Aruna Irani : पहले जमाने के विलेन अपने अभिनय के चलते इतने डरावने लगते थे कि सिर्फ आम लोग ही नहीं बल्कि हीरोइन भी उनसे डरती थी फिर चाहे वह प्राण हो अजीत हो, प्रेमनाथ हो, या अमरीश पूरी ही क्यों ना हो, यह सारे खलनायक असल जिंदगी में भले ही कितने ही शरीफ थे, लेकिन फिल्मों में उनकी खलनायकी देखकर सभी उनसे डरते थे.
ऐसा ही एक वाकया अरुणा ईरानी ने बताया जब कि वह विलन प्राण के साथ फिल्म जौहर महमूद इन गोवा में काम कर रही थी, अरुणा ईरानी के अनुसार उस वक्त उनकी उम्र 18-19 साल थी और नए होने की वजह से मैं थोड़ा डरी डरी भी रहती थी, इस दौरान एक बार जब हम हांगकांग में इसी फिल्म की शूटिंग कर रहे थे, तो उस दौरान मेरा और प्राण साहब का काम एक साथ ही खत्म हुआ तो फिल्म के निर्माता ने हमें एक साथ वापस जाने के लिए कह दिया, उस वक्त प्राण साहब की इमेज विलेन के तौर पर थी इसलिए मुझे उनके साथ अकेले जाने में टेंशन हो रहा था.

लेकिन बाद में मैंने सोचा कि प्लेन में तो जाना है, इतने सारे लोगों के बीच क्या कोई कर सकता है यह सोचकर मैं बिंदास उनके साथ चली गई. लेकिन क्योंकि हमारी हांगकांग की फ्लाइट लेट हो गई थी, इस लिए मुंबई जाने वाली कोलकाता की फ्लाइट हमारी छूट गई और दूसरी फ्लाइट सुबह की थी. ऐसे में जब मुझे प्राण के साथ होटल में रुकना पड़ा तो मेरी डर के मारे हालत खराब थी. उन्होंने मुझे अच्छे से डिनर करवाया और जब हम कमरे की तरफ बढ़ रहे थे तो एक ही कमरे में रहने के विचार से भी मैं अंदर ही अंदर कांप रही थी. क्योंकि उस वक्त प्राण साहेब ने शराब भी पीती थी.

प्राण साहब ने होटल के कमरे का दरवाजा खोला और मुझे कहा कि मैं अंदर चली जाऊं और अंदर से अच्छे से लौक कर लू , मैं बगल के कमरे में ही हूं अगर कुछ चाहिए तो मुझे फोन करना , मुझे कमरे में भेज कर वह दूसरे कमरे में चले गए. उस वक्त अंदर जाकर में इतना रोई ये सोच कर कि मैं उनके बारे में क्या सोच रही थी और वह क्या निकले. उस वक्त मुझे एहसास हुआ कि मैं उनको लेकर कितनी गलत थी  और वह कितने जेंटलमैन आदमी है. प्राण साहब जो फिल्मों में विलेन थे लेकिन असल जिंदगी में वह रियल हीरो निकले.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...