‘‘खिड़कियों में से रातरानी की महक अंदर झंक रही थी और चंद्रमा की रजत रोशनी ऋ ची के मुख पर तैर रही उन तमाम खुशियों को उजागर करने के लिए जैसे बेताब हुई जा रही थी. वह अपने भीतर बह रहे प्रेममय सागर को समेटने का भरसक प्रयास करने में लगी थी, पर खुशियों की लहरें दिल की दीवारों को बारबार लांघ कर उस के तनमन को छू कर रोमरोम पुलकित कर देतीं. मन में हिलोरें ले रही इन लहरों ने उस की रातों की नींद चुरा रखी थी.

ध्यान बारबार मोबाइल की ओर जा रहा था. घर में  मम्मीपापा इस समय तक गहरी नींद में सो जाते हैं. समीर रोज रात 12 बजे फोन कर ही देता. 12 बजे के बाद 1 मिनट भी देर हो जाती तो ऋची का जी ऊपरनीचे होने लगता. मन कई तरह की आशंकाओं से घिर जाता.

ऋची के समंदर में डुबकी लगा ही रही थी कि तभी मोबाइल के रिंगटोन ने चिंताओं की सारी लकीरें मिटा दीं.

वह कुछ कहती उस से पहले ही समीर ने कहा, ‘‘स्वीटहार्ट आज इस नाचीज को तुम्हारी सेवा में आने में थोड़ी देर हो गई.’’

ऋची खिलखिलाते हुए कहने लगी, ‘‘और 5 मिनट भी देर करते समी तो मेरी जानही निकल जाती,’’ वह प्यार से समीर को समी ही कहती.

‘‘डार्लिंग मैं तुम्हारा पीछा आसानी से नहीं छोड़ूंगा… जीएंगे तो साथ मरेंगे तो साथ.’’

‘‘सचमुच? लव यू समी… तुम न होते तो पता नहीं जिंदगी कितनी बेरंग सी लगती.’’

‘‘कितनी, बताओ तो जरा?’’ वह हंसते हुए पूछने लगा.

‘‘जैसे नमक के बिना सब्जी, बरखा के बगैर सावन, बिना चांद की रात, सूरज के बिना दिन और…’’

‘‘बस… बस… अब बस भी करो स्वीटहार्ट. ऋची कैसी दिख रही हो जरा बताओ न प्लीज… तुम्हें देख लूं तो दिन सफल हुआ समझ.’’

‘‘तुम तो हीरो बनने लगे समी, लेकिन इस वक्त मैं फोटो नहीं भेज पाऊंगी…’’

‘‘क्यों तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं?’’

‘‘अपनेआप से भी ज्यादा भरोसा तुम पर है समी, पर अभी नहीं प्लीज. परसों तुम्हारा बर्थडे है, मेरे लिए बहुत स्पैशल डे, बोलो कब और कहां मिलोगे?’’

‘‘ओह ऋची परसों आने में अभी पूरे 32 घंटे पड़े हैं, कल ही मिलते न.’’

‘‘कल मुझे प्रोजैक्ट सबमिट करना है तो कालेज में देर हो जाएगी. कल तो फोन पर बात भी हो पाना मुश्किल लग रहा है…’’

‘‘ऋची चाहो तो जान ले लो पर इतनी बड़ी सजा मत दो, तुम से बात किए बिना दिन काटना बहुत मुश्किल है.’’

‘‘समी इस प्रोजैक्ट से बहुत से स्टूडैंट्स जुड़े हैं और यह प्रोजैक्ट सफल रहा तो मेरी प्रमोशन तय समझ.’’

‘‘तो क्या मुझ से ज्यादा इंपौरटैंट यह प्रोजैक्ट है?’’

‘‘समी तुम जानते हो घरगृहस्थी की सारी जिम्मेदारी मेरे ऊपर है. आए दिन मम्मीपापा का हौस्पिटल चलता रहता है.’’

‘‘अच्छा चलो जैसेतैसे दिल पर पत्थर रख लूंगा, पर परसों पक्का हमें मिलना है. तुम रोज वे कैफे में ठीक शाम 6 बजे आ जाना.’’

‘‘ओके गुड नाइट समी…’’

‘‘क्या ऋची कम से कम कोई इमोजी ही भेज दो जैसे मैं तुम्हें भेजता हूं.’’

‘‘तुम भी न समी…’’ कहते हुए उस ने एक प्यारी सी इमोजी भेजी और सिरहाने फोन रख कर सोने की कोशिश करने लगी.

ऋची दूसरे दिन कालेज में व्यस्त रही. कालेज से लौटते वक्त ही समी के लिए कितने ही गिफ्ट ले आई, हाथ से कार्ड बनाया.

समी को बधाई देने के लिए ऋची बेताब हुए जा रही थी. जैसे ही रात में 12 बजे उस ने समी को वीडियोकौल की, काले रंग के कौड सैट में उस की खूबसूरती और निखर कर आ रही थी. हैप्पी वाला बर्थडे माइ लव… बर्थडे बौय के लिए ऋची हाजिर है,’’ कहते हुए वह खिलखिलाने लगी.

‘‘थैंक्स डार्लिंग. इतना शानदार सरप्राइज आज तो तुम गजब कहर ढा रही हो… जी कर रहा है अभी तुम्हारे पास आ जाऊं,’’ कहते हुए गाने लगा, ‘‘चांद सी महबूबा बांहों में हो ऐसा मैं ने सोचा था हां तुम…’’

‘‘अरे वाह समी तुम तो गाते भी अच्छा हो.’’

बातों का यह सिलसिला आधी रात तक जारी था. फिर ऋची बोली, ‘‘चलो अब सोते है.’’

‘‘अच्छा चलो आज की रात तुम्हारे फोटो के सहारे ही बितानी होगी… अपना फोटो भेजो. और हां तुम जानती ही हो कैसे फोटो भेजना है.’’

‘‘ठीक है बाबा आज तो तुम्हें मना नहीं कर सकतीं, कहते हुए उस ने कितने ही फोटो समी को भेज दिए.

दूसरे दिन समी से मिलने का ख्वाब आंखों में संजो कर वह सो गई .सुबह मम्मी आवाज दे उस से पहले ही ऋची उठ गई. यह देख मम्मी को आश्चर्य हुआ. कहने लगी, ‘‘क्या बात है बेटा आज बड़ी खुश लग रही हो?’’

‘‘हां मम्मी आज मेरी फ्रैंड है न नैनी उस का बर्थडे है. आज उस ने पार्टी रखी है, कालेज से उधर ही जाऊंगी, आने में देर होगी आप चिंता मत करना.’’

‘‘बेटा, तुम्हारे पापा को देर रात तक घूमनाफिरना. यह सब बिलकुल पसंद नहीं. अभी समय कैसा है यह तुम भी अच्छे से जानती हो, तुम समय से आ जाना.’’

‘‘मम्मी अब मैं बड़ी हो गई हूं, प्लीज आप हर बात में रोकटोक न करो तो अच्छा,’’ कहते हुए वह निकल गई. बैग में ही अलग से ड्रैस रख ली थी.

शाम ठीक 6 बजे वह रोज वे कैफे पहुंच गई. समी वहां पहले से ही मौजूद था. उसे देखते ही कहने लगा, ‘‘ओह वैलकम स्वीटहार्ट कब से तुम्हारा इंतजार कर रहा था.’’

‘‘समी मैं ठीक 5 बजे पहुंच गई देखो.’’

‘‘मैं तो सुबह से 5 बजने के इंतजार में 4 बजे ही यहां आ कर बैठ गया, सच में ऋची कुदरत ने तुम्हें बहुत फुरसत से घड़ा है… मेरा बस चले तो दुनियाजहां की खुशियां तुम्हारे कदमों में रख दूं, तुम्हारे साथ रहने में जो मजा है वह दुनिया की किसी चीज में नहीं है सच में.’’

यह सब सुन ऋची के सपनों को जैसे पर लग गए हों.

‘‘अच्छा बोलो क्या और्डर करूं?’’

बर्थडे तुम्हारा है समी… आज की ट्रीट मेरी ओर से.

‘‘स्वीटहार्ट तुम्हें देख कर मेरी तो भूखप्यास सब उड़नछू हो जाती है. सैंडविच और कौफी ले कर लौंग ड्राइव पर चलते हैं. ऋची मना मत करना प्लीज मुझे उम्मीद है आज के दिन तुम मेरा दिल नहीं तोड़ोगी.’’

दोनों काफी और सैंडविच ले निकल पड़े लौंग ड्राइव पर.

‘‘समी कहां जा रहे हैं हम? कितना सुनसान रास्ता है.’’

‘‘ऋची मैं हूं न साथ,’’ कहते हुए उस ने गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी.

उस का स्पर्श ऋची के मन को लुभा रहा था. बहुत आगे निकलने पर उस ने नदी

किनारे गाड़ी रोकी. और ऋची के हाथों में हाथ डाल कर आगे बढ़ने लगा. दूरदूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था.

‘‘समी, काश, वक्त यहीं ठहर जाए और हम यों ही साथ में रहें.’’

‘‘अरे, हम कौन से अलग रहने वाले हैं ऋची तुम्हें तो मैं जीवनभर अपनी पलकों पर बैठा कर रखना चाहता हूं.’’

‘‘कितने अच्छे हो समी तुम,’’ कहते हुए वह समी से लिपट गई.

चारों तरफ अंधेरा घिर आया था ऋची के मोबाइल पर बारबार उस की मम्मी का फोन आ रहा था. ऋची ने मोबाइल साइलैंट मोड पर डाल दिया और कहने लगी, ‘‘समी, अब तुम मुझे घर ड्रौप कर दो काफी देर हो गई है.’’

‘‘ऋची, तुम से अलग रहने का मन ही नहीं करता. ऐसा लगता है हम दूर कहीं भाग चलें जहां बस तुम हो और मैं पर तुम्हें तो हर वक्त जाने की जल्दबाजी रहती है,’’ ऐसा कहते हुए उस ने बाइक स्टार्ट की और स्पीड से ऋची के घर की तरफ बढ़ने लगा.

ऋची के पापा बालकनी में खड़े उसी का इंतजार कर रहे थे और मम्मी घबराहट के मारे बेचैन हुए जा रही थीं.

पापा ने देख लिया ऋची किसी लड़के के साथ गाड़ी पर सट कर बैठी है. जैसे ही उस ने घर में कदम रखा आगबबूला हो गए. ऋची ने अपने पापा का यह रूप पहले कभी नहीं देखा था.

वह भी तमतमाते हुए अपने कमरे में गई और फिर दरवाजा लौक कर गुमसुम सी बैठी रही. मम्मी ने कई बार दरवाजा खटखटाया पर उस ने एक नहीं सुनी. आधी रात जब समी ने फोन किया तो ऐसा लगा किसी दर्द की दवा मिल गई हो.

ऋची कहने लगी, ‘‘समी तुम्हारी बांहों में सचमुच जन्नत है. इस कमरे की दीवारें जैसे मुझे काटती हैं… तुम्हारे बिना कितना अकेलापन महसूस होता है… पता नहीं कब तक ऐसा ही चलेगा.’’

‘‘मैं चाहूं तो कल ही तुम से शादी कर सकता हूं. दिक्कत तो तुम्हें ही है ऋची.’’

‘‘क्या करूं अपने मम्मीपापा की एकलौती बेटी जो हूं. उन की खुशियां मेरे इर्दगिर्द ही हैं. अच्छा समी अब रखती हूं, मम्मी लगातार दरवाजा नौक कर रही हैं.’’

ऋची ने दरवाजा खोला और मुंह फुला कर लेट गई. मम्मी उसे समझने लगीं, ‘‘बेटी, अभी तुम ने दुनिया देखी नहीं, आए दिन अखबारों में दिल दहलाने वाली खबरें पढ़पढ़ कर डर लगने लगा है. वैसे कौन है वह लड़का जिस ने तुम्हें घर छोड़ा और वह करता क्या है, तुम उसे कहां मिली?’’

मम्मी, नैनी की बहन की शादी में मिला था… समीर नाम है उस का… प्राइवेट कंपनी में जौब करता है और हम दोनों एकदूजे को पसंद करते हैं.’’

‘‘पागल हो गई हो ऋची एक मुलाकात में तुम उसे दिल दे बैठी… उस की जातपात, खानदान कैसा है जानती हो तुम. तुम्हारी अक्ल तो ठिकाने है? बेटा थोड़ा समझने की कोशिश करो. तुम हमारी एकलौती बेटी हो हम तुम्हारे लिए जो सोचेंगे वह अच्छा ही सोचेंगे.’’

‘‘मम्मी, आप मेरे हो कर भी मुझे खुश नहीं रख सकते और वह पराया हो कर भी मेरी भावनाओं को सम?ाता है. आप कुछ न कहो वही बेहतर होगा,’’ कहते हुए वह तुनक कर घर से निकल पड़ी.

ऋची के घर से निकलते ही उस की मम्मी स्वयं को बेसहारा महसूस करने लगीं. वे हताश हो कर सोफे पर बैठ गईं.

तभी उस के पापा आए और पूछने लगे, ‘‘क्या हुआ गीता तुम इतनी चिंतित क्यों लग रही हो?’’

‘‘हमें जिस बात का डर था आखिर वही हुआ. हमारी ऋची उस समीर को चाहने लगी है. उम्र की इस दहलीज पर मन में प्यार की भावनाओं का उफान स्वाभाविक है लेकिन यह ब्याह कर चली गई तो हमारा क्या होगा यह सोचा है कभी?’’

‘‘हां तुम सही कह रही हो शादी के बाद वह हमारा ध्यान रख पाएगी इस की कोई गारंटी नहीं है गीता. हमें किसी भी तरह उसे समीर से दूर करना होगा… कोई तरकीब सोचनी होगी.’’

समी कैफे में बैठ ऋची का इंतजार कर रहा था. उसे देखते ही कहने लगा, ‘‘क्या हुआ मेरी जान तुम इतनी मुर?ाई सी क्यों हो? मैं तुम्हें इस तरह नहीं देख सकता माई लव.’’

यह सुन वह भावुक हो रोने लगी, ‘‘समी अब जल्द ही हम शादी कर लेते हैं. मेरे मम्मीपापा तो जैसे मेरे दुश्मन बन बैठे हैं. उन्हें एहसास ही नहीं कि मैं बड़ी हो रही हूं और मेरे भी कुछ अरमान हैं.’’

‘‘ठीक है मैं आज ही बात करता हूं अपने मम्मीपापा से… वैसे उन्हें कोई ऐतराज नहीं होगा ऋची. चलो अब कल मिलते हैं,’’ कहते हुए वह विदा हुआ.

ऋची घर आते ही सीधे अपने कमरे में चली गई तो उस के पीछेपीछे मम्मीपापा भी चल दिए. पापा कहने लगे, ‘‘सौरी बेटा तुम्हें कल बहुत भलाबुरा कह गया. हम चाहते हैं तुम्हारी शादी किसी अच्छे खानदान में हो… देखो बहुत से बायोडाटा तुम्हारे लिए आए हुए हैं. हमें समीर के बारे में पता चला है वह लड़का तुम्हारे काबिल नहीं है… परिवार की आर्थिक स्थिति भी खास ठीक नहीं है.’’

‘‘मम्मीपापा मुझे शादी रुपयों से नहीं इंसान से करनी है. मैं शादी करूंगी तो समी से ही.’’

‘‘देखो बेटी यह जीवनभर का फैसला पलभर में लेना सही नहीं है. 2-4 दिन में ये सारे बायोडाटा देख लो फिर सोचते हैं,’’ कह कर वे अपने बैडरूम में चले गए.

नींद ऋची के आंखों से कोसों दूर थी. इस एकांत में वह बस समी के ही सपने देख रही थी. पानी पीने उठी तो बोतल खाली पड़ी थी. वह रसोई में पानी की बोतल लेने जा ही रही थी कि तभी मम्मीपापा की बातें सुन कर वह वहीं स्तब्ध रह गई.

मम्मी पापा से कह रही थी, ‘‘तुम्हारी पैंशन से केवल हमारी दवाइयां आ पाती हैं यह ब्याह कर चली गई तो हम खाएंगे क्या? ऋची भले ही बेटी है पर इस ने बेटे से बढ़ कर सारी जिम्मेदारियां उठाई हैं. मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा इसे कैसे समीर से दूर करें.’’

‘‘चिंता मत करो गीता कोई न कोई रास्ता जरूर निकल आएगा. मैं ने जो बायोडाटा उस के रूम में रखे हैं वे सब अमीर घरानों के ही हैं. हां, कुछ लड़के उन्नीस हैं. किसी की उम्र बड़ी तो किसी को कोई छोटीमोटी तकलीफें… उस से ऋची के जीवन पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा और हमारा बुढ़ापा भी आराम से कट जाएगा. हमें या तो घरजंवाई मिल जाए या कोई धनाढ्य परिवार, आजकल तो बेटी वाले भी रुपए ले रहे हैं और हम तो मजबूर हैं… क्या करें हमारे पास सहारे के लिए ऋची के अतिरिक्त कोई और विकल्प ही नहीं है. समीर खुद ही साधारण परिवार से है. उस से ब्याह करेगी तो हमें कुछ आर्थिक सहयोग मिलने से रहा यह तो पक्का. इसलिए किसी भी तरह इस के दिलोदिमाग से समीर का भूत निकालना जरूरी है. अब यह मान गई तो ठीक वरना कुछ उलटीसीधी तरकीब सोचनी होगी. चलो अब काफी रात हो चुकी है सो जाओ गीता. सोचते हैं… इस समस्या का समाधान भी मिल ही जाएगा,’’ और फिर चचा पर विराम लग गया.

ऋची का मन क्रोध में धधक रहा था. आंखों से अंश्रुधारा बहने लगी. इतनी ओछी बात समीर से साझ करने में भी शर्म आ रही थी. मन मसोस कर उस ने जैसे जहर का घूंट पी लिया.वह बारबार अपने को कोस रही थी. सारी रात ऊहापोह में करवटें बदलते हुए निकली.

सुबहसुबह समी का मैसेज देख उसे कुछ राहत मिली. उस ने लिखा था कि ऋची मम्मीपापा हमारी शादी को ले कर राजी हो गए हैं. अब तुम जब चाहो हम साथ रह सकते हैं.

ऋची घर में सामान्य बने रहने का स्वांग रचने लगी. वह धीरेधीरे कर अपने सारे जरूरी सामान की पैकिंग करने लगी. उस ने समी को कोर्ट मैरिज के लिए राजी कर लिया था.

ऋची अपने मम्मीपापा से कहने लगी, ‘‘मुझे ट्रेनिंग लेने कालेज से 8 दिन दूसरे शहर जाना होगा… यह ट्रेनिंग ले लूं तो मेरी प्रमोशन आसानी से हो जाएगीं.’’

‘थोड़े दिन ही सही शादी की बला टली’ यह सोच कर मम्मीपापा खुश हो रहे थे.

ऋची ने बैग पैक किया टैक्सी की और सीधे कोर्ट में पहुंची जहां समी पहले से ही मौजूद था.

ऋची का मन आजाद पंछी सा उड़ने लगा. उस के दिल के सूने आंगन में समी ने प्रेम के कई रंग भर दिए थे. इस नए घर में उसे वह सबकुछ मिला जो तमन्ना एक नवविवाहिता की रहती है.

समी औनलाइन मीटिंग में व्यस्त था तभी गृहस्थी ने अपने मोबाइल से अपने मम्मीपापा को मैसेज किया, ‘मम्मीपापा, आप को यह जान कर अफसोस होगा कि आप का लौटरी टिकट यानी मैं हमेशाहमेशा के लिए वह घर छोड़ चुकी हूं. मैं उम्र के 30 साल पार कर चुकी हूं और अपना भलाबुरा सम?ाती हूं. अपने स्वार्थ के लिए जब मातापिता अपनी बेटी की खुशियां कुरबान कर सकते हैं तो जरूरी नहीं मैं भी आप की जिम्मेदारी उठाऊं.’

मैसेज पढ़ते ही ऋची के मम्मीपापा की हालत खराब हो गई. वे बारबार नंबर डायल करने लगे लेकिन गृहस्थी ने मोबाइल स्विच औफ कर दिया. दूसरे दिन नया सिम कार्ड ले कर उस ने अपना मोबाइल नंबर बदल लिया.

एक नए नंबर के सहारे गृहस्थी अपने नए जीवन की शुरुआत कर चुकी थी. एक नया नंबर उसे स्वार्थ की उन तमाम परछाइयों से दूर करने के लिए पर्याप्त था.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...