ये कहानियां प्यार में पागल प्रेमियों की हैं, जो एक समय किसी से बेइंतिहा प्यार करते थे मगर बाद में उसी को अपने हाथों मार डाला. सवाल है कि क्या आज के युवा प्यार का मतलब क्यों नहीं समझते…

कुछ अरसा पहले देश की राजधानी दिल्ली में 24 घंटों के अंदर इश्क में हत्या की दो घटनाएं सामने आईं. 27 जुलाई, 2023 की दोपहर दिल्ली पुलिस के पास एक फोन आता है कि अरबिंदो कालेज के पास पार्क में एक लड़की की लाश पड़ी है.

पार्क में कई लोगों की उपस्थिति में दिनदहाड़े किसी सिरफिरे आशिक ने सरेआम अपने प्यार की हत्या कर दी. लड़की का नाम नरगिस था और वह कमला नेहरू कालेज की स्टूडैंट थी. वह अपने इस दोस्त के साथ पार्क में घूमने आई थी. उसे क्या पता था कि वह जिस के प्यार में पागल है वही उस का खून कर देगा.

दरअसल, मर्डर करने वाले लड़के का नाम इरफान खान है जो नरगिस पर शादी के लिए दबाव डाल रहा था. शादी से इनकार करने पर उस ने रौड से सिर कुचल कर नरगिस यानी अपनी प्रेमिका की हत्या कर दी. उस ने लड़की के सिर पर रौड से एक नहीं कई वार किए ताकि वह बच न सके.

सवाल यह है कि आखिर अपने प्रेमी या प्रेमिका के साथ कोई ऐसी निर्ममता से पेश कैसे आ सकता है?

यह एक मात्र घटना नहीं है बल्कि ऐसी घटनाएं आए दिन घटती रहती हैं. राजधानी दिल्ली में इस वारदात के एक दिन पहले इसी तरह की एक और घटना हुई थी. वह भी प्यार में उल?ो और चोट खाए आशिक की कू्ररता का नमूना थी जब डाबरी इलाके में एक महिला की गोली मार कर हत्या कर दी गई.

इस में 23 साल के युवक ने 42 साल की महिला को गोली मार दी थी. कुछ देर बाद उस युवक ने खुद को भी गोली मार ली. पुलिस के तफ्तीश में पता चला कि दोनों के बीच दोस्ती थी. उन के घर भी आसपास ही थे. महिला का नाम रेनू गोयल था और उस के पति बिल्डर हैं. हमलावर आशीष और रेनू दोनों साथ जिम जाते थे.

प्यार का दुखद अंत

शादीशुदा हो कर भी रेनू आशीष के करीब आ गई थी. मगर ससुराल वालों और पति को यह बात हजम नहीं हो रही थी. प्यार की इस कन्फ्यूजन के बीच आशीष को कोई रास्ता नजर नहीं आया और उस ने इस घटना को अंजाम दे दिया. इस तरह अपनी और अपनी प्रेमिका की जान ले कर उस ने अपने प्यार का शौकिंग एंड कर दिया.

लोग उस समय भी हैरान रह गए थे जब दिल्ली का बहुचर्चित श्रद्धा हत्याकांड सामने आया था. श्रद्धा वालकर की 18 मई, 2022 को महरौली इलाके में आफताब द्वारा कथित रूप से हत्या कर दी गई थी. उस के शरीर के अंगों को छतरपुर समेत दिल्ली के विभिन्न जंगलों में फेंक दिया गया था. यही नहीं आफताब पूनावाला ने श्रद्धा की कई हड्डियों को ग्राइंडर में पीस कर पाउडर को सड़क पर फेंक दिया था. नवंबर, 2022 में इस मामले में आरापी आफताब को गिरफ्तार किया गया था.

झगड़े के बाद हत्या

मलाड में एक एमएनसी के कौल सैंटर में काम करने के दौरान श्रद्धा की मुलाकात बंबल ऐप के जरीए आफताब अमीन पूनावाला से हुई थी. आफताब भी उसी कौल सैंटर में काम करता था. 2019 में वह अपने परिवार की इच्छा के विरुद्ध उस के साथ रहने के लिए चली गई. आफताब और श्रद्धा लिव इन में रहते थे और एकदूसरे से प्यार करते थे.

लेकिन कुछ समय से दोनों के बीच अकसर ?ागड़े होने लगे थे. इस कारण उन का ब्रेकअप हो गया था. उस समय दोनों की जौब नहीं थी और दोनों में छोटीछोटी बातों को ले कर काफी ?ागड़ा होने लगा. आफताब ने ?ागड़ा करने की आदत से तंग आ कर श्रद्धा को रास्ते से हटाने के लिए गला दबा कर उस की हत्या कर दी.

हत्या के बाद आफताब ने शव को बाथरूम में छिपा दिया. फिर शव के छोटेछोटे टुकड़े कर के बड़े ब्रीफकेस में डाल कर फेंकने की प्लानिंग की. उस ने एक हार्डवेयर की दुकान से एक हैमर, 1 आरी और 3 ब्लेड खरीदी. इस के बाद 25 हजार रुपए में एक फ्रिज खरीदे. शाम को कुछ बौडी पार्ट ट्रैश बैग में डाल कर पैक किए और कुछ बौडी पार्ट्स को फ्रीजर में रख दिया.

आफताब ने लाश के टुकड़ों को पैट्रोल से जलाया और कई हड्डियों को ग्राइंडर में पीस कर पाउडर को 100 फुटा सड़क पर डाल दिया. बौडी के कुछ पार्ट पौलीथिन में डाल कर 60 फुटा रोड छतरपुर पहाड़ी पर रखी एक डस्टबिन में डाल दिए. इस के अलावा शव के कुछ टुकड़े छतरपुर पहाड़ी के श्मशान घाट के पास वाले जंगल में फेंके. सोचने वाली बात है कि जिस श्रद्धा से वह कभी इतना प्यार करता था उसी प्यार का अंत उस ने इतनी कू्ररता से कैसे किया?

श्रद्धा हत्याकांड

मई, 2023 में दिल्ली में हुए श्रद्धा हत्याकांड को हैदराबाद में फिर से दोहराया गया. यहां भी एक शख्स ने अपनी लिव इन पार्टनर की हत्या कर दी और उस के शरीर को पत्थर काटने वाली मशीन से टुकड़ों में काट कर अलगअलग जगहों पर फेंक दिया. आरोपी ने मृतका के पैर और हाथ अपने घर के रैफ्रिजरेटर में रख रखे थे और दुर्गंध से बचने के लिए कीटाणुनाशक और इत्र का छिड़काव किया था.

दरअसल, 48 साल के आरोपी चंद्रमोहन के 55 वर्षीय कृतिका यारम अनुराधा रेड्डी के साथ पिछले 15 सालों से अवैध संबंध थे. अपने पति से अलग रहने वाली महिला चंद्रमोहन के साथ दिलसुखनगर स्थित चैतन्यपुरी कालोनी स्थित उस के घर में साथ रह रही थी. कृतिका 2018 से ब्याज पर जरूरतमंदों को पैसा उधार देने का बिजनैस करती थी.

आरोपी ने भी औनलाइन व्यापार करने के लिए मृतका से लगभग 7 लाख रुपए लिए थे और इसी पैसे ने दोनों के बीच विवाद पैदा कर दिया. पैसे के लिए महिला द्वारा दबाव बनाने पर वह उस से रंजिश रखने लगा और उसे जान से मारने की योजना बना ली. 12 मई को आरोपी ने ?ागड़ा किया और फिर उस के सीने और पेट पर चाकू से वार किया जिस से उस की मौत हो गई.

हत्या करने के बाद आरोपी ने शव को टुकड़ों में काट कर ठिकाने लगाने के लिए पत्थर काटने की 2 छोटी मशीनें खरीदीं. उस ने धड़ से सिर को काट कर काले पौलिथीन में रख दिया. फिर उस ने उस के पैर और हाथ अलग कर दिए और उन्हें फ्रिज में रख दिया. 15 मई को वह मृतक का कटा सिर मुसी नदी के पास एक औटोरिकशा में ला कर वहां फेंक गया. इस के बाद मोहन ने फिनाइल, डेटाल, परफ्यूम अगरबत्ती और कपूर खरीदा. फिर उन्हें नियमित मृतका के शरीर के अंगों पर छिड़का ताकि आसपास के क्षेत्र में दुर्गंध न फैले.

सनसनी खेज वारदात

दिसंबर, 2022 को ?ारखंड में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया. यह सनसनीखेज घटना साहिबगंज जिले में हुई. प्रेमी ने प्रेमिका की हत्या कर शव के 30 से ज्यादा टुकड़े कर दिए. सुबूत छिपाने के लिए आरोपी ने टुकड़ों को बोरे में रख दिया था. पुलिस ने शव के 7-8 टुकड़े बरामद किए. सिर और शरीर के अन्य टुकड़ों की खोजी कुत्तों की मदद से तलाश की गई. मुख्य आरोपी दिलदार सहित 7 की गिरफ्तारी हुई. शव के टुकड़े करने के लिए आरोपी ने लोहा काटने वाली खास मशीन का इस्तेमाल किया था.

सूत्रों के मुताबिक गोंडा जनजाति की 25 साल की रबिता का संबंध कई वर्षों से दिलदार अंसारी के साथ था. दिलदार अंसारी पहले से शादीशुदा था. परिजनों को उस के इस युवती से संबंध पर आपत्ति थी. दिलदार ने परिजनों की नाराजगी से बचने के लिए रबिता को कुछ दिन पहले किराए पर घर ले कर रखा था.

जून, 2023 में मुंबई में भी एक 56 वर्षीय लिव इन पार्टनर को अपने पार्टनर की हत्या कर के टुकड़ों में काटने के आरोप में गिरफ्तार किया. मनोज सहनी बीते 3 सालों से अपनी लिव इन पार्टनर सरस्वती वैद्या के साथ रहता था. ये दोनों पार्टनर मुंबई के मीरा रोड स्थित आकाशगंगा अपार्टमैंट में किराए पर रहते थे. उसी अपार्टमैंट में रहने वाले लोगों ने पुलिस को सूचना दी कि एक घर से बदबू आ रही है. पुलिस ने घर खोल कर देखा तो वहां निर्मम तरीके से महिला की हत्या की गई थी. घर से कई टुकड़ों में कटी हुई उस की लाश मिली.

प्यार का मतलब ही नहीं मालूम

प्यार तो एक ऐसा खूबसूरत एहसास है जो हर इंसान के दिल के किसी न किसी कोने में बसा होता है. इस एहसास के जागते ही कायनात में जैसे चारों ओर हजारों फूल खिल उठते हैं और जिंदगी को जीने का नया बहाना मिल जाता है. मन में उत्साह और कुछ कर गुजरने की भावनाएं प्रबल हो उठती हैं. इंसान हमेशा खुश रहने लगता है और कल्पनाओं की एक नई दुनिया सजाने लगता है. यह प्यार जब दिल की गहराइयों में उतर जाता है तो  इंसान के लिए अपने प्रेमी से बढ़ कर कुछ नहीं रह जाता. उस की खुशी में ही अपनी खुशी मिल जाती है.

प्रेम करना सीखना जरूरी है

आज के समय में जरूरी है कि हम अपने बच्चों और युवाओं को प्रेम करना सिखाएं क्योंकि हमारे यहां और सबकुछ तो सिखाया जाता है पर प्रेम करना या प्रेम के साथ कैसे जिंदगी जीनी है यह कला नहीं सिखाई जाती है. हम ऐसे युग से आते हैं जब मां बाप अपनी पसंद की लड़की या लड़के से अपने बच्चों की शादी कराते थे. उस समय मांबाप की पसंद माने रखती थी और अरेंज्ड मैरिज होती थी. तब वे अपने जीवनसाथी के साथ जिंदगी जीते थे. उसी में कई बार प्यार भी हो जाता था. लेकिन कई बार ऐसी स्थिति भी आती थी कि पतिपत्नी के बीच कोई तीसरा आ जाता था. उन के बीच दूरी बढ़ती थी. ऐसा भी होता था कि तीसरे व्यक्ति के लिए पत्नी या पति अपने जीवनसाथी को छोड़ कर चला जाए या उसे मार डाले.

धर्म भी कम जिम्मेदार नहीं

आज स्थिति थोड़ी बदली है और प्यार में भी ज्यादा सुरूर आ चुका है. मगर हम प्रेम कैसे करें यह कोई बताने वाला है नहीं. पौराणिक प्रेम कहानियों में गलत सिखाया गया है. प्रेम में हत्या को बुरा नहीं कहा गया है. बेईमानी से औरतों के उपयोग को गलत नहीं कहा गया. द्रौपदी के 5 पति थे. इसे सही माना गया. उस समय की कहानियों में औरत को जुए में हार जाना, हत्या कर देना भी गलत नहीं माना जाता था. शूर्पणखा की नाक ही काट दी गई जबकि वह भी प्रेम निवेदन करने आई थी. मोहिनी ने प्यार का नाटक कर के राक्षसों को मारा. राम और सीता का प्यार जिस में राम ने अपनी पत्नी पर विश्वास ही नहीं किया.

महाभारत काल की कुछ ऐसी प्रेम कहानियां हैं जो कहीं न कहीं हत्या या धोखे की पृष्ठभूमि में लिखी गई थीं. मसलन, द्रौपदी और अर्जुन की प्रेम कहानी जिस में एक पत्नी 5 भाइयों में बांट दी गई, पांडवों का अपनी प्रिय पत्नी को जुए के दांव में लगाना और उसे हार जाना. कृष्ण का रानी रुक्मिणी को भगा कर विवाह करना या भीम और राक्षसी हिडिंबा की कहानी जिस में हिडिंबा ने अपने ही भाई को मरवा दिया.

प्रेम का नतीजा

भीम के साथ हिडिंबा की प्रेम कहानी की शुरुआत उस समय हुई जब लाक्षागृह के जलने के बाद पांडव जंगलों में छिप कर रहने लगे थे. उस समय एक रात सभी पांडव भाई और कुंती एक वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहे थे और भीम हमेशा की तरह सब की रखवाली कर रहे थे. उस समय उन के लिए सब से बढ़ा खतरा राक्षस हिडिंब का था जो पांडवों पर हमला करने के लिए एक वृक्ष में छिप कर बैठा था.

हिडिंब मानवरक्त पीने का इच्छुक था और उस की बहन जिस का नाम हिडिंबा था उसे हिडिंब से आदेश मिला कि वह मानवरक्त ले आए. राक्षसी हिडिंबा पांडवों को मार कर उन का रक्त लेने गई. लेकिन वहां पहुंचने के बाद भीम को जगा हुआ देख कर हिडिंबा उस के रूप पर मोहित हो गई और उसे भीम से प्रेम हो गया.

इस प्रेम का नतीजा यह निकला कि हिडिंबा ने भीम के विरुद्ध युद्ध में अपने ही भाई हिडिंब का विरोध किया और भीम का साथ दिया. बाद में भीम ने हिडिंब को मार दिया. भीम और हिडिंबा ने शादी की और उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई जिस का नाम घटोत्कच पड़ा.

ऐसी कोई पुरानी कहानी नहीं है जिसे पढ़ कर हम सम?ा सकें कि प्यार क्या है. कैसे प्यार के साथ जिंदगी जी जाती है. दिल्ली प्रैस की कहानियां व लेख कुछ अलग रहे हैं. उन के द्वारा सही ज्ञान दिया गया लेकिन किताबें या मैगजीन पढ़ने वाले लोगों की कमी है. आजकल लोग सीरियल देखते हैं. सोशल मीडिया में घंटों बिताते हैं जहां प्यार का बहुत ही गंदा रूप दिखाया जाता है.

सीरियल्स हों या वैब सीरीज अथवा फिल्में सब में प्यार का धोखे वाला रूप ही देखने को मिलता है. कहीं पति किसी दूसरी स्त्री के प्यार में पागल है तो कहीं प्रेमी धोखे से प्रेमिका को मरवाने की साजिश रच रहा है. कहीं एक लड़की के पीछे 2 लड़के पड़े हुए हैं तो कहीं लड़की ही धोखा दे रही है.

क्या आजादी संभाल नहीं पा रही हैं औरतें

पहले पत्नी को पति के अधीन माना जाता था. उसे कभी बच्चे पैदा करने की मशीन तो कभी काम करने की मशीन बना दिया जाता था. अब औरतों को आजादी दे दी गई है. वे अपनी अहमियत सम?ाने लगी हैं, सपने देखने लगी हैं और आगे बढ़ने लगी हैं. वे खुद अपना जीवनसाथी चुनती हैं. औरतों को आजादी तो दी गई मगर चलना नहीं सिखाया गया. यह नहीं सम?ाया गया कि प्यार कैसे किया जाता है, किस तरह से निभाया जाता है या प्यार के साथ कैसे जिंदगी जी जाती है.

हमारे पास ऐसा कोई स्रोत नहीं है जिस से उन्हें सही शिक्षा मिल सके या प्रेमियों को कोई दिशा मिले. उन्हें यह नहीं बताया गया कि प्रेम में कैसे आकर्षण बना रहे. कैसे कोई ऊब पैदा न हो या ऊब पैदा हो तो उसे दूर कर वापस वही आकर्षण वापस कैसे लाएं. यह नहीं सिखाया जाता है कि प्रेम के साथ कैसे जीना है, जबकि यह प्रेम में सीखना जरूरी है कि अगर आप अपने जीवनसाथी से ऊब जाते हैं तो इस स्थिति में क्या करें.

किताबें पढ़नी हैं जरूरी

आजकल इस तरह प्रेम में हत्याएं या आत्महत्याएं क्यों हो रही हैं? इसलिए कि हम उस तरह के नाटक देखते हैं या उस तरह की फिल्में देखते हैं या फिर पासपड़ोस में ऐसी घटनाएं देखते या सुनते हैं. पेपरों में पढ़ते हैं. फिल्में देखते हैं. ‘धड़क’ फिल्म का ही उदाहरण लीजिए. इस में जिस तरह भाई ने अपनी बहन के पति और उस के बच्चे को मार दिया वह कूरता की इंतहा थी.

ऐसे किस्से सामान्य जीवन में भी देखनेसुनने को मिल जाते हैं. इसलिए आप किसी से प्यार करते हैं तो लड़के या लड़की का बैकग्राउंड जरूर देखना चाहिए. प्रेमी का भाई या पिता गुंडा तो नहीं या कुछ गलत करने वाले लोग या बेईमान तो नहीं हैं, लड़का कमा रहा है या नहीं? जिंदगी में खुश रहने के लिए प्यार के साथ पैसा भी बहुत महत्त्वपूर्ण है. पैसा है या नहीं लड़के के पास, इनवैस्टमैंट है या नहीं इस की जानकारी जरूर रखें. लेकिन यह सब चुनने की कला तब आएगी जब आप किताबें पढ़े और वे भी सही ज्ञान देने वाली किताबें पढ़े.

बदल रही है सोच

प्यार के प्रति स्त्री का नजरिया वक्त के साथ बदला है. स्त्री शिक्षित होती चली गई और उस का अपना स्वतंत्र वजूद होता गया. आज के युग की स्त्री के जीवन में प्यार की अहमियत जरूर है पर वह उस प्यार को तवज्जो देती है जो उस की पहचान मिटाने की कोशिश न करे. वह जान चुकी है कि प्यार उस के जीवन का अंतिम लक्ष्य कभी नहीं बन सकता. उस के लिए अब प्यार से अधिक महत्त्वपूर्ण है कैरियर.

हम खुशी पाने की चाहत में प्यार करते हैं पर यह जरूरी नहीं कि हर बार हमारी उम्मीदें सच ही साबित हों. ऐसे में जरूरी है खुद को बिखरने से बचाना और आज की स्त्री ऐसा करने में सक्षम है. उसे प्यार के पीछे बिखरना मंजूर नहीं.

आर्ट औफ लविंग

एरिक फ्रौम की विश्वविख्यात पुस्तक ‘आर्ट औफ लविंग’ ऐसी ही एक किताब है जो हमारा प्रेम के वास्तविक स्वरूप से परिचय कराती है. इस में प्रेम के सभी पहलुओं की चर्चा है.

प्रेम एक खूबसूरत एहसास ही नहीं है बल्कि एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक दायित्व और एक रूढि़वादी समाज से बगावत भी है. प्रेम को ले कर चाहे जितनी जटिलताएं इंसान अपने जीवन में महसूस करता हो लेकिन उस के बारे में कभी ठीकठीक सम?ा नहीं पाता. दुनियाभर में प्रेम पर अनगिनत कला, साहित्य कविताएं और इतिहास गाथाएं लिखी गई हैं लेकिन प्रेम एक ऐसी भावना है जिस पर कितना भी लिखा जाए, पढ़ा जाए कम रहेगा.

‘आर्ट औफ लविंग’ ऐसी ही एक किताब है जो हमारा प्रेम के वास्तविक स्वरूप से परिचय कराती है. इस में प्रेम के सभी पहलुओं की चर्चा है. उस से जुड़े अनेक मिथ्स को खत्म कर के उस के वास्तविक अर्थों से परिचित करवाती है. प्रेम उसी तरह है जैसे जीवन जीने की एक कला. इस किताब के अनुसार जीवन को सम?ो बगैर प्रेम को नहीं सम?ा जा सकता.

21 मार्च, 1900 को जरमनी में जन्मे एरिक फ्रौम अमेरिका के जानेमाने मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समालोचक माने जाते हैं. उन की विश्वविख्यात रचना ‘द आर्ट औफ लविंग’ से कुछ महत्त्वपूर्ण पंक्तियां जो प्रेम के स्वरूप पर हमारी सम?ा को नए आयाम देती हैं- प्रेम में, अगर वह सचमुच ‘प्रेम’ है तो एक वादा जरूर होता है कि मैं अपने व्यक्तित्त्व और अस्तित्व की तहों से अपने ‘प्रेमी’ या ‘प्रेमिका’ को उस के व्यक्तित्त्व और अस्तित्व की तहों तक प्रेम करता हूं. प्रेम एक तरह का संकल्प है.

शायद ही कोई ऐसी गतिविधि हो जो प्रेम की तरह बड़ीबड़ी उम्मीदों और अपेक्षाओं से शुरू हो कर कितने ही मामलों में बुरी तरह विफल होती हो.

प्रेम व्यक्ति के भीतर एक सक्रिय शक्ति का नाम है. यह वह शक्ति है जो व्यक्ति और दुनिया के बीच की दीवारों को तोड़ डालती है. उसे दूसरों से जोड़ देती है.

अगर मैं किसी एक व्यक्ति से प्रेम करता हूं तो मैं सभी व्यक्तियों से प्रेम करता हूं, किसी से ‘आई लव यू’ कहने का सच्चा अर्थ है कि मैं उस के  माध्यम से पूरी दुनिया और जिंदगी से प्रेम करता हूं.’

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...