अन्नू देखने में बहुत खूबसूरत है. मोटी मोटी ऑंखें, गोरा रंग, सुराही सी गर्दन, पंखुड़ी से होठ, हल्की लम्बी नाक जो उसके चेहरे पर बहुत फबती है. फिर भी जाने क्यों वो कभी भी अपनी नाक को देखकर ख़ुश नहीं होती।उसे हमेशा लगता है कि उसकी नाक उसके चेहरे की रंगत बिगाड़ रही है. जिस कारण वह डॉक्टर के यहां जाने से भी नही चुकती कभी प्लास्टिक सर्जरी की बातें करती है, तो कभी ना-ना प्रकार के ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती है. इसके बावजूद उसके मन में यह धारणा बन चुकी हैं उसकी नाक उसकी खूबसूरती को खराब कर रही हैं जिस कारण वह कभी कभी तो पार्टीज़ में जाना,लोगो से मिलना भी छोड़ देती है. उसकी इस सोच के पीछे का कारण कोई मामूली नहीं बल्कि यह एक तरह की बीमारी है जिसमे कोई व्यक्ति हर वक़्त सिर्फ अपने शरीर के केवल अंग दोष के बारे में ही सोचता रहता है इस विकार को बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर कहते हैं.

हर किसी व्यक्ति की बॉडी पर्सनालिटी भिन्न होती है कोई साँवला,तो कोई गोरा, किसी के होंठ मोटे,तो किसी के पतले इसी तरह हर एक बॉडी पार्ट अलग होते हैं जो की प्रकृति की देन है लेकिन इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति इन सब बातों को नहीं मानता बल्कि उसे सनक हो जाती है की वो दिखने में बहुत खराब हैं और वह अपने अंगों में दोष निकलता रहता है. अगर यह बीमारी अधिक बढ़ जाए तो वह खुद को नुकसान पहुंचाने से भी नहीं चुकता.

इसलिए जरूरी हैं की आपको इसके लक्षण व बचाव के बारे में जानकारी हो जिससे आप अपने या किसी परिचित की स्थिति को समय रहते जान सकें व किसी अनहोनी को होने से बचा सकें.

डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर के लक्षण -इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति अपने अंगों में दोष निकालना या अपने शरीर की बनावट की तुलना किसी अन्य से करना उसकी आदत में शुमार हो जाता है अपने शरीर की बनावट को लेकर खुद से घृणा करना व नकरात्मक विचार आना उसके जीवन का हिस्सा बन जाते हैं जिस कारण वह लोगो से कटने लगता है व खुद को सब से अलग कर लेता हैं कोशिश करता हैं कि वह लोगो की नज़रो से खुद को बचा सकें।बीमारी जब अधिक बढ़ने लगती है तो आत्महत्या तक के विचार मरीज को आने लगते हैं.

बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर से बचाव -यदि किसी को इस तरह के लक्षण दिखाई दें तो तुंरत डॉक्टर से संपर्क करें और अपनी स्वास्थ्य स्थिति पर ध्यान दें ताकि मेंटल हेल्थ पर और अधिक असर न पड़े।अगर बीमारी बढ़ गई हैं तो डॉ.आपको दवाई भी दे सकता हैं जिससे जूनूनी विचार और व्यवहार को बदला जा सके. इससे बचने के लिए जरूरी हैं कि परिवार का साथ मिले व खुद से प्यार करें नकरात्मक विचारों से दूरी बनाएं. दुनिया में कोई दो व्यक्ति एक जैसे नहीं होते इसलिए किसी से भी अपनी तुलना ना करें, अपने आपको व्यस्त रखें, अपने दोस्तों के साथ वक़्त बिताए, खुद को समझें व अपने गुणों पर ध्यान दें,अच्छी डाइट लें.

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