हरियाणा के किसानों और खिलाडिय़ों ने दुनियाभर में देश का नाम रोशन किया है. किसान बेटियों के तो कहने ही क्या, जिन्होंने विपरीत हालात में ऐसेऐसे बड़े कारनामे किए हैं कि लोग खड़े हो कर उन्हें सलाम करते हैं मगर इस सब के पीछे उन बेटियों का जनून, जज्बा और जागरूकता होती है, जो अपनेआप में एक मिसाल होती है.

ऐसी ही हरियाणा की एक बेटी हैं स्वीटी बूरा, जिन्होंने अपने मुक्कों से बड़ेबड़े कंपीटिशन जीत कर देश की ?ाोली सोने के तमगों से भर दी है. इन का सब से बड़ा कारनामा 2023 में देखने को मिला था, जब दिल्ली में हुई आईबीए वल्र्ड वूमन बौङ्क्षक्सग चैंपियनशिप में इन्होंने गोल्ड मैडल जीता था.

शनिवार, 25 मार्च, 2023 को स्वीटी बूरा ने 75-81 किलोग्राम भारवर्ग में चीन की वांग लीना को 4-1 से हरा कर नया इतिहास रचा था मगर अगर स्वीटी बूरा के अतीत में ?ाांकें तो पता चलता है कि इस गोल्ड मैडल को चूमने के लिए उन्होंने कई ऐसे बलिदान दिए हैं, जो हर किसी के बस की बात नहीं है.

स्वीटी बूरा मूलरूप से हरियाणा के गांव घिराए की रहने वाली हैं. उन के पिता महेंद्र ङ्क्षसह बूरा किसान हैं और मां सुरेश कुमारी गृहिणी हैं. स्वीटी बूरा का जन्म 10 जनवरी, 1993 को गांव घिराए में हुआ था. उन्होंने जाट कालेज हिसार से 12वीं कक्षा पास की और उस के बाद गवर्नमैंट पीजी कालेज से बीए की, फिर एमपीएड (मास्टर औफ फिजिकल ऐजुकेशन) भी की.

मेहनत ने दिलाई सफलता

बौङ्क्षक्सग खेल को अपनाने को ले कर स्वीटी बूरा ने बताया, ‘‘मेरे हाथ बहुत चलते थे. कोई किसी के साथ गलत करता था, तो मैं उस को दे दनादन मारती थी. जब पहली बार मैं ने बौङ्क्षक्सग ग्लव्स पहने. तब मैं साई (स्पोट्र्स अथौरिटी औफ इंडिया) के हिसार सैंटर पर मामा और भाई के साथ 2008 में ट्रायल के लिए गई थी.

‘‘मेरे सामने वाली बौक्सर 6-7 महीने से बौङ्क्षक्सग कर रही थी. जब मैं ङ्क्षरग में गई तो उस ने मारमार कर मेरा मुंह लाल बना दिया. पहले राउंड के बाद रैस्ट के समय मेरा भाई बोला था कि दिखा दिए तु?ो दिन में तारे.

‘‘यह सुन कर मु?ो इतना गुस्सा आया कि मैं ङ्क्षरग में वापस गई. अब मु?ो पता है कि उसे अपरकट बोलते हैं, पर तब नहीं पता था. मैं ने इतने जोर से अपरकट मारा कि वह लडक़ी उधर ही गिर गई.’’

स्वीटी बूरा खेल को ले कर अपनी जद्दोजेहद पर आगे बताती हैं, ‘‘एक महिला खिलाड़ी के परिवार को लोगों की बहुत सी कड़वी बातें झेलनी पड़ती हैं. वे कहते हैं कि क्यों लडक़ी को खेल में डाला, यह बिगड़ जाएगी. किसी के साथ भाग जाएगी. अगर सारा पैसा इस के खेल पर लगा दोगे तो इस की शादी कैसे करोगे? शादी के बाद यह पराए घर चली जाएगी तो आप के पल्ले क्या आएगा?

‘‘जब खेत में प्रैक्टिस करती थी तो मेरे दिमाग में यही बातें गूंजती थीं. मैं और ज्यादा मेहनत करती थी. मु?ो उलटी तक हो जाती थी पर मैं ने ठान लिया था कि आज अगर मेरे मांबाप ने मु?ो खेलने की आजादी दी है तो मैं उन की सोच और फैसले को सही साबित करूंगी. लड़कियां भी अपने मांबाप के लिए कुछ भी कर सकती हैं.’’

जब मौत को मारा मुक्का

‘‘2014 में मैं अस्पताल में भरती थी. हुआ यों कि पिछले 3 साल से मु?ो टायफाइड था और मेरी हालत ऐसी थी कि मैं खुद खड़ी भी नहीं हो सकती थी. इस के बावजूद मैं प्रैक्टिस करती रही. अस्पताल में डाक्टर ने मेरी हालत देख कर कहा था कि बौङ्क्षक्सग को तो फिलहाल भूल ही जाओ.

‘‘तभी अस्पताल में मेरे पास फोन आया कि इस बार जो नैशनल प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल जीतेगा, वही दक्षिण कोरिया में आगे इंटरनैशनल लैवल पर खेलने जाएगा. यह सुन कर मैं परेशान हो गई और डाक्टर से कहा कि आप मु?ो आज ही ठीक कर दो. डाक्टर बोले थे कि मैं कोई जादूगर थोड़े ही न हूं, जो चुटकी बजा कर तुम्हें ठीक कर दूंगा. अभी पूरी ङ्क्षजदगी बची है, आगे खेल लेना.’’

इतने बड़े मैडल इन के नाम

स्वीटी बूरा ने अपने शानदार खेल से यूथ बौङ्क्षक्सग ट्रैङ्क्षनग कंपीटिशन, 2011 में गोल्ड मैडल जीता था. उन्होंने नवंबर, 2014 में एआईबीए वल्र्ड वूमन बौङ्क्षक्सग चैंपियनशिप दक्षिण कोरिया में सिल्वर मैडल अपने नाम किया था. अगस्त,

2015 में एबीएसी एशियन कौंफैडरेशन बौङ्क्षक्सग चैंपियनशिप में सिल्वर मैडल जीता था. इसी तरह जूनजुलाई, 2015 में इंडियाआस्ट्रेलिया प्रतियोगिता में सिल्वर मैडल जीता था. फरवरी, 2018 में फस्र्ट ओपन इंडिया इंटरनैशनल प्रतियोगिता में सिल्वर मैडल जीता था. 13 जून, 2018 में रूस के कौस्पिक में हुए उमाखानोव मैमोरियल टूरनामैंट में गोल्ड मैडल और 2021 में एशिया चैंपियनशिप में ब्रौंज मैडल जीता था.

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