लेकिन बाद में मैंने सोचा कि प्लेन में तो जाना है, इतने सारे लोगों के बीच क्या कोई कर सकता है यह सोचकर मैं बिंदास उनके साथ चली गई. लेकिन क्योंकि हमारी हांगकांग की फ्लाइट लेट हो गई थी, इस लिए मुंबई जाने वाली कोलकाता की फ्लाइट हमारी छूट गई और दूसरी फ्लाइट सुबह की थी. ऐसे में जब मुझे प्राण के साथ होटल में रुकना पड़ा तो मेरी डर के मारे हालत खराब थी. उन्होंने मुझे अच्छे से डिनर करवाया और जब हम कमरे की तरफ बढ़ रहे थे तो एक ही कमरे में रहने के विचार से भी मैं अंदर ही अंदर कांप रही थी. क्योंकि उस वक्त प्राण साहेब ने शराब भी पीती थी.
प्राण साहब ने होटल के कमरे का दरवाजा खोला और मुझे कहा कि मैं अंदर चली जाऊं और अंदर से अच्छे से लौक कर लू , मैं बगल के कमरे में ही हूं अगर कुछ चाहिए तो मुझे फोन करना , मुझे कमरे में भेज कर वह दूसरे कमरे में चले गए. उस वक्त अंदर जाकर में इतना रोई ये सोच कर कि मैं उनके बारे में क्या सोच रही थी और वह क्या निकले. उस वक्त मुझे एहसास हुआ कि मैं उनको लेकर कितनी गलत थी और वह कितने जेंटलमैन आदमी है. प्राण साहब जो फिल्मों में विलेन थे लेकिन असल जिंदगी में वह रियल हीरो निकले.