Payal Ghosh: बांग्ला, तमिल, कन्नड, तेलगू और बॉलीवुड फिल्मों में काम करने वाली खूबसूरत और हंसमुख अभिनेत्री पायल घोष कोलकाता की है. पायल ने अभिनय की शुरुआत में एक कनाडाई फिल्म से किया, जिसमें उन्होंने अपने पड़ोसी के नौकर के साथ प्यार करने वाली एक स्कूली लड़की की भूमिका निभाई थी. वह एक ट्रैन्ड भरतनाट्यम डान्सर है, उन्होंने फिल्म पटेल की पंजाबी शादी से बॉलीवुड में डेब्यू किया.
टीवी सीरियल ‘साथ निभाना साथिया’ में भी उन्होंने काम किया है, जिसमें उनके काम को काफी सराहना मिली. वर्ष 2020 में पायल घोष ने निर्देशक अनुराग कश्यप पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया, जिसे अनुराग कश्यप ने अपने रुतबे की वजह से दबा दिया. आज भी पायल को इस बात का मलाल है कि उसे सही न्याय नहीं मिला.
अभी पायल एक हिन्दी फिल्म शक द डाउट में मुख्य भूमिका निभाने वाली है, जिसे लेकर वह बहुत खुश है. वह कहती है कि इस फिल्म में मैंने मुख्य भूमिका निभाई है, ये एक मर्डर मिस्ट्री थ्रिलर फिल्म है, जिसमें मैं ब्लाइन्ड गर्ल की भूमिका निभा रही हूँ. इसके लिए मैंने काफी वर्कशॉप किये है और अच्छी ऐक्टिंग के लिए काफी प्रैक्टिस भी की है.
भाषा चुनौती नहीं
पायल ने कई भाषाओं में फिल्में की है, इसमें आई चुनौती के बारें में उनका कहना है कि अलग – अलग भाषाओं में काम करने की चुनौती काफी होती है, उस भाषा को सीखना और समझना पड़ता है. मुझे ऐक्टिंग पसंद है, ऐसे में उससे जुड़ी किसी भी बात को जानना और सीखना मेरे लिए एक इक्साइटमेंट होता है. साउथ में भाषा न जानने की वजह से किसी संवाद को सही तरीके से डेलीवर करना थोड़ा मुश्किल होता था, लेकिन मैंने कई फिल्में की है. इसलिए मैँ भाव समझ जाती हूं और कुछ हद तक उसे सीख भी लिया है.
इसके अलावा डायरेक्टर किसी भी संवाद को अच्छी तरह इक्स्प्लैन शूट से एक दिन पहले कर देते है, जिससे अभिनय करना आसान हो जाता है. बाद में वे डबिंग कर लेते है. शुरू में बहुत मुश्किल होता था, अब नहीं होता.
मिली प्रेरणा
पायल का कहना है कि मेरे क्लोज़ में कोई भी ऐक्टिंग फील्ड से नहीं है, साथ ही मेरा परिवार थोड़ा कॉनजरवेटिव भी है, जहां किसी भी फील्ड में लड़कियों के काम करने को अच्छा नहीं माना जाता था. इसके अलावा मेरी माँ नहीं है, बचपन में जब मैँ केवल 7 साल की थी, तब उनका देहांत हो गया था. इसलिए मेरे लिए उनका सपोर्ट भी नहीं था. मेरे परिवार में दूर के रिश्तेदार ने अभिनेत्री महुआ रॉय चौधरी से शादी की थी, लेकिन उनका मेरे साथ कोई कनेक्शन नहीं है.
मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैँ अभिनय कर पाऊँगी. असल में मैँ बचपन से ही माधुरी दीक्षित, करीना कपूर, शाहरुख खान आदि की फिल्में बहुत देखती थी. बचपन में सभी मुझे सभी माधुरी दीक्षित कहकर बुलाते थे, क्योंकि मैँ अच्छा डांस कर लेती थी. इससे मेरे अंदर अभिनय की प्रेरणा जगी.
परिवार का सहयोग
पायल कहती है कि मेरी माँ नहीं है और हम दो बहने है, ऐसे में पिता की सोच रही थी कि 18 साल होने पर मेरी शादी कर देंगे और पढ़ाई भी वहाँ जाकर ही पूरा करना है, क्योंकि मैँ सुंदर थी और काफी लड़के मेरे पीछे पड़ते थे, उन्हे ये सब पसंद नहीं था. खासकर मेरे पिता बहुत डरे रहते थे, मुझे घर से बाहर नहीं निकलने देते थे. जब मैँ 15 साल की हुई, तो मुझे लगा कि मैँ शादी कर अपने सपने को पूरा नहीं कर सकूँगी, मैँ सोच में पड़ गई. एक दिन मैंने मन में निश्चय कर लिया कि मैँ अभिनय के क्षेत्र में कोशिश करूंगी और 12 वीं की परीक्षा के बाद मैँ किसी को बिना बताए कजिन सिस्टर के पास मुंबई आ गई. पैसों का जुगाड़ मैंने अपने काजीन्स और अपने कुछ जमा किये हुए से किया था. मैंने सुबह की फ्लाइट ली, इसलिए किसी को मेरे घर से निकलने की आहट तक नही मिली.
बाद में जब उन्हे पता चला, तो सभी को शॉक लगा. मेरी कजिन ने फोनकर उन्हे मेरी सलामती बताई. मेरे पिता इतने गुस्से हुए कि 6 महीने तक उन्होंने मुझसे बात तक नहीं की, लेकिन मेरे खर्चे के पैसे वे भेज दिया करते थे.
ली ऐक्टिंग की ट्रेनिंग
पायल मुंबई आकर किशोर नमित कपूर ऐक्टिंग इंस्टिट्यूट में जॉइन किया, 7 से 10 दिन में उन्हे पहली तेलगू फिल्म मिल गई थी. पहले उन्होंने मना किया था, क्योंकि मैँ उस इंडस्ट्री से परिचित नहीं थी, लेकिन बाद में राजी हो गई.
मिला ब्रेक
वह आगे कहती है कि असल में मेरी एक फ्रेंड ऑडिशन के लिए जा रही थी, मैँ भी उसके साथ ऑडिशन के प्रोसेस को जानने के लिए चल दी, वहाँ उनको नई और फ्रेश चेहरा चाहिए था. मैँ उस समय 17 साल की थी, मैंने जैसे ही ऑडिशन दिया, उन्हे मैँ पसंद आ गई. पहले मैंने मना कर दिया था, लेकिन बाद में मेरी भूमिका समझाने और नैशनल अवॉर्ड डायरेक्टर की वजह से मैंने उस फिल्म को किया.
संवाद को याद रखना था मुश्किल
पायल हंसती हुई कहती है कि पहली बार कैमरे के सामने आना मेरे लिए मुश्किल मुझे नहीं था, क्योंकि मैंने ऐक्टिंग का प्रशिक्षण लिया था, लेकिन भाषा मेरे लिए बाधा थी, क्योंकि भाषा को समझकर लिपसिंग करना मेरे लिए पहली फिल्म में थोड़ा मुश्किल था, जिसके लिए मुझे काफी मेहनत करनी पड़ी. इसके बाद हिन्दी फिल्म पटेल की पंजाबी शादी में मैने मुख्य भूमिका निभाई जिसे दर्शकों ने काफी पसंद किया.
किये संघर्ष
पायल को पहली तेलगू फिल्म प्रायानम आसानी से मिली, फिल्म के रिलीज का बाद कई सारे ऑफर भी उन्हे मिलने लगे, क्योंकि फिल्म सुपर हिट रही. इतना ही नहीं पहली फिल्म में उन्हे 10 लाख के ऑफर वर्ष 2009 में मिला था, जो एक अच्छी रकम थी, लेकिन पायल को हिन्दी फिल्म में काम करने की इच्छा थी, इसलिए वह कुछ सालों तक वहाँ काम करने के बाद हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में आ गई.
साउथ की इंडस्ट्री में उन्हे पैसे, प्यार और रेसपेक्ट सब मिले, जिसकी कमी हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में है.
वह कहती है कि मैंने काफी संघर्ष एक अच्छी फिल्म करने के लिए किया है और मुझे मिला. जबकि मेरे कई फ़्रेंड्स बहुत सारे ऑडिशन देकर भी उन्हे काम नहीं मिला और अंत में वे वापस चले गए. कुछ तो अभी भी संघर्ष कर रहे है. साउथ में संघर्ष कम है, जबकि हिन्दी सिनेमा में एक अच्छी भूमिका के लिए संघर्ष अधिक करना पड़ता है.
कंट्रोवर्सी का किया सामना
पायल कहती है कि शुरू में मैंने मलयालम फिल्म इसलिए नहीं किया था, क्योंकि लोग कहते थे कि मलयालम फिल्मों में हिरोइन को काफी इक्स्पोज़ किया जाता है, जिससे मैँ डर गई थी और काफी ऑफर ठुकरा दिए थे, क्योंकि तब मैँ इंटीमेट सीन्स करने में सहज नहीं थी, लेकिन अब मैँ देखती हूं कि मलयालम फिल्मों की कहानी काफी स्ट्रॉंग होती है, वे हॉलिवुड को भी टक्कर दे सकते है.
अब कोई काम मिलने पर अवश्य करना चाहूँगी. इसके अलावा जब तक साउथ में थी किसी प्रकार की
परेशानी मैंने नहीं झेली, हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में मुझे बहुत कुछ सहना पड़ा. मैंने खुद को कई बार
असहाय भी महसूस किया. मैंने कई सारे हिन्दी फिल्में छोड़ दिया था, क्योंकि मुझे निर्माता, निर्देशक
के साथ कोम्प्रमाइज़ करने की बात सीधा कहा गया, इस वजह से मैंने कई फिल्मों को छोड़ दिया था.
हुई कास्टिंग काउच की शिकार
पायल आगे कहती है कि इंडस्ट्री में किसी नए कलाकार की बात को लोग सीरीयसली नहीं लेते, मेरे साथ भी यही हुआ था. डायरेक्टर अनुराग कश्यप की वजह से मैँ डिप्रेशन में चली गई थी, इतनी बीमार हो गई थी कि अधिक फिल्में नहीं कर पाती थी. मुझे घर से निकलने में भी डर लगता था.
मेरे साथ जो उन्होंने जो किया, उससे मुझे सारे लोगों से डर लगने लगा था. अंदर ही अंदर मैँ घुटती
रहती थी, पूरी रात सोती नहीं थी, क्योंकि मुझे सब याद आता था. मीडिया और लोगों ने मेरे इस बात
को गलत बताया, क्योंकि मेरे सपोर्ट में कोई नहीं था, क्योंकि वे बड़े डायरेक्टर है. जब किसी के घर
परिवार में ऐसा होता है, तब वे इस बात की गहराई को समझ सकते है. फिल्म हंसी तो फंसी फिल्म
की ऑडिशन के लिए अनुराग कश्यप ने घर पर बुलाया, पहले दिन बहुत अच्छे से पेश आए, खाना
बनाकर खिलाया.
ऑडिशन देने के बाद उन्होंने घर पर रात को बुलाया, मुझे लगा कि कुछ अच्छा बताने के लिए वे मुझे बुला रहे है, मैँ खुश हुई. मैंने मैनेजर से पूछा, तो उन्होंने भी मुझे जाने के लिए कहा और आने वाली साउथ की फिल्म के बारें में भी बताने को कहा. मैँ सबको बताकर ही गई थी. वहाँ जाने के बाद उन्होंने थोड़ी बातचीत की, फिर दूसरे रूम में ले गए, वहाँ वे अपने कपड़े उतारने लगे. मेरे साथ बदतमीजी की. मैँ समझ नहीं पा रही थी कि मैँ क्या करूँ, क्योंकि ये सब कर मैँ आगे बढ़ नहीं सकती, मैँ बदनाम हो जाऊँगी. मैँ शॉकड हो गई और अंदर ही अंदर डर गई, उस समय मैँ केवल 22 साल की थी.
मैँ आज भी डिप्रेशन की दवा लेती हूँ और ट्रस्ट वाले लोगों के साथ ही काम करती हूँ. मैंने पुलिस कॉम्प्लैन किया, लेकिन पुलिस का सहयोग नहीं मिला, फिर मैंने छोड़ दिया, क्योंकि पुलिस अनुराग का पक्ष लेगी, मेरा नहीं. इंडस्ट्री में किसी अकेले को न्याय नहीं मिलता. आगे मैँ हिन्दी के साथ मैँ साउथ की फिल्में भी करूंगी. मैँ बहुत अधिक इंटीमेट सीन्स करने में सहज नहीं. मैँ अच्छी कंटेन्ट वाली फिल्में करना पसंद करती हूँ. खाली समय में मैँ फिल्में देखना पसंद करती हूँ. Payal Ghosh