लोगो का  स्ट्रेस लेवल इस कदर बढ़ रहा है कि पीड़ित ख़ुदकुशी जैसा कदम उठाने से नहीं कतराता है.ऐसा ही एक मामला हाल ही में नोएडा के सेक्टर 142 क्षेत्र में सामने आया.आईटी कंपनी में काम करने वाली एक युवती जो कि उम्र में महज 22 साल की ही थी  और कंपनी में वेबसाइट बनाने का काम करती थी.उसने ऑफिस में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. उसका शव उसकी  केबिन में ही लटका हुआ मिला.आजकल आए दिन इस तरह के मामले देखने को मिल  जाते हैं. यहां तक कि अर्ली टींस भी बात बात पर टेंशन जैसे शब्दों को अपनी आम बोली चाली में प्रयोग करते नहीं थकते. जिससे उनमें  भी टेंशन यानि तनाव बढ़ने लगता है. अधिकतर हम सभी जाने अनजाने में जाने कितनी बार इस वाक्य को दोहराते हैं कि ‘मुझे टेंशन हो रही है’ और इस बात को खुद पर इतना हावी कर लेते हैं कि नार्मल बात को भी हम एक चुनौती  की तरह  लेते हैं और अपने आप को तनावग्रस्त कर लेते हैं नतीजतन हम धीरे धीरे मानसिक रूप से कमजोर महसूस करने लगते हैं इसके लिए जरूरी अपने जीवन में कुछ आदतों में बदलाव करना. तो चलिए जानते हैं .

तनाव का जिक्र ना करें

आज कल ऐसा हर एक पीढ़ी के लोगो के साथ हो रहा है चाहे युवा हो या बूढ़ा पर बड़ों की बातों का असर बहुत जल्दी पड़ता है. हमारी सोच ही  हमारा जीवन जीने का तरीका बनती जाती है किसी भी बात को नेगेटिव विचार के साथ अंत ना करें बल्कि पॉजिटिव  सोच के साथ अंत करें.और जो बातें आपको तनाव पूर्ण बनाती हो उन से परहेज करें.

मन का काम जरूर करें

यदि आपको लगता है कि आप तनाव में हैं और आपका ध्यान ऐसी बातों से हट नहीं रहा है तो आप खुद को अपने पसंदिता काम में व्यस्त रखें. खुद को क्रिएटिव कामों में व्यस्त रखें.इससे दिमाग रिलैक्स होता है  फील गुड फैक्टर आता है. साथ ही अपना स्क्रीन टाइम कम करें, मोबइल का प्रयोग कम  करें .

स्वछता है जरूरी

जरूरी है कि हम शरारिक रूप से ही नहीं मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहें. जिस तरह हमें अपने आस पास फैला हुआ कचरा पसंद नहीं होता उसी प्रकार हमें अपने दिमाग़ में कड़वी या कष्ट देने वाली बातों को इकठे नहीं होने देना चाहिए. अपनी परेशानी को किसी के साथ  साझा अवश्य करें इससे मन का बोझ  हल्का होता है और दिमाग़ भी.

एक्सरसाइज करें

एक्सरसाइज करना वैसे तो हर किसी के लिए बहतर ही होता है लेकिन यदि कोई तनावग्रस्त या डिप्रेशन में है तो रिलैक्स करना और थोड़ी एक्सरसाइज उसके लिए सबसे बेहतर है.

किताबें पढ़े

आजकल सभी डिजिटल मीडिया को अधिक तवज्जो देते हैं और ऑनलाइन अपने पसंदीदा टॉपिक या बुक  भी पढ़ लेते है देखा जाए तो यह गलत नहीं है लेकिन यदि हम किताबें पढ़ते है तो  उनसे एक जुड़ाव बनता है   जिससे दिमाग़ शांत और स्थिर होता है इसलिए अपनी पसंद की  किताबें पढ़े जिससे आप खुद को रिलैक्स महसूस कर पाएंगे. यह रीडिंग थेरेपी भी कहलाती है. हर समय मोबाइल के साथ बुक्स भी पास रखें.

संगीत सुने

संगीत सुनना एक बहुत अच्छी थेरेपी है इससे  आपके शरीर में कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन) स्तर कम होते है. इसीलिए जब भी आप खुद तनाव ग्रस्त महसूस करें तो संगीत सुने या गाने गुनगुनाएं.यह  हमें तनाव मुक्त बनता है.

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